दुर्भाग्यपूर्ण है सक्षम अधिकारी की आत्महत्या
मेलघाट के वनपरिक्षेत्र अधिकारी दीपाली चव्हाण द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों की प्रताडऩा से त्रस्त होकर आत्महत्या किए जाने की घटना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि महिलाओं के प्रतिनिधित्व वाले जिले के लिए चिंतनीय बात है. दीपाली चव्हाण के बारे में कहा जाता था कि वे अत्यंत जिम्मेदार अधिकारी होने के साथ साथ उनमें अदम्य साहस भरा हुआ था. यही कारण है कि वनक्षेत्र जैसे दुर्गम कार्य की जिम्मेदारी वे बखूबी निभा रही थी. लेडिज सिंघम के नाम से भी उन्हें पहचाना जाता था. इतनी सब साहसिक खूबिया रहने के बावजूद अत्यंत निराश अवस्था में दीपाली को आत्महत्या करनी पड़े तो स्पष्ट है कि अधिकारियों द्वारा की जानेवाली प्रताडऩा कितनी असह्य होगी. सबसे बड़ी निराशा तो इस बात से उत्पन्न हुई है कि स्वयं पर होनेवाले अन्याय के खिलाफ वरिष्ठ अधिकारी को लेकर अनेक जनप्रतिनिधियों को उन्होंने शिकायतें की थी. लेकिन कहीं से भी उन्हें जांच तो दूर राहत के दो शब्द भी नहीं मिल पाए. सभी ओर से स्वयं को एकाकी पाकर दीपाली ने आत्मघाती कदम उठाया. बेशक अनेक प्रताडऩाओं का दंश झेलते हुए तथा अन्याय अत्याचार में वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से कार्रवाई न करने बल्कि दोषियों को सुरक्षा प्रदान करने के घटनाक्रम से वह अत्यंत निराश हो गई व उसने आत्महत्या की. यह घटना जिले के लिए भी दूर्भाग्यपूर्ण है. कर्तव्यपरायण एवं साहसी अधिकारी को खोने का दुर्भाग्य भी जिले के हिस्से में आया है. आज भले ही हर कोई दीपाली पर होनेवाले अन्याय व अत्याचार को लेकर मुखर हो गया है. लेकिन पीड़ा के समय में कोई भी उसके साथ नहीं आया जिसके कारण दीपाली को इस स्थिति से गुजरना पड़ा है.इस घटना से एक बात और भी सामने आयी है कि कार्यस्थल पर अनेक महिलाओं को शोषण का शिकार होना पड़ रहा है. महिलाओं को कार्यस्थल पर उत्पीडऩ का शिकार न होना पड़े इसलिए सभी कार्यालय में विशाखा समिति गठित किए जाने का सरकार की ओर से निर्देश दिए गये है. लेकिन जिले में इस तरह की समितियां अत्यंत सीमित स्थानों पर कार्यरत है. ऐसे में कार्यस्थल पर शोषण की घटनाएं हो रही है. बीते दिनों पुलिस विभाग की ओर से शाला महाविद्यालय में शिकायत पेटी रखी गई थी. इसमें अनेक युवतियों ने अपनी शिकायतें पत्र के जरिए पुलिस विभाग को दी गई. जिसका सार्थक परिणाम भी सामने आया एवं युवतियों को त्रास देनेवाले तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की गई. सभी शासकीय व निजी कार्यालयों में इस तरह की व्यवस्था की जा सकती है. यदि ऐसा भी किया जाता तो दीपाली का दर्द लोकाभिमुख हो सकता था व उसे न्याय मिल सकता था.
दीपाली की आत्महत्या के मामले को लेकर हर किसी के मन में रोष का माहौल है. हर कोई चाहता है कि इस मामले में दोषी वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कडी से कडी कार्रवाई हो. कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के कारण एक सक्षम अधिकारी को आत्महत्या करनी पड़ी. यह सबसे ज्यादा दु:खद पहलू है. दीपाली की प्रताडऩा के मामले में वरिष्ठ अधिकारियों की प्रतिशोध की भावना तो दिखाई देती ही है लेकिन अनेक घटनाए अमानवीय भी हुई है. गर्भवती होने के बावजूद दीपाली को जंगल में पैदल घूमने के लिए मजबूर करना, रात बे रात उसे खतरनाक कार्यस्थल पर भेजना जैसी हरकते अमानवीय स्वरूप की हरकते मानी जा रही है. ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता कि किसी प्रगतिशील प्रांत में इस तरह की घटना हो सकती है. लेकिन यह एक दु:खद पहलू है कि महाराष्ट्र से जैसे प्रगतिशील प्रांत में इस तरह की अमानवीय घटना होती रही जो कि सामंतशाही प्रवृत्ति की याद दिलाती है. इस घटना की सर्वांगीण जांच होना अति आवश्यक है. खासकर जिस अधिकारी ने प्रताडऩा की इंतेहा की है उसे कडे से कडा दंड दिया जाना चाहिए. साथ ही दीपावली द्वारा जिन लोगों को स्वयं पर होनेवाले अत्याचार की शिकायत की गई थी. उन अधिकारियों को भी सह अभियुक्त मानकर उनके खिलाफ भी कडी कार्रवाई की जानी चाहिए. इस घटना को सरकार की ओर से गंभीरता से लिया जाना चाहिए. मामले की हर स्तर पर जांच कर दोषियों को दंडित किया जाए. जरूरी है कि ऐसे मामलों की जांच में जरा भी कोताही न हो इस बात का भी ध्यान रखा जाना जरूरी है.
कुल मिलाकर दीपाली द्वारा की गई आत्महत्या समूचे समाज को सोचने पर मजबूर कर देता है. एक सक्षम अधिकारी को यदि नौकरशाही का शिकार होना पडे व वरिष्ठ अधिकारियों की प्रताडऩा के आगे खतरो से खेलनेवाली ये अधिकारी अपने आपको विवश महसूस करे तो यह समूचे समाज के लिए शर्म की बात है. दीपाली जैसे अधिकारियों के साथ अन्याय न हो इसलिए सभी विभागों में विशेष शिकायत कक्ष का रहना जरूरी है. तभी ऐसे तत्वों पर रोक लग सकती है. जरूरी है कि प्रशासन अब ऐसी घटनाओं के प्रति गंभीरता से कार्य करेगा. अन्यथा कोई भी अधिकारी असमाजिक तत्व से प्रखरता से निपट सकता है. लेकिन कार्यक्षेत्र में ही सहयोगी असामाजिक तत्वों की भूमिका निभाए तो उसे विवश होना ही पडता है. ऐसी विवशता किसी ओर के सामने न आए इसलिए प्रशासन को कडे कदम उठाना अति आवश्यक है.