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किसानों को बिनब्याजी कर्ज

राज्यमंत्री मंडल की गुरुवार को हुई बैठक में किसानों को 3 लाख रुपए तक का फसल कर्ज बिना ब्याज के दिया जाएगा. जो किसान नियमित रुप से अपना कर्ज अदा करते रहे है. उन्हें यह कर्ज प्रदान किया जाएगा. एसी तरह इस बैठक में कोरोना के कारण अनाथ हुए बालकों एक फीसदी आरक्षण का निर्णय लिया गया. निश्चित रुप से दोनों ही निर्णय अत्यंत महत्वपूर्ण है. इससे प्राकृतिक आपदा के कारण बार-बार नुकसान का शिकार होने वाले किसानों को राहत मिलेगी. खास कर किसानों को बीते कुछ वर्षों से कृषि का पर्याप्त लाभ नहीं मिला पाया है. उन्हें महत्वपूर्ण आधार मिलेगा. हालांकि सरकार ने यह कर्ज देने के लिए मापदंड रखा है. जिसके अंतर्गत नियमित रुप से कर्ज अदा करने वाले किसानों को यह राशि दी जाएगी. यह सच है कि, किसानों की हालत विगत अनेक वर्षों से विभिन्न समस्यांओं से ग्रस्त है. परिणाम स्वरुप किसानों की हालत अत्यंत दयनीय हो गई है. इससे किसानों के सामने यह समस्या निर्माण हो गई थी कि, वे अपने फसलों को किस तरह विकसित करें. भारत यह कृषि प्रधान देश है. लेकिन किसानों की हरदम उपेक्षा की जाती रही है. कोरोना संक्रमण के दौरान किसानों को अपनी फसले बेचने में कठिनाई हुई. जिसके कारण अनेक किसानों की आर्थिक हालत अत्यंत दयनीय हो गई है. यहीं कारण है कि, किसानों को नई फसल लेने के लिए आर्थिक आधार जरुरी था. राज्य सरकार द्बारा किसानों को 3 लाख रुपए कर्ज बिना ब्याज के देने का निर्णय लिया है. लेकिन यह भी एक प्रश्न है कि क्या सभी किसान नियमित रुप से कर्ज अदा करते रहे है. या जिन लोगों का कर्ज अभी बाकी है व हर माह ब्याज की राशी उन पर बढ रही है. ऐसे किसानों को भी इस तरह लोन की सुविधा रहेगी. यदि ऐसे किसानों को नियमित कर्ज अदा न करने का कारण देकर यदि कर्ज नहीं मिल पाता है, तो उनकी कठिनाई कायम रहेंगी. सरकार को चाहिए कि, सभी किसानों को वह 3 लाख रुपए तक का बिनब्याजी कर्ज अदा करें. इसी तरह सरकार ने कोरोना के कारण अनाथ हुए बालकों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी लेते हुए ऐसे बालकों को शासकीय सेवा में एक फीसदी आरक्षण देने का भी निर्णय लिया गया है. किसानों के लिए वैसे तो सरकार के पास अनेक योजनाएं है. लेकिन इन योजनाओं का पूरा लाभ किसानों को नहीं मिल पाता. यहीं कारण है कि, उन्हें कर्ज में दबे रहना पडता है. हालांकि किसानों का मानना है कि, सरकार समय-समय पर किसानों को मिलने वाली छूट देने की बजाय किसानों को योग्य समर्थन मूल्य दें, तो किसानों को किसी का मोहताज रहने की जरुरत नहीं पडेगी. बीते अनेक दिनों से किसानों द्बारा यह मांग भी की जा रही है. आमतौर पर पाया जाता है कि, किसान बडी उम्मीद से अपनी फसलों की बुआई करता है. लेकिन समय-समय पर आने वाली समस्याओं के कारण किसानों का लागत मूल्य बढ जाता है. लेकिन लागत मूल्य के अनुरुप किसानों को योग्य दर नहीं मिल पाती. यही कारण है कि, किसानों को हर वर्ष नुकसान का सामना करना पडता है व धीरे-धीरे उनकी हालत बदतर हो जाती है. इस स्थिति से अनेक किसान गुजरे हुए है व आज भी वे आर्थिक संकट में उलझे हुए है. ऐसे किसानों को प्राथमिकता से सहायता की आवश्यकता है. बेशक सरकार ने किसानों को बिनब्याजी कर्ज 3 लाख रुपए तक देने का साहस किया है. इससे किसानों को काफी हद तक राहत मिल सकेगी. इसलिए जरुरी है कि, सरकार किसानों को सहायता करने के साथ उनके जीवनस्तर को उंचा उठाने के लिए लागत के अनुरुप फसल का समर्थन मिलने देने का कार्य करें. यदि सरकार की ओर से योग्य समर्थन मिलता है, तो किसानों को अनावश्यक रुप से परेशान होने की आवश्यकता नहीं पडेगी तथा वे अपने आपमें सक्षम बनेंगे. वर्तमान में सरकार की ओर से दी जाने वाली हर सहायता उन्हें किसी कर्ज के कटघरे में खडा करती है. योग्य समर्थन मूल्य उन्हें आत्मनिर्भता की ओर आगे बढायेंगा. इससे उनका जीवनस्तर भी उंचा उठेगा व उन्हें सरकारी सहायताओं पर निर्भर नहीं रहना पडेगा. कुलमिलाकर सरकार द्बारा 3 लाख रुपए तक कर्ज बिनाब्याज के देने का योग्य निर्णय लिया गया है. लेकिन किसानों को कर्ज के कटघरे से बाहर निकलकर स्वावलंबन की ओर ले जाने के लिए योग्य समर्थन मूल्य दिया जाना जरुरी है.

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