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तत्काल मदद जरूरी

हाल ही में अरब समुद्र में हवा का दबाव कम रहने के कारण जो तूफान आया था. उसके कारण भारी नुकसान हुआ है. इस बारे में विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष देवेन्द्र फडणवीस व मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे ने आपदाग्रस्त क्षेत्र का दौरा किया. वहां की तबाही का मंजर देखा. साथ ही लोगों से सवांद भी किया. इसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा है कि नुकसान की पूरी समीक्षा के बाद ही सहायता प्रदान की जायेगी. नुकसान कितना हुआ है इसका अभी पूरा आकलन नही हो पाया है. जिस रूप में यह तूफान आया है उससे महाराष्ट्र के कई जिले प्रभावित हुए है. इस नुकसान का जायजा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी हवाई दौरा किया. जिसके कारण तूफान की समीक्षा की जा रही है. समीक्षा करना यह सरकार का दायित्व भी है. लेकिन इस तूफान में अनेक लोगों के घर नष्ट हो गये है. उनके पास खाने पहनने के लिए अनाज व वस्त्र नहीं है. इस हालत में वे कैसे जीवन यापन करे. यह प्रश्न उनके सामने कायम है. हालाकि तूफान के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर भी भारी असर पड रहा है. इसलिए तूफानग्रस्त क्षेत्रों में सभी सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए. यह सब तत्काल होना जरूरी है. क्योंकि तूफान को गये अभी तीन दिन हो चुके है. हालाकि बंगाल की खाडी में भी 25 मई के आसपास तूफान अपना असर दिखा सकता है. इसके चलते अभी से तैयारी आवश्यक है.
इस तूफान में हुई जनधन हानि को देखते हुए अति आवश्यक हो गया है कि, सरकार तूफान पीडितों को तत्काल सहायता के तौर पर मदद की जानी चाहिए. क्योंकि तूफान ने भारी संकट उत्पन्न कर दिया है. लोगों के घरों की छते उड गई है. साथ ही अनेक स्थानों पर हरेभरे पेड जड समेत अनेक दीवारे टूट गई है. जिन लोगों के घर पहले से ही संकट में फंसे है. उन्हें सरकार की ओर से सहायता देना जरूरी है. इसके लिए तत्काल सहायता अति आवश्यक है. इससे लोगों को कुछ तो आधार मिलेगा. हालाकि कोरोना संक्रमण के चलते अनेक महानगर में अभी स्थिति सुधरी नहीं है. लेकिन जिस रफ्तार से मरीजों के अच्छे होकर आने की संख्या बढ रही है. उसे देखते हुए यह संभव लग रहा है कि पीडितों को सहायता का अभियान आरंभ करना चाहिए. क्योंकि जब सहायता मिलेगी तो तूफान के कारण बरबाद हुए परिवारों को राहत मिलेगी.
कोरोना का संकट वैसे भी राज्य सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य था. इस पर तूफान का आ जाना और भी स्थिति को जटिल बना गया है. फिलहाल नेतागण आपदाग्रस्त क्षेत्रों में दौरा कर रहे है. लेकिन अभी पीडितो को योग्य सहायता नहीं मिल पायी है. जबकि यह सहायता प्राथमिक स्तर पर पूर्ण की जानी चाहिए्. हालाकि इस बारे में दो राय नहीं है कि इस तूफान में कितना नुकसान हुआ है. इसका भी पता लगाना जरूरी है. क्योंकि ऐसे समय में यदि पीडितों को सहायता नहीं मिली तो उनका मनोबल टूट जायेगा. वैसे भी जब किसी की सारी दुनिया उजड जाती है तो उसे भारी दु:ख का सामना करना पडता है. इस मर्म को समझते हुए सरकार को चाहिए कि सबसे पहले वह पीडितों को अस्थायी तौर पर मदद हाथों में दे. क्योंकि तूफान के बाद अब योग्य पेयजल भी संकट में आ गया है. इसलिए सर्वोच्च प्राथमिकता तूफान पीडितों को सहायता देने की होनी चाहिए. पंचनामे के बाद भले ही योग्य मदद पहुंचाई जाए लेकिन तत्कालीन मदद अति आवश्यक है. मुख्यमंत्री द्बारा पूरे आकलन के बाद मदद की बात कही गई है. लेकिन फिलहाल पीडितों की दयनीय दशा को देखते हुए अति आवश्यक है कि उन्हें तत्काल कुछ हद तक सहायता दी जाए. भले ही बाद में निर्धारित सहायता देने का कार्य हो.
कुल मिलाकर आपदाग्रस्तों की हालात अत्यंत दयनीय है. इसलिए जरूरी है कि उन्हें अस्थायी तौर पर मदद दी जाए. मुख्यमंत्री द्बारा यह कहना पूरे आकलन के बाद सहायता की जायेगी. तर्क संगत नहीं लगती है. पीडा को समझते हुए तत्काल सहायता ही पीडितो को राहत पहुंचा सकती है. सरकार को इसलिए चाहिए कि वह तत्काल जो भी संभव हो वह सहायता पीडितों को दे ताकि वे अपना आशियाना व्यवस्थित कर रहना आरंभ कर सके. इसके लिए उन्हें योग्य प्रमाण में अनाज व स्वास्थ्य संबंधी सुविधा उपलब्ध कराना जरूरी है.

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