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टीकाकरण में किल्लत न हो

महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमितों की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है. जिसके चलते राज्य सरकार ने अपना टीकाकरण का कार्य भी तेजी से आरंभ कर दिया है. परिणामस्वरूप राज्य में केवल तीन दिन तक टीके उपलब्ध कराए जा सके. ऐसी स्थिति है. इसके चलते टीकाकरण की गति प्रभवित हो सकती है. कोरोना संक्रमण के बाद अब हर कोई स्वयं का टीकाकरण के लिए सक्रिय हो गया है. सरकार से राज्य सरकार ने हर सप्ताह ४० लाख टीके उपलब्ध कराने का राज्य सरकार से अनुरोध किया था. लेकिन जिस रूप में टीकाकरण हो रहा है. उससे देशभर में टीके की किल्लत महसूस हो रही है. जरूरी है कि टीकाकरण के लक्ष्य को पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में टीके उपलब्ध कराए जाए. महाराष्ट्र में कोरोना का संक्रमण बढऩे के कारण टीका दिया जाना चाहिए. खासकर जब सरकार ने टीकाकरण आरंभ किया महाराष्ट्र के लोगों ने उसे व्यापक प्रतिसाद दिया. आज भी बड़ी संख्या में टीकाकरण का अभियान जारी है. लेकिन टीके अपर्याप्त उपलब्धता के कारण सभी को टीके उपलब्ध नहीं हो पा रहे है. राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने जानकारी दी है कि उनके पास केवल तीन दिन का ही भंडारण है. निश्चित रूप से यह चिंता की बात है. जब सरकार की ओर से कहीं पर भी आवागमन के लिए टीका संबंधी प्रमाणपत्र पास में रखना बंधनकारक है. यदि टीके पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है तो अनेक लोग इससे वंचित रह जायेंगे अथवा उन्हें टीकाकरण के लिए प्रतीक्षा करनी होगी.
टीकाकरण अभियान को तीव्र करने के लिए अनेक नागरिको ने प्रयत्न किए. इस बारे में परिसर के बुजुर्गो को टीकाकरण केन्द्र में ले जाकर उनका टीकाकरण करवाया गया. यह सिलसिला अभी भी जारी है. यही कारण है कि टीके की कमी महसूस की जा रही है. यह बात भी यहां चिंतनीय है कि राज्य में अनेक स्थानों पर टीके अपने आप नष्ट हो गये. इन टीको को बचाने के लिए उस समय सार्थक प्रयास नहीं किए गये थे. परिणामस्वरूप टीकाकरण का अभियान गतिशील हुआ. बड़ी संख्या में लोगों ने टीकाकरण करवाया. पहले चरण में उन लोगों को यह टीका दिया गया जो प्रत्यक्ष रूप में कोरोना संक्रमितों के बीच कार्य कर रहे है. इस समय हजारों कर्मचारियों को टीका दिया गया. दूसरे चरण में ६० वर्ष से अधिक आयु के नागरिको को टीका दिया जा रहा है. इस बीच दो दिन पूर्व सरकार ने ४५ वर्ष से अधिक आयु के लोगों को टिका दिया जा रहा है. इधर मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे ने केन्द्र सरकार से अनुरोध किया है कि वे १८ वर्ष से अधिक आयु के सभी को यह टीका दिया जाए. इसके लिए प्रधानमंत्री को उन्हें पत्र भी लिखा है. यह माना जा रहा है कि टीकाकरण ही कोरोना संक्रमण रोकने का उपाय है. हालाकि यह माना जा रहा है कि केवल टीका लगा लेने से कोरोना से मुक्ति नहीं मिलेगी. टीका कोरोना के संक्रमण के कमजोर कर सकता है. इसके लिए नागरिको को स्वयं सावधानी बरतनी होगी. यह सोच लेना भर उचित नहीं रहेगा कि टीका ले लिया है तो मास्क लगाने की आवश्यकता नहीं . क्योंकि पहला टीका लेने के बाद शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढऩा आरंभ हो जाती है. एक माह बाद जब दूसरा टीका लिया जाता है तब यह क्षमता पूर्ण होती है. ऐसे में जब तक दोनों डोज नहीं हो जाते तब तक पूरी तरह सावधानी बरतना आवश्यक है. वैसे भी कोरोना यह बीमारी संक्रमण के कारण होती है. इसलिए सोशल डिस्टेसिंग भी अति आवश्यक है.
टीकाकरण के लिए सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था किए जाने के साथ साथ कुछ निजी अस्पतालों में भी अत्यल्प शुल्क के जरिए टीकाकरण किया जा रहा है. इसका भी अनेक नागरिको द्वारा लाभ उठाया जा रहा है. निश्चित रूप से जब टीकाकरण को लेकर जनजागृति है तो दिनों दिन टीका लेनेवालों की संख्या बढ़ सकती है. जिस तरह राज्य के मुख्यमंत्री ने केन्द्र से १८ वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों का टीका देने का अनुरोध किया है. उसे देखते हुए आनेवाले समय में टीके की किल्लत और अधिक बढ़ सकती है. इसलिए जरूरी है कि सरकार राज्य की आवश्यकता के अनुरूप टीका उपलब्ध कराए. यदि पर्याप्त मात्रा में टीका उपलब्ध न रहे तो इसका विपरित परिणाम भी हो सकता है. क्योंकि जनसामान्य यह मानकर चल रहा है कि सरकार ने पर्याप्त मात्रा में टीके उपलब्ध कराए है. लेकिन यथार्थ में कुछ स्थानों पर किल्लत महसूस हो रही है. इसे देखते हुए सरकार को चाहिए कि वह सभी क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में टीके उपलब्ध कराए. किल्लत न हो इस बात का पूरा ध्यान रखे. राज्य सरकार को भी चाहिए कि वे इन्ही कारणों से टीके नष्ट होने की स्थिति उत्पन्न न होने दे. यदि ऐसा किया जाता है तो निश्चित रूप से हर कोई हर किसी को कोरोना विषाणु से लडऩे के लिए टीके उपलब्ध हुए व विषाणु के संक्रमण को समाप्त किया जा सकेगा.

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