पर्यावरण की अनदेखी से वज्रापात
कुछ दिनों पूर्व राजस्थान, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में आसमान से बिजली गिरने के कारण करीब ७४ लोगों की मृत्यु हो गई. आकाशीय बिजली का गिरना मनुष्य के लिए सबसे घातक प्राकृतिक घटना है. मौसम वैज्ञानिको के अनुसार बिजली का गिरना पृथ्वी पर सबसे पुरानी प्राकृतिक घटनाओं में से एक माना जाता है. बीते कुछ वर्षो में बिजली गिरने की घटनाओं में बढोतरी हो रही है. इसके लिए वातावरण का तापमान बढना भी एक कारण माना जा रहा है. सच तो यह है कि पर्यावरण की जिस रूप में क्षति हुई है. उसके परिणामस्वरूप अनेक बदलाव प्रकृति में आने लगे है. जिसका खामियाजा आम नागरिको को भुगतना पडता है. पर्यावरण की सुरक्षा ही मानवीय सृष्टि की सुरक्षा बनी है. पर्यावरण संतुलन के अभाव में अनेक प्राकृतिक आपदाए सामने आने लगी है. नियमित रूप से मानसून का आगमन होना बरसात का कई बार देरी से आगमन आदि स्थितियां निर्माण होने लगी है. खासकर बीते दिनों बिजली गिरने से विभिन्न प्रांतों में ७४ लोगों की मृत्यु हो गई थी. जाहीर ेहै इस दुर्घटना के लिए भी प्राकृतिक संतुलन का बिगडना मुख्य कारण माना जा रहा है. इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि प्राकृतिक संतुलन बनाये रखा जाए. आमतौर पर पहले अनेक पेड़-पौधे लगे रहते थे. जिसके कारण यदि कोई वज्रापात उन्हे नुकसान पहुंचा जा सकता है.
मानवीय सृष्टि के जतन के लिए वनो का होना अति आवश्यक है. इस दृष्टि से लोगों को चाहिए कि वे पर्यावरण पर ध्यान दे. यदि पर्यावरण का संतुलन उचित है तो अनेक विपरित स्थितियों को बदला जा सकता है. फसलों के लिए यह पानी उपयुक्त माना जा रहा है. लेकिन जिन स्थानों पर अतिवृष्टि हुई है वहां पर बडे पैमाने पर नुकसान हुआ है. इसके लिए अब सरकार को चाहिए कि वह तत्काल पर्यावरण संतुलन की दिशा में कार्य करे. अनेक कार्यकर्ता पौधारोपण के लिए आगे आए. यदि पर्यावरण विशुध्द रहा तो प्रकृति का संतुलन भी सुधर सकता है. देश के अनेक हिस्सों में पाया जाता है कि नागरिक पेड़ पौधा लगाने के लिए तत्पर रहते है. लेकिन उन्हें पौधारोपण के लिए योग्य साधन नहीं मिल पाते है. यहां तक की पौधे भी कई बार उपलब्ध नहीं होते है. जिसके कारण लोगों में को योग्य प्रमाण में पौधारोपण करने का अवसर नहीं मिलता.
स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए प्राणवायु की सर्वाधिक आवश्यकता रहती है. बेशक सरकार का दावा है कि ऑक्सीजन के कारण किसी की मृत्यु नहीं हुई. लेकिन अनेक लोगों ने इस बात का आरोप लगाया है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण उनके परिजन की मृत्यु हुई है. इसमें सच क्या है यह तो जांच के बाद पता चल सकेगा. लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पर्यावरण के असंतुलन के कारण सभी क्षेत्रों में लोगों को श्वास लेने में कठिनाईयां हुई है. इन सब बातों के चलते जरूरी है कि पर्यावरण संतुलन पर पूरा ध्यान दिया जाए. यदि इस बारे में लापरवाही बरती जाती है तो भविष्य में वज्रापात, मेघ फटना, अतिवृष्टि जैसी बाते हो सकती है. अत: सभी को आनेवाली पीढी की सुरक्षा के लिए पर्यावरण संतुलन पर ध्यान देना होगा.
वर्तमान मेें बरसात आरंभ हो गई है. इस मौसम में पौधारोपण का भी अभियान छेडा जाना चाहिए.अनेक नागरिक इस कार्य के लिए तत्पर है पर साधनों का अभाव में वे अपने कार्य को अंजाम नहीं दे पा रहे हैे. शहर व जिले के सभी धार्मिक स्थल पूरी तरह बंद है. जिसके कारण अनेक लोग जो हर वर्ष धार्मिक स्थलों पर पौधारोपण करते है उन्हें अब जगह का अभाव महसूस हो रहा है. जरूरी है कि बरसात के सीजन में अनेक स्थानों पर पौधारोपण किया जाए. इस समय रोपित पौधों को उभरने का पूरा अवसर मिलता है.
वर्तमान में अनेक स्थानों पर अतिवृष्टि की स्थितिया निर्माण हुई है. ऐसे में प्रशासन को पूरा ध्यान बचाव कार्य में केन्द्रित करना पड़ रहा है. आनेवाले दिनों में भी बरसात की संभावना कायम है. इसलिए जरूरी है कि प्रशासन को बचाव कार्य पर ध्यान देना होगा. ऐसी स्थितियां बार-बार निर्माण न हो इसलिए जरूरी है कि पर्यावरण संतुलन के प्रति भी सजगता बरतनी चाहिए . प्राकृतिक दुर्घटनाएं होने के पीछे पर्यावरण की क्षति को ही जिम्मेदार माना जा सकता है.