धार्मिक स्थलों के खुलने की प्रतीक्षा में भक्त
अनलॉक प्रक्रिया के तहत राज्य में अनेक क्षेत्रों में निर्बंध शिथिल किए जा रहे है. बावजूद इसके अभी धार्मिक स्थलों को आरंभ करने के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया. जबकि राज्य के प्रतिपक्ष नेता देवेन्द्र फडणवीस सहित अनेक दलों ने व नागरिक संगठनों की ओर से धार्मिक स्थलों को आरंभ करने की अनुमति दिए जाने की मांग की जा रही है. जब कोरोना संक्रमण का प्रभाव कम हो गया है तथा मॉल सहित अन्य प्रतिष्ठानों को रात १० बजे तक खुले रहने की अनुमति दी गई है. तब यह अपेक्षा अवश्य की जा सकती है कि नियमों का पालन करते हुए धार्मिक स्थलों को आरंभ करने की अनुमति दी जाए ताकि भक्तों को अपने इष्ट देव की पूजा करने का मंदिर में अवसर मिले. साथ ही धार्मिक स्थलों के माध्यम से इन लोगों की आजीविका चलती है. उन्हें भी राहत मिल सके. बेशक धार्मिक स्थल पर दर्शन के लिए कोरोना संबंधी सभी नियमों का पालन करने के आदेश मंदिर प्रबंधन को दिए जा सकते है और प्रबंधन का भी यह दायित्व रहेगा कि वह सभी नियमों का पालन करे.
जिस समय कोरोना संक्रमण का प्रभाव कायम था तब सभी धर्म के लोगोंं ने अपनी आस्थाओंं को प्राथमिकता न देते हुए जनसामान्य का जीवन सुरक्षित रहे इस बात को प्राथमिकता दी. ऐसा करते समय अनेक धार्मिक स्थलों को अपनी वर्षो पुरानी परंपराओं को भी खंडित करना पड़ा. ऐसी परंपराए जो हजारों वर्षो से जारी थी. अनेक संकटों के बावजूद उन परंपराओं का भक्तों की ओर से निर्वहन किया जाता रहा है. अपने प्राणों की आहुति देकर भी भक्तों ने परंपराओं का जतन किया. अब जब कोरोना का संक्रमण अत्यंत सीमित हो गया है. यहा तक की सभी क्षेत्रों को आरंभ किया जा रहा है. ऐसे में धार्मिक स्थलों को आरंभ करने की अनुमति न दिए जाना अपने आप में उचित नहीं कहा जा सकता है. धर्म चाहे जो भी हो उसके अनुयायी कभी हिंसक मार्ग या कानून व्यवस्था पर जिसका प्रभाव हो ऐसा कार्य नहीं करना चाहते. यही वजह है कि अनेक परंपराओं के खंडित होने के बाद भी भक्तगणों ने संयम बनाए रखा व धार्मिक स्थलों की जगह अपने घर पर ही सादगीपूर्ण तरीके से अपने इष्ट का पूजन किया. कोई शिकायत नही प्रस्तुत की. अब यह सरकार का भी दायित्व हो जाता है कि समय को समझते हुए वे यथाशीघ्र धार्मिक स्थलों को आरंभ करने का कार्य करे.
धार्मिक स्थल से केवल अध्यात्म का ही संबंध नहीं है. अनेक लोगों की आजीविकाएं धार्मिक स्थलों के भरोसे ही चलती है. लेकिन करीब दो वर्षो से सभी धार्मिक स्थल बंद रहने से ऐसे लोगों पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है. क्योंकि उन्होंने अपनी सारी पंूजी धार्मिक स्थल के समीप की अपनी दुकानों में लगा रखी है. लेकिन व्यवसाय न होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है. इसी तरह भक्तों को भी धार्मिक स्थल खुले न रहने से पीडा से गुजरना पड़ रहा है. पाया जा रहा है कि श्रावण मास में हजारों की संख्या में भक्तगण शिवालयों में पूजन के लिए जाते है. लेकिन राज्य में धार्मिक स्थलों को आरंभ करने की अनुमति न मिलने के कारण उन्हे श्रावण मास में पूजा में कठिनाई हो रही है. अनेक भक्त महाराष्ट्र के बाहर के ज्योर्तिलिंगों के दर्शन के लिए जा रहे है. यदि राज्य में भी धार्मिक स्थलों को आरंभ किया जाता है तो यहां के ज्योर्तिलिगों का भी दर्शन राज्य की जनता के साथ अन्य प्रांतों की जनता को भी दर्शन करने का अवसर मिल सकेगा.
कुल मिलाकर सरकार को चाहिए कि वह जिस तरह सभी क्षेत्रों के प्रतिष्ठानों को आरंभ करने की अनुमति दी जा रही है. उसी तरह धार्मिक स्थलों को भी आरंभ करने की अनुमति दी जाए. सरकार को यह डर है कि पर्वो का मौसम होने के कारण मंदिरों मेें भक्तों की भीड बढ सकती है. लेकिन यह भी जानना जरूरी है कि राज्यभर में अनेक स्थानों पर महानगरपालिका चुनाव के परिप्रेक्ष्य में आशीर्वाद यात्राए निकाली जा रही है. जिसमें बडी संख्या में लोग शामिल हो रहे है. बसों में भी भरपूर सवारियां बैठ रही है. जाहीर है सभी क्षेत्रों में लोगों की भीड़ किसी न किसी रूप में देखी जा रही है तो धार्मिक स्थलों पर यदि कोई भीड बढती है तो उसमें गलत कुछ नहीं. अत: सरकार को चाहिए कि वह यथाशीघ्र धार्मिक स्थलों पर लगी पाबंदी हटाए व भक्तों की भावनाओं और संयम का सम्मान करे.
नियमों के अनुरूप यदि धार्मिक स्थलों को आरंभ किया जाता है तो किसी तरह की भीड़ को भी रोका जा सकता है. मंदिर के सेवाधारी व प्रशासन की ओर से पुलिस कर्मियों की ओर से अव्यवस्था को रोकने का काम किया जा सकता है. जरूरी है कि धार्मिक स्थलों को आरंभ करने के लिए सरकार की ओर से पहल की जानी चाहिए. निश्चित रूप से यह पहल राज्य के सभी धर्माे के अनुयायियों के लिए वरदान स्वरूप रहेगा. इन दिनों सभी धर्मो के पर्व मनाए जा रहे है. ऐसी हालत में धार्मिक स्थलों का खुला रहना आवश्यक है. सरकार को इस ओर अनुकूल दृष्टि से विचार करना जरूरी है.अत: सरकार भक्तोंं की भावनाओं का सम्मान करते हुए धार्मिक स्थलों को यथाशीघ्र आरंभ करे. निश्चित रूप से धार्मिक स्थलों के प्रबंधको द्वारा कोरोना नियमों का पालन किया जायेगा. ऐसी ताकीद भी उन्हें दे.