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कब खुलेंगे द्बार

कोरोना महामारी (Corona epidemic) के चलते मार्च माह में आरंभ हुए लॉकडाउन (Lockdown) के बाद देश भर के सभी मंदिरों व धार्मिक संस्थानों को बंद किया गया है. केवल पूजा पाठ करने वाले पूजारी के अलावा अन्य लोगों का प्रवेश मंदिर में प्रतिबंधित है. लॉकडाउन काल में जब सभी क्षेत्र बंद थे तब मंदिर को बंद रखना स्वाभाविक था. लेकिन अब अनलॉक प्रक्रिया आरंभ हो गयी है. ऐसे में सभी तरह के उद्योगों को आरंभ कर दिया गया है. हर चरण में अलग-अलग क्षेत्र के प्रतिष्ठानों को आरंभ किया जा रहा है. देखा जाये तो पहले ही चरण में शराब की दूकानों को आरंभ किया गया. इसी तरह सभी प्रतिष्ठानों को धीरे-धीरे आरंभ किया जा रहा है. ऐसे में मंदिरों का बंद रहना भक्तों के लिए चिंता का विषय बन गया है. माना जाता है कि, जहां दवाएं काम नहीं करती वहीं दुआएं अपना असर दिखा जाती है. इश्वरीय आस्था यह भक्तों के हृदय में बसती है. जिसका असर सार्थक होता है. यहां तक कि प्रार्थना से लोगों का मनोबल बढता है. किसी भी बीमारी के बचाव के लिए मनोबल का होना जरुरी है. ऐसे में अनेक भक्तों की कही ना कही आस्था बनी रहती है. लेकिन भक्त आज मंदिर जा नहीं पा रहे है. इससे उनकी आस्था पर कही ना कही प्रभाव पड रहे है. अनेक भक्तों ने सामूहिक रुप से राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से पत्रव्यवहार किया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि, जब अनलॉक की प्रक्रिया में सभी कुछ खुलता जा रहा है, तो मंदिरों को भी आरंभ कर देना चाहिए. बेशक अन्य प्रतिष्ठानों की तरह सरकार सोशल डिस्टेंसिंग , मास्क पहनकर आना, छिडकाव जैसे कार्य नियमित होना आवश्यक है. इसका पालन किया जा सकता है. मंदिर प्रबंधन को इस बारे में सावधानी बरतने के निर्देश दिये जा सकते है. हालांकि हर चिजों के बंद करके रखा गया. बावजूद इसके कोरोना मरीजों की संख्या दिनों-दिन बढ रही है. ्नया ये माना जाए कि, केवल प्रतिबंध से इस बीमारी को जीता जा सकता है, तो अब तक बीमारी का यह स्वरुप तेजी से बढता गया है. फिर यदि मंदिर आरंभ हो जाते है, तो भक्तों को अपनी व्यथा भगवान की मूर्ति के सामने रखना आसान होगा. इन दिनों मंदिर बंद रहने के कारण भक्तगण अपनी व्यथा भगवान के सामने भी नहीं रख पा रहे है. बेशक यह प्रश्न भावनाओं से जुडा है. लेकिन लोगों ने यह प्रतिफल पाये हुए भी देखा है कि, उनकी की गई प्रार्थना से अनेक संकट टल गये है. ऐसे में मंदिरों का आरंभ होना अतिआवश्यक है. भक्तों की कुछ आह रहती है. ईश्वर का मंदिर उनके घर के सामने हो, इस बात को कई भक्तों ने अपने भजनों के माध्यम से भी प्रस्तुत किया है.
‘तेरे मंदिर के सामने मेरा घर बन जाये‘ निश्चित रुप से मंदिरों से भक्तों को न केवल राहत मिलती रही है बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढा है. ऐसे में यदि मंदिर आरंभ किये जाते है, तो निश्चित रुप से हजारों भक्तों (Thousands of devotees) राहत महसूस करेंगे. मंदिर प्रबंधन को यह जिम्मेदारी भी सौंपी जानी चाहिए कि, मंदिर में सरकारी नियमों का कठोरता से पालन हो. अत: आवश्यक है कि, योग्य निर्देशों के साथ मंदिरों को भी आरंभ किया जाए. इस बीच यह मांग भक्तों द्बारा भी उठायी जाने लगी है. आगामी २९ अगस्त को अनेक धार्मिक संगठनाओं (Religious organizations) ने मंदिर आरंभ करने की मांग को लेकर घंटानाद की चेतावनी दी है. जाहीर है भक्तों द्बारा अब तक सभी नियमों का पालन किया जा रहा है. लेकिन भक्तों के आस्था स्थलों को बंद रखा गया है. अनलॉक की प्रक्रिया में अनेक क्षेत्र योग्य निर्देशों के साथ आरंभ हो गये है. लेकिन धार्मिक स्थलों को अभी बंद रखा गया है. इन्हें भी आरंभ किया जा सकता है. बेशक इसके लिए नियमावली तय हो, लेकिन भक्तों के आस्था के अनुरुप मंदिर के पट भी आरंभ किये जा सकते है. इस पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए.

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