‘झेनिथ‘ ने दी हृदयरोगियों को नवसंजीवनी
आयवीयूएस उपकरण के जरिये एंजीओप्लास्टी करनेवाला पश्चिम विदर्भ का एकमेव हॉस्पिटल शहर के सुप्रसिध्द हृदयरोग विशेषज्ञ तथा झेनिथ हॉस्पिटल के संचालक डॉ. नीरज राघानी ने हृदयरोगियों के लिए अत्याधूनिक तंत्रज्ञान के जरिये उपचार प्रणाली विकसित की है. जिसके तहत हृदयरोग से संबंधित मामलों में कम से कम चिरफाड और कम वेदनादायी प्रणाली का वे प्रयोग करेंगे. इसके तहत उनके हॉस्पिटल में इंस्ट्रावह्यस्कूलर अल्ट्रासाउंड (आयवीयूएस) का उपयोग करते हुए हृदय की रक्तनलियों में जो स्टेन्स डाले जाते है, उन्हें सटीक एवं सही तरीके से जोडा जा सकता है. सर्वाधिक उल्लेखनीय यह है कि, पश्चिम विदर्भ में पहलीबार डॉ. नीरज राघानी द्वारा इस प्रणाली का उपयोग एवं इस यंत्र के जरिये मरीजों का इलाज डॉ. नीरज राघानी द्वारा किया जा रहा है. आयवीयूएस के संदर्भ में डॉ. नीरज राघानी ने बताया कि, इस चिकित्सा प्रणाली के जरिये डॉक्टर अब मरीज के हृदय को रक्त आपूर्ती करनेंवाली रक्तवाहिनीयों को बेहद साफ व स्पष्ट तौर पर देख सकते है. विशेष बात यह है कि, आयवीयूएस के माध्यम से एंजीओप्लास्टी बेहद कुशल पध्दति से की जा सकती है. वैश्विक हृदय दिवस का औचित्य साधकर सामाजिक दायित्व की जिम्मेदारी के तहत डॉ. राघानी ने मरीजों के लिए यह सुविधा उपलब्ध करायी है. इस समय हृदयरोग की चिकित्सा हेतु वैश्विक स्तर पर जो संशोधन हुए और इसके तहत आयवीयूएस अंतर्गत जो प्रक्रिया की जाती है, वे काफी अधिक परिपूर्ण व किफायतशीर है. जिसमें रक्त वाहिनियों के सभी स्तर बेहद सुस्पष्ट तरीके से दिखाई देते है. साथ ही रक्तवाहिनीयों में रहनेवाले ब्लॉकेज भी स्पष्ट तौर पर दिखते है. जिसकी वजह से मरीज को भविष्य में काफी कम खतरा उत्पन्न होता है.
आयवीयूएस प्रणाली अल्ट्रासाउंड लहरों पर आधारित है. जिसमें कैथेटर होता है और उसके एक सिरे पर कैमेरे सहित एक ट्यूब होती है. जिसमें अल्ट्रासाउंड गुणधर्म होते है. इसके जरिये रक्तवाहिनीयों के अंदरूनी हिस्से की प्रतिमा बेहद तत्कालीन परिस्थिति के अनुसार ली जाती है और ट्यूब का दूसरा सिरा मशीन के साथ जोडा जाता है. इसमें अल्ट्रासाउंड के जरिये जो ईमेज ली जाती है, वह तुरंत ही मॉनीटर पर दिखाई देती है. साथ ही इन दिनों कैथेटर आ जाने की वजह से आयवीयूएस प्रतिमाओं में अधिक प्रगति हो गयी है. इस माध्यम से हृदयरोग का परिक्षण करने के साथ ही आगे की शल्यक्रिया बेहद अच्छे पध्दति से करना संभव हो गया है. हृदय के ब्लॉकेजेस के संदर्भ में जो उपचार किये जाते है, उन उपचार पध्दतियों के तंत्रज्ञान में बडे पैमाने पर प्रगति हुई है. साथ ही इन दिनों दवाईयों में पिघल जानेवाले स्टेन्स भी उपलब्ध है, जो हृदयरोग से पीडित मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है.
विशेष यह है कि, बेहद जटिल स्थिति में रहनेवाले मरीजोें में भी बेहद अच्छे वैद्यकीय परिणाम प्राप्त होते है. आयवीयूएस का प्रयोग करने से शल्यक्रियाएं ज्यादा परिणामकारक साबित होती है. ऐसा भी डॉ. निरज राघानी का कहना है. इस आधूनिक तंत्रज्ञान की वजह से मिलनेवाली ईमेज की वजह से हृदय के ब्लॉकेज एवं दर्द की गंभीरता को बेहतरीन तरीके से समझना संभव हो गया है और इस जरिये किये जानेवाले उपचार तथा उपयोग में लाये जानेवाले स्टेन्स को लेकर ज्यादा सही व सटीक निर्णय लेना संभव हुआ है. साथ ही शल्यक्रिया के बाद इस स्टेन्स की जगह और उसके प्रसारण को लेकर भी निर्णय लिया जा सकता है. जिसके चलते भविष्य की जटिलताओं को टाला जा सकता है. स्टेन्स की वजह से हृदय में रक्त जमा होने के जो मामले सामने आते है, उन्हेें भी टाला जा सकता है. आयवीयूएस प्रणाली विशेष तौर पर काफी अधिक खतरा रहनेवाले मरीजों के लिए बेहद प्रभावी है. जिन मरीजों को डायबिटीज व एक्टिव कॉरोनरी सिंड्रोम रहने के साथ ही जिनके मूत्रपिंड का कार्य बाधित है, ऐसे मरीजों के लिए यह चिकित्सा पध्दति बेहद प्रभावशाली है.
हृदयरोग टालने के लिए क्या करे
हृदयरोग के लिए कारणीभूत होनेवाली रक्तवाहिनीयां चरबी के अंतरलेप से मोटी हो जाती है और यह प्रक्रिया किसी एक कारण की वजह से नहीं होती. कई संशोधनों के बाद ऐसी अनेक बातें सामने आयी है. जिसकी वजह से यह विकार लगातार बढता जाता है, जिसे रिस्क फैक्टर कहा जाता है. जिसमें से कई कारणों को टाला जा सकता है और उन्हें दूर रखना बेहद आवश्यक है.
स्नीग्ध आहार टाले
अपने आहार में चरबीयुक्त भोजन ज्यादा रहने पर उसकी वजह से रक्त में कोलेस्ट्रॉल जैसे अन्य द्रव का प्रमाण बढता है. जिसका स्तर रक्तवाहिनीयों के भीतर मुलायम हिस्से पर जमने लगता है और रक्त वाहिनीयों के भीतर जगह धीरे-धीरे कम होने लगती है. जिसकी वजह से शरीर के अंगों को रक्त आपूर्ति का प्रमाण घटने लगता है. अन्य अवयवों की तुलना में हृदय और मस्तिष्क कई गूना अधिक नाजूक है. जो प्राणवायू व पोषण के अभाव को बिल्कूल भी सहन नहीं कर सकते. ऐसे में स्निग्धता प्रधान आहार खतरनाक बन जाता है. अत: जिन लोगों को हृदयरोग हो चुका है, अथवा जिन्हें हृदयरोग होने की संभावना है, उन्होंने अपने रक्त में चरबी का प्रमाण जांच लेना चाहिए.
योग्य व्यायाम करना जरूरी
शारीरिक कष्ट के काम करनेवाले मेहनती व्यक्ति की तुलना में बैठे काम करनेवाले लोगों में हृदयविकार का प्रमाण अधिक है. व्यायाम का अभाव रहनेवाले व्यक्ति के शरीर की कार्यक्षमता बेहद कम होती है. कोई भी शारीरिक काम करते समय ऐसे व्यक्ति के हृदय की धडकनों की गति बढ जाती है और उन्हें थकान जल्दी आती है. उनके खून में चरबी का प्रमाण काफी अधिक होता है. ऐसे में उन्हें अॅन्थो्नलोरोसिस की बीमारी होने और हृदय के रक्त आपूर्ति में दिक्कत आने के साथ ही खून के थक्के जमने की संभावना अधिक होती है. जिसके परिणामस्वरूप हृदयाघात का झटका आने का प्रमाण भी बढ जाता है.
तंबाखू का सेवन टाले
धुम्रपान करनेवाले व्यक्तियों में हृदयविकार का प्रमाण अन्य लोगोें की अपेक्षा दो से तीन गूना अधिक पाया जाता है. तंबाखू के निकोटिन की वजह से हृदय की धडकने, रक्तदाब व रक्त में चरबी का प्रमाण बढ जाता है. जिसके चलते रक्तवाहिनीयों में स्तर बढने लगते है और रक्त के थक्के जमा होने की प्रवृत्ति भी बढती है.
तनाव कम करना
जो लोग स्वभाव से उतावले व अति महत्वाकांक्षी रहते है, साथ ही कम समय में अधिक से अधिक चीजेें व उपलब्धीयां हासिल करना चाहते है, साथ ही जिन लोगों में चिडचिडापन अधिक रहता है और जिनका स्वभाव गुस्सेल होता है, उन्हें हृदयाघात होने का खतरा काफी अधिक होता है. हृदयविकार से ग्रस्त लोगों को चाहिए कि, वे मानसिक तनाव से दूर रहे. कई बार कुछ तकलीफदेह बातों को टाला नहीं जा सकता, लेकिन ऐसी बातों की वजह से मानसिक संतुलन ना बिगडने देना यह निश्चित तौर पर हमारे ही हाथ में है.
मधुमेह व उच्च रक्तदाब पर नियंत्रण
इन दोनोें विकारों के मरीजों में हृदयाघात का प्रमाण अधिक दिखाई देता है. जिसमें से कोई भी विकार रहनेवाले व्यक्ति ने तुरंत ही नियमित उपचार कराना आवश्यक होता है. साथ ही इन बीमारियों की आड में कही हृदयविकार तो नहीं हो गया, इसकी भी जांच समय-समय पर करानी चाहिए. यह बात विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए कि, डायबिटीक लोगों में हृदयविकार की समस्या उत्पन्न होने के बावजूद उसके कोई भी पूर्व लक्षण स्पष्ट तौर पर दिखाई नहीं देते.
आयवीयूएस के माध्यम से मरीजों का समाधान
आज वैद्यकीय तकनीक बडे पैमाने पर आधूनिक हो गयी है और अब हृदय संबंधी कम चिरफाड करनेवाले, कम वेदनादायी व भविष्य में हृदय की कोई समस्या दुबारा पैदा नहीं होने देनेवाले इलाज की सुविधा उपलब्ध है. इसके ही तहत मरीजों में इंट्राव्हैस््नयूलर अल्ट्रा साउंड यानी आयवीयूएस प्रणाली के जरिये जो स्टेन्स डाले जाते है, उसके जरिये बेहद जटिल स्थिति रहनेवाले मरीजों में भी अधिकतम परिणाम साध्य होते है. जिसकी वजह से मरीजों को अधिकतम समाधान प्राप्त होता है. आयवीयूएस के संदर्भ में डॉ. निरज राघानी बताते है कि, आयवीयूएस के माध्यम से डॉक्टर मरीज के हृदय को रक्त आपूर्ति करनेवाली रक्तवाहिनीयों के बिल्कूल आरपार देख सकते है और इस सुविधा की वजह से मिलनेवाली ईमेजस को देखते हुए रक्तवाहिनियों का अधिक निर्णायक वैद्यकीय निरीक्षण किया जाता है. उन्होंने बताया कि, कैथलैब में रक्तवाहिनियों की जो एंजीओग्राफी की जाती है, या बिना चिरफाड करते हुए जो सिटीस्कैन किया जाता है, उससे कही अधिक अत्याधूनिक व प्रभावी पध्दति आयवीयूएस को कहा जा सकता है.
विश्व हृदय दिवस पर कम खर्च में उत्तम सेवा
बता दें कि, एंजीओप्लास्टी के लिए सामान्य तौर पर किसी भी मरीज को करीब दो लाख रूपयों का खर्च आता है, लेकिन २९ सितंबर को विश्व हृदय दिवस के उपलक्ष्य में डॉ. निरज राघानी ने अपने सामाजिक दायित्वों के तहत इस शुल्क में कटौती करते हुए पहले आनेवाले दस मरीजों पर मात्र १ लाख २५ हजार रूपये में शल्यक्रिया की. इसके साथ ही झेनिथ हॉस्पिटल में रोटाएबलेशन यंत्र की उपलब्धता भी अमरावती सहित विदर्भ के मरीजोें हेतु नवसंजीवनी साबित होगा. इस यंत्र की सहायता से हृदय की नसों में ब्लॉकेजेस को स्पष्ट तौर पर देखा जा सकेगा. इसमें भी यह विशेष उल्लेखनीय है कि, अन्य जिलों के निजी अस्पतालों में इलाज असफल रहनेवाले मरीजों पर झेनिथ हॉस्पिटल में पूरी सफलतापूर्वक शल्यक्रिया की गई है. इसी श्रेणी में एफएफआर की उपचार पध्दति अंतर्भूत है और इस संदर्भ में डॉ. राघानी ने बताया कि, इस अत्याधूनिक मशीन के माध्यम से ब्लॉकेजेस में दबाव का परीक्षण किया जाता है. २० प्रतिशत से अधिक दबाव रहने पर ब्लॉकेजेस को खोलना बहुत जरूरी होता है. वहीं इससे कम दाब रहनेपर ऐसा करना जरूरी नहीं होता. जबलपुर तथा नागपुर निवासी मरीजों का एफएफआर के जरिये नसों में ब्लॉकेजस खोजकर उनपर परिणामकारक इलाज किया गया. इसमें भी यह विशेष उल्लेखनीय है कि, यह इलाज बेहद कम से कम खर्च में संभव हुआ है.
सामाजिक सेवा को प्राधान्य
शहर के सुपरचित हृदयरोग तज्ञ डॉ. निरज राघानी द्वारा पीडीएमसी में आनेवाले सर्वसाधारण व गरीब मरीजों को उनकी सेवा का नि:शुल्क लाभ मिलने हेतु सप्ताह में एक बार पीडीएमसी अस्पताल में जाकर अपनी सेवाएं प्रदान करते है. इसके अलावा जिला सामान्य अस्पताल, जिला स्त्री अस्पताल से आनेवाले मरीजों सहित विधवा महिलाओं व पूर्व सैनिकों को ओपीडी में ५० प्रतिशत छूट भी अपने अस्पताल में देते है. इस सामाजिकता की भावना को विगत अनेक वर्षों से डॉ. निरज राघानी ने जीवित रखा है. इसमें भी यह विशेष उल्लेखनीय है कि, अ्नसर यह कहा जाता है, कि रोग से भयानक उसका इलाज होता है. ऐसे में रोग ही न हो, इस हेतु जीवनशैली कैसी हो, इसे लेकर डॉ. नीरज राघानी द्वारा समय-समय पर स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन भी किया जाता है.
उपलब्ध सुविधा – कार्डियॉलॉजी – कोरोनरी एंजीओग्राफी व एंजीओप्लॉस्टी, पेरीफीरल एंजीओग्राफी व एंजीओप्लॉस्टी, न्यूरो इंटरवेंशन, पेसमेकर इंटरवेंशन, सीआरटी (कार्डीअॅक रिसॅक्रोनायझेशन थेरपी), एएसडी, व्हीएसडी, पीडीए डिव्हाईस क्लोज़र, होल्टर मॉनीटर, ईको कार्डीओग्राफी, २४ घंटे एम्बुलेटरी बी.पी. टीएमटी (ट्रेड मिल टेस्ट) नॅफ्रोलॉजी – हिमोडायलीसीस, किडनी बायोप्सी, प्लाझमाफेरेसिस, पेरीटोनीयल डायलीसीस, सीएपीडी, सीव्हीएचडी, कन्टीनयूअस व्हेनो – व्हीनस हिमोडायलिसीस ऑथ्रोपॅडीक- फ्रॅ्नचर सर्जरी, हिप व घुटना शल्यक्रिया द्वारा बदलना, स्पाईन सर्जरी, इंटरनलमेडिसीन हृदयरोग – शस्त्रक्रिया विभाग – मॉड्यूलर सीव्हीटीएस ऑपरेशन थिएटर – इंटरव्हेंशन रेडीऑलॉजी – सेेंट्रल एअरकंडीशन्ड, वेल इ्नयूप्ड स्पेसियन ११ बेड आयसीयू, ६ बेड सीसीयू विथ ऑफ हाय अॅन्ड इ्नयूपमेंटस्, एसी स्पेशल रूम्स्, जनरल वॉर्ड.
आधुनिक सुविधाओं से सुसज्ज झेनिथ हॉस्पिटल
आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित झेनिथ हॉस्पिटल में ५० बेड की व्यवस्था है और यहां पर इमरजन्सी सेवा को प्राथमिकता दी जाती है. इसके अलावा निरोगी जीवनशैली के लिए वॉकेथान हृदय को मजबूत रखने हेतु साय्नलोथॉन का आयोजन किया जाता है. इसके अलावा जीवनशैली कैसी हो, इसे लेकर मार्गदर्शन शिविरोें का भी आयोजन किया जाता है. ऐसे में यह कहना अतिशयोक्ती नहीं होगा कि, डॉ. नीरज राघानी विगत अनेक वर्षों से अमरावतीवासियों के निरोगी जीवन के लिए सतत प्रयासरत है.
छोटे बच्चों का भी इलाज यहां
यह सर्वाधिक उल्लेखनीय है कि, अपने सामाजिक दायित्वों का भान रखते हुए डॉ. नीरज राघानी प्रत्येक माह के पहले गुरूवार को केवल ५०० रूपये में टूडी-ईसीजी के माध्यम से छोटे बच्चों के हृदयरोग का इलाज करते है. इस काम हेतु अन्य स्थानों पर करीब २ हजार रूपये का खर्च आता है. इसके साथ ही हृदय में छिद्र रहनेवाले कई बच्चों की डॉ. नीरज राघानी पीडीएमसी में नि:शुल्क शल्यक्रिया भी करते है. वे अब तक करीब ७५० बच्चों का सफलतापूर्वक ऑपरेशन व इलाज कर चुके है. विशेष यह है कि, शरीर के प्रत्येक अवयव की नसों का उपचार यहां पर किया जाता है. वेरीकोज वेन्स तथा इससे संबंधित सभी बीमारियों का इलाज झेनिथ हॉस्पिटल में बेहद वाजीब दरों पर किया जाता है.