सर्वसामान्य घटकों के देव हैं राज्यमंत्री बच्चु कडू
मैंने अपनी आंखों से इन्सान के रूप में चलता-फिरता देवता देखा है और यह देवता है भुमिहीन किसानों, मेहनती मजदूरों तथा दिव्यांगों व अनाथों जैसे वंचित घटकों के लिए हमेशा कार्यतत्पर रहनेवाले राज्यमंत्री बच्चु कडू.
ममता की छांव क्या होती है, यह समझ में आने से पहले ही अनाथ हो चुके बच्चों को इससे पहले 18 वर्ष की आयु पश्चात अनाथालय से बाहर निकाल दिया जाता था. जिसके बाद उन्हें विभिन्न सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक समस्याओं का सामना करना पडता था. ऐसे में इन बच्चों के लिए कुछ न कुछ किया जाना चाहिए और उन्हें उनका अधिकार दिलाना चाहिए, इस भावना के तहत बच्चुभाउ ने विधायक रहते समय वर्ष 2016 में सबसे पहले अनाथों की समस्या को विधानसभा में उठाया. पश्चात महाविकास आघाडी सरकार में महिला व बालविकास विभाग के राज्यमंत्री के तौर पर जिम्मेदारी मिलते ही उन्होंने अनाथों की समस्याओं को हल करने में किसी तरह का कोई विलंब नहीं किया, बल्कि इस मसले को लेकर लगभग एक वर्ष के दौरान विभिन्न विभागों के साथ तीन बैठकें आयोजीत की. जिसके परिणाम स्वरूप अनाथों से संंबंधित कुल 32 विषयों पर काम शुरू किया गया. जिसमें से आधे से अधिक विषयों का निपटारा करते हुए बच्चुभाउ के जरिये विभिन्न शासन निर्णय जारी किये गये.
इसके तहत अनाथों की समस्याओं को हल करने हेतु अनाथ सलाहकार समिती की स्थापना की गई. महिला व बालविकास विभाग अंतर्गत भरे जानेवाले ठेका नियुक्त पदों हेतु अनाथों को प्राथमिकता देना तय किया गया. अनाथों को राशनकार्ड देने के बारे में संशोधित निर्णय लिया गया. अनाथों के लिए अलग मानक लगाते हुए उन्हें पात्र करने के बारे में महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग के साथ बैठक लेते हुए करीब 14 अनाथ बच्चों को न्याय दिलाया गया. साथ ही अनाथ बच्चों को नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करायी गयी. इसके अलावा और भी कई योजनाएं प्रस्तावित है. ऐसे में राज्यमंत्री बच्चु कडू को सही मायनों में अनाथों का नाथ कहा जा सकता है. हम अनाथों के लिए देवतातुल्य रहनेवाले राज्यमंत्री बच्चु कडू को राज्य के सभी अनाथ बंधुओं की ओर से जन्मदिन की हार्दीक शुभकामनाएं. साथ ही ईश्वर उन्हें स्वस्थ व दीर्घायू रखे, ऐसी मंगलकामना.
-नारायण इंगले (अनाथ)