कल से 11 दिन बाप्प का मुक्काम

विघ्नहर्ता के आगमन की तैयारियां पूर्ण

* गणेश भक्त व सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल सूसज्ज
* शहर के अनेक मंडलों में रहेगी आकर्षक झांकिया
अमरावती/दि. 26 – 14 विद्या और 64 कला के अधिपति रहे गणेशोत्सव का कल बुधवार 27 अगस्त से शुभारंभ हो रहा है. इस निमित्त शहर समेत संपूर्ण जिले में उत्साह का वातावरण निर्माण हो गया है. इस वर्ष शुभ और पवित्रता का एहसास दिलानेवाला गणेशोत्सव 11 दिनों का है और भक्तगण व सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल सुसज्ज हो गए है. यह उत्सव अंतिम क्षण तक पुरे जोश में रहेगा और सभी को अपने प्रिय लाडले विघ्नहर्ता के आगमन की प्रतीक्षा लगी है.
हर घर में स्वच्छता अभियान पूर्ण हो गया है. आज मंगलवार 26 अगस्त को हरतालिका तीज है और कल बुधवार को गणेश चतुर्थी है. इस लिए हर घर में तैयारी शुरू हो गई है. खासकर महिला समुह ने उत्सव की योजना बनाने का फैसला कर लिया है. कुछ लोगों ने रविवार को ही ज्यादातर खरीददारी कर ली है और बुधवार को जरूरी सामान समय पर लाकर उत्सव पूरे जोश के साथ प्रारंभ होनेवाला है. जबकि कुछ की सजावट अब लगभग पुरी होनेवाली है. सार्वजनिक मंडलों ने एक महिने से समीक्षा बैठक लेते हुए रात दिन अनोखी योजनाओं के साथ ‘बाप्पा’ के आगमन की तैयारी की है. शहर के किसी इलाके में जाने पर गणेशोत्सव की जीवंत बयार बह रही है. हर कोई उत्सव के लिए पूरी तरह से उत्साहित है. कल बुधवार से शुरू होनेवाला यह उत्सव पूरे वर्ष के लिए पर्याप्त उत्साह, आनंद और संतुष्टि प्रदान करनेवाला है. शहर के विभिन्न इलाकों में गणेश प्रतिमाओं की दूकानें लगने के बाद से मनमोहक मूर्तियां देखने मिल रही है. अधिकांश लोगोें ने गणेश प्रतिमाओं का पहले से ही पंजीकरण करवा लिया है. घरेलू और सार्वजिनक गणेश मंडलों ने मुर्तिकारों के साथ पंजीकरण करा लिया है. कई लोग गणेश चतुर्थी की पूर्व संध्या पर गणेश प्रतिमाएं अपने घर ले जाते है. हालांकि हम पिछले कुछ वर्षों से बारिश और यातायात जाम का सामना कर रहे है. इसलिए लोग व्यस्त समय में भीड से बचने के लिए गणेश प्रतिमाओं को अपनी सुविधा के मुताबिक ले जाने की जल्दी कर रहे है.
* निलकंठ में विठ्ठल नगरी और विदर्भ के राजा राजमहल में
शहर के खापर्डे बंगीचा स्थित न्यू आजाद गणेशोत्सव मंडल में हर वर्ष की तरह विदर्भ के राजा राजमहल में विराजमान होंगे. राजा के दर्शन के लिए आनेवाले भक्तगणों को कतारबध्द तरिके से सुविधा की गई है. इस वर्ष भी 1001 किलो मोतीचूर लड्डु का भोग अर्पण किया जाएगा. यहां पहले दिन से ही श्रध्दालुओं की दर्शनार्थ अपार भीड रहती है. इस कारण शाम से यह मार्ग वाहनों की आवाजाही के लिए बंद किया जाता है. इसी तरह परकोट के भीतर पुराना अमरावती के बुधवारा के निलकंठ व्यायाम शाला, आजाद हिंद मंडल तथा लक्ष्मीकांत मंडल में आकर्षक झांकिया तैयार की गई है. इस बार पंढरपुर, पांडुरंग नगरी की झांकी साकार की गई है. पारंपारिक सिंहासन पर विराजमान गणेश प्रतिमा को स्थापित किया जाएगा. इसी तरह झांकी के रूप में साक्षांत पंढरपुर साकार करने का प्रयास होगा. श्री की स्थापना शोभायात्रा भी वारकरी अंदाज में निकलेगी. जिसमें रिंगन और दिंडियां रहेगी. विठ्ठल और रूक्मिणी माई के दर्शन इस वर्ष आकर्षण का केंद्र रहेगी.
* आजाद हिंद मंडल में शिर्डी की झांकी
बुधवारा के आजाद हिंद मंडल में इस बार साक्षात शिर्डी साकार की जा रही है. शिर्डी के साई मंदिर की तरह भव्य प्रवेश द्बार रहेगा और मंडल के सभागार में साईबाबा मंदिर का गर्भगृह साकार होगा. इसे साकार करने में अकोला से संतोज कनोजिया व उनके सहयोगी आर्टीस्ट पिछले एक पखवाडे से परिश्रम कर रहे है. इसी तरह सहकार नगर के अमरावती का राजा गणपति मंडल में इस वर्ष वृंदावन के प्रेम मंदिर समेत अलग- अलग आकर्षक झांकिया तैयार की गई है.श्रीकृष्ण पेठ के गणेश मंडल ने इस बार गणेशजी के भ्राता कार्तिकेय के मंदिर की झांकी सजाई गई है. राजापेठ के शहीद भगतसिंह मंडल में इस बार राजस्थान के खाटू स्थित श्री श्याम बाबा का दरबार बडी श्रध्दा और उत्साह से सजाया गया है. सायंस्कोर मैदान के रूक्मिणी मंडल में दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर की झांकी साकार की गई है. इन प्रमुख सार्वजनिक गणेश मंडलों के अलावा शहर के अन्य स्थानों पर भी आकर्षक झांकियां साकार की गई है.
गणेश स्थापना दोपहर 1.30 बजे तक
बुधवार 27 अगस्त को विघ्नहर्ता का आगमण हो रहा है. गणेश मूर्ति की स्थापना सूर्योदय से लेकर दोपहर 1.30 बजे तक की जानेवाली है. महाराष्ट्रीयन पंचांग के मुताबिक इस वर्ष गणेश चतुर्थी को दोपहर 3.43 बजे तक भद्रा है. लेकिन गणेश स्थापना को भद्रा का निषेध नहीं है. इसी तरह रविवार 31 अगस्त को श्री महालक्ष्मी का घर-घर आगमण होनेवाला है. यह तीन दिन का व्रत नक्षत्र प्रधान है. 31 अगस्त की शाम 5.25 बजे तक अनुराधा नक्षत्र रहने से महालक्ष्मी का आवाहन अपनी कुल परंपरा के अनुसार किया जाना चाहिए. 1 सितंबर को शाम 7.53बजे तक ज्येष्ठा नक्षत्र है. इस कारण पारिवारिक परंपरा के अनुसार पूजा व महानैवेद्य किया जा सकता है. मंगलवार को मुल नक्षत्र पूरे दीन मौजूद है. इसलिए उस दिन महालक्ष्मी का विसर्जन किया जा सकता है.

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