बुलढाणा

प्रसूति के समय महिला के पेट में बैंडेज भूल गये डॉक्टर, महिला की हुई मौत

अक्षम्य लापरवाही

बुलडाणा/दि.24 – डॉक्टरों को परमेश्वर का रूप कहा जाता है. किंतु इन्हीं डॉक्टरों की छोटी-मोटी गलतियों के चलते कभी-कभी मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पडता है. ऐसे समय डॉक्टरों में एक तरह से यमदूत भी दिखाई देता है. ऐसी एक घटना में डॉक्टर की गलती की वजह से एक महिला की जान चली गयी. यह घटना बुलडाणा जिले के खामगांव में घटित हुई है.
मिली जानकारी के मुताबिक खामगांव उपजिला अस्पताल में प्रसूति के दौरान सिजेरियन की शल्यक्रिया करते समय डॉक्टर एक महिला के पेट में बैंडेज का गोला भूल गये. जिसकी वजह से इस महिला की हालात बिगडनी शुरू हुई. साथ ही पायजनिंग होने की वजह से इस महिला की मौत हो गयी. जिसकी शिकायत करते हुए महिला के रिश्तेदारों ने लापरवाह डॉक्टरों के खिलाफ अपराध दर्ज करने की मांग की है और मामले की शिकायत खामगांव शहर पुलिस में दर्ज करायी है. मृतक महिला के पति ने इस पूरे मामले की शिकायत जिला शल्य चिकित्सक व जिला पुलिस अधीक्षक से भी की है. इस पूरे मामले में सबसे दु:खद बात यह रही कि सिजेरियन के जरिये जन्मे बच्चे ने पैदा होते ही अपनी मां को खो दिया. मृतक महिला का नाम पूजा पाखरे बताया गया है. जो बुलडाणा जिले के संग्रामपूर तहसील अंतर्गत कवठल गांव निवासी है. इस महिला को प्रसूति के लिए 7 अप्रैल को खामगांव के उपजिला अस्पताल में भरती कराया गया था. जहां पर उसका सिजेरियन किया गया और उसने एक बेहद प्यारे से बच्चे को जन्म दिया. पश्चात पूजा पाखरे के पेट में अचानक तेज दर्द उठना शुरू हुआ. जिसके चलते 11 अप्रैल को उसे अकोला रेफर किया गया. जहां पर तबियत ठीक होने के बाद पूजा साखरे को डिस्चार्ज दिया गया. किंतु 10 जून को पूजा साखरे को एक बार फिर पेट दर्द की शिकायत होनी शुरू हुई. जिसके चलते उसके परिजनोें ने उसे खामगांव के डॉ. अरविंद पाटील के अस्पताल में भरती कराया. इस दौरान डॉक्टरों द्वारा सोनोग्राफी किये जाने पर पूजा के पेट में गोले जैसी कोई वस्तू देखी गई. ऐसे में 12 जून को डॉक्टरों की सलाह के अनुसार पूजा के पति परमेश्वर पाखरे ने पूजा को उसके मायके मोताला स्थित डॉ. शरद काले के अस्पताल में अगले इलाज के लिए भरती कराया. जहां पर पूजा की शल्यक्रिया की गई और पूजा के पेट से कपास के बैंडेज का गोला निकला. इस समय पूजा पाखरे की स्थिति लगातार बिगडती चली गयी. ऐसे में उसे बुलडाणा स्थित सहयोग हॉस्पिटल में भरती कराया गया. किंतु पूजा के पेट में पॉयजन काफी हद तक फैल चुका था और उसी रात 11 बजे पूजा की मौत हो गई. इसके साथ ही पूजा का बेटा दो माह में ही मातृछत्र से वंचित हो गया. जिसके लिए पूरी तरह से डॉक्टरों की लापरवाही को जिम्मेदार माना जा रहा है.

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