बुलढाणामुख्य समाचार

बुलडाणा के किसान पुत्र की उंची उडान

राजू केंद्रे ने बनाई फोर्ब्स की सुची में जगह

बुलडाणा/दि.8- महाराष्ट्र में उच्च शिक्षा के लिए कार्यरत रहनेवाले एकलव्य फाउंडेशन के संस्थापक व सीईओ राजू केंद्रे ने फोर्ब्स की सामाजिक कार्य उद्यमशिलता कैटेगिरी में देश के 30 वर्ष से कम आयुवाले 30 प्रभावशाली युवाओें की सुची में अपनी जगह बनायी है. 28 वर्षीय राजू केंद्रे फिलहाल ब्रिटीश सरकार की चेवनिंग स्कॉलरशिप पर लंदन में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे है. विमुक्त जाती से वास्ता रखनेवाले किसी किसान पुत्र को इस सूची में शामिल होने का संभवत: पहली बार सम्मान मिला है.
बता दें कि, राजू केंद्रे बुलडाणा जिले के पिंपरी खंडारे नामक छोटे से गांव से वास्ता रखते है और उनके माता-पिता की प्राथमिक शिक्षा भी नहीं हुई है. खुद राजू ने अपनी शालेय शिक्षा जिला परिषद की शाला में पूर्ण की और कलेक्टर बनने की अभिलाषा लेेकर स्नातक शिक्षा प्राप्त करने हेतु वे पुणे गये. जहां पर कोई मार्गदर्शक नहीं रहने की वजह से काफी प्रयास के बाद भी होस्टल नहीं मिला और इसी दौरान फर्ग्यूसन कॉलेज में प्रवेश की तारीख भी निकल गई. ऐसे में उन्होंने किसी जीपीओ में काम करने का प्रयास किया, किंतु वहां पर भी वैदर्भिय भाषा की वजह से वे टीक नहीं पाये और उन्हें कुछ ही माह के भीतर पुणे छोडकर वापिस लौटना पडा. साथ ही पुणे विद्यापीठ में रहनेवाली अपनी एडमिशन मुक्त विद्यापीठ में शिफ्ट करनी पडी. ऐसे में अपने जैसे विद्यार्थियों की सहायता व मार्गदर्शन करने के लिए राजू केंद्रे ने एकलव्य नामक एक प्लेटफॉम तैयार किया, ताकि बहुजन समाज के बच्चों को उच्च शिक्षा में आनेवाली समस्याओ को कम किया जा सके और वे भी वैश्विक स्तर की शिक्षा प्राप्त कर सके.
वर्ष 2012 में मुक्त विद्यापीठ में पढते समय राजू केंद्रे को आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में जाने का अवसर मिला. जहां पर मेलघाट मित्र गुट के साथ उन्होंने दो वर्ष तक काम किया. कलेक्टर बनकर भविष्य में सामाजिक बदलाव लाने का सपना देखते समय राजू केंद्र आदिवासी क्षेत्र की तत्कालीन समस्याओं को देखकर बेचैन हो जाया करते थे औरा उन्होंने इन सवालों का जवाब खोजने का फैसला करते हुए अधिकारी बनने का सपना छोड दिया. साथ ही टाटा इन्स्टिटयूट से ग्रामीण विकास विषय में पदव्युत्तर की पढाई करते समय ग्राम परिवर्तन अभियान के जरिये अपने ही गांव में काम करने का निश्चय किया. इसके साथ ही उन्होंने वर्ष 2015 में ग्राम पंचायत का चुनाव लडने का निर्णय लिया और अपना घोषणापत्र बाकायदा स्टैम्प पेपर पर बनाकर गांववासियों को दिया. किंतु प्रस्थापित राजनेताओं के सामने उन्हें हार का सामना करना पडा. इसके साथ ही राजू केंद्रे ने महाराष्ट्र सरकार के ग्रामीण विकास फेलोशिप में काम करते हुए घुमंतू समुदाय को विकास की मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया. उनके इन कामों को राज्य सरकार द्वारा भी गंभीरता से लिया गया. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में किताबें उपलब्ध कराने हेतु राजू केंद्रे ने पुणे, ठाणे, औरंगाबाद, यवतमाल, अमरावती व मुंबई से 30 हजार से अधिक किताबें जमा की. जिन्हें ग्रामीण क्षेत्र में ग्रंथालय बनाने हेतु वितरित किया गया.

Related Articles

Back to top button