बुलढाणा

अतिवृष्टि के कारण 56 हजार क्विंटल कच्चे बिज कम मिलेंगे

महाबीज के जिला व्यवस्थापक आर.एस.मोराले ने दी जानकारी

बुलढाणा/दि.25 – जिले में हुई अतिवृष्टि व महाबीज कर्मचारियों के आंदोलन के कारण बीजोत्पादन प्रक्रिया को कुछ हद तक झटका लगा है. राज्य का बुलढाणा जिला यह बीजोत्पादन प्रक्रिया के लिए पहले स्थान पर है. परंतु इस वर्ष सोयाबीन बिज नहीं उगने के कारण किसानों की ओर से शिकायतें बढी थी. इस पार्श्वभूमि पर महाबीज के जिला व्यवस्थापक आर.एस.मोराले से संवाद साधा गया. इस संवाद को मोराले ने दिलखोलकर जवाब दिये.
इस वर्ष अतिवृष्टि के कारण बाजोत्पादन प्रक्रिया आहत हुई है क्या? इस सवाल के जवाब में मोराले बताया कि इस वर्ष कुछ जिलों में हुई अतिवृष्टि के कारण बीजोत्पादन प्रक्रिया में कुछ हद तक घट हुई है. 1 लाख 74 हजार 825 क्विंटल बिज प्राप्ती का उद्देश्य था, लेकिन अतिवृष्टि के चलते इस वर्ष 1 लाख 18 हजार क्विंटल इतने ही बिज उपलब्ध होने की संभावना है. कर्मचारियों के आंदोलन के कारण बीजोत्पादन प्रक्रिया को झटका लगा है.
जिले की बीजोत्पादन क्षमता कितनी?- इसपर मोराले ने बताया कि बुलढाणा जिले में महाबीज अंतर्गत चिखली में 80 हजार क्विंटल, मलकापुर में 25 हजार क्विंटल, खामगाांव में 10 हजार क्विंटल तक कच्चे बिजों से गुवणत्तापूर्ण बिज बनाए जाते है. इसके अलावा बुलढाणा अर्बन के एक प्लांट मेें 15 हजार क्विंटल तक बिज उपलब्ध करने की क्षमता है.
खरीफ हंगाम के लिए बिज तैयार होते है क्या?- इसपर मोराले ने बताया कि बुलढाणा जिला में खरीफ व रबी फसल के लिए बिज बनाए जाते है. खरीफ के लिए 1 लाख 74 हजार 825 क्विंटल तो रबी के लिए 50 हजार क्विंटल बिज बनाने का इस वर्ष का उद्देश्य है.
सब्जीभाजी बियाने के संबंध में क्या स्थिति है? – इसपर मोराले ने बताया कि जिले में सब्जी भाजी बिज भी महाबीज अंतर्गत तैयार किये जाते है, लेकिन प्रमुख तौर पर हमारे यहां संकरित भिंडी, दुधी भोपला, शिरे दोडका आदि प्रकार के बिज उत्पादन को प्राधान्य दिया जाता है. सब्जीभाजी के इस वर्ष 63 क्विंटल तक बीजोत्पादन लिया जाएगा. प्याज बीजोत्पादन के लिए 17 हेक्टेयर खेती का उपयोग किया जाएगा. इसमें प्रमुख तौर पर चिखली, देऊलगांवराजा, मेहकर व सिंदखेडराजा इस क्षेत्र में प्याज के बिज का उत्पादन लिया जाता है. 150 से 170 क्विंटल तक प्याज के बीज तेैयार होते है.
बीजोत्पादन प्रक्रिया में कितने किसान हिस्सा लेते है?- इसपर मोराले ने बताया कि जिले के तकरीबन 6 हजार किसान बिजोत्पादन प्रक्रिया में हिस्सा लेते है, उन्हें बाजार भाव की तुलना में 25 टक्के से अधिक रेट हमारी ओर से दिया जाता है. लगभग 50 से 60 करोड तक बीजोत्पादन की प्रक्रिया में किसानों को इंकम मिलता है.
कौनसी फसल के बीज बदलने का प्रमाण कम है?- इस पर मोराले ने बताया कि जिले में प्रमुख रुप से चना फसल के बीज बदलने का प्रमाण कम है और वह 20 प्रतिशत ही है. रबी फसल के बीज बदले का प्रमाण जिले में ही कम से कम 20 से 25 प्रतिशत के आसपास है.

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