बुलढाणामुख्य समाचारविदर्भ

आधे घंटे तक वह दबा रहा जेसीबी के नीचे

हर आने-जाने वाले से लगाता रहा अपनी जान बचाने की गुहार

* जेसीबी के नीचे दबकर 19 वर्षीय युवक की दर्दनाक मौत
* बुलढाणा जिले के मेहकर की खौैफनाक घटना
बुलढाणा/दि.10- जिले की मेहकर तहसील अंतर्गत उमरा देशमुख गांव में आज दोपहर 1 बजे एक बेहद ही हृदयविदारक घटना घटित हुई. जब अपने परिवार का आधार रहनेवाले 19 वर्षीय युवक पर काल ने बडे ही खौफनाक तरीके से झपट्टा मारा. इस युवक के शरीर पर करीब आधे घंटे तक भारी-भरकम जेसीबी मशीन चढी रही. जिसके नीचे दबा यह युवक ‘मुझे बचा लो, मुझे बचा लो’ की गुहार लगाता रहा. लेकिन मौके पर उपस्थित लोगों की भीड कुछ भी नहीं कर पाई तथा हर कोई उसे अपनी आंखों के सामने मरते हुए देखता रहा.
जानकारी के मुताबिक मेहकर तहसील के उमरा देशमुख में रहनेवाला अक्षय किसनराव देशमुख नामक 19 वर्षीय युवक ने अपने पिता की आकास्मिक मौत के बाद अपनी मां व परिवार की जिम्मेदारी को अपने कंधे पर ले लिया था. गत वर्ष ही कक्षा 12वीं की पढाई पूरी करने वाले अक्षय देशमुख ने इस वर्ष अगली कक्षा में प्रवेश लेने के साथ ही अपना घर चलाने के लिए अपनी खेतीबाडी में भी ध्यान देना शुरु किया. चूंकि इस समय खरीफ का नया सीजन शुरु होने में है. ऐसे में खेत में काम करने हेतु विगत दो दिनों से अक्षय जेसीबी की खोज कर रहा था. इसके बाद एक जेसीबी चालक उसके खेत में आने के लिए तैयार हुआ और आज अक्षय के खेत में काम करना तय हुआ. ऐसे में अक्षय आज सुबह काफी जल्दी उठकर बडे उत्साह के साथ खेत में पहुंच गया. जहां पर जेसीबी के आने पर कहां किस तरह काम करना है यह बताने के लिए वह जेसीबी चालक के बगल में जाकर बैठ गया. लेकिन कुछ ही देर में काल ने अक्षय देशमुख पर अपना झपट्टा मारा और खेत में काम कर रहा जेसीबी अचानक उलट गया. ऐसे में चालक के बगल में बैठा अक्षय देशमुख जेसीबी के नीचे गिरा और भारी-भरकम जेसीबी के नीचे दबकर अटक गया. इसके बाद खुद को बचाने के लिए अक्षय ने चीख पुकार करना और मदद हेतु गुहार लगाना श्ाुरू किया. लेकिन खेत में उलटे जेसीबी को हटाना या हिलाना किसी के लिए भी संभव नहीं था. ऐसे में अक्षय करीब आधे घंटे तक उसी जेसीबी मशीन के नीचे दबा रह गया. इस समय मौके पर उपस्थित लोगों ने तुरंत दौडभाग करते हुए दूसरे जेसीबी को बुलाया. जिसकी सहायता लेते हुए खेत में उलटी पडी जेसीबी को हटाकर अक्षय को बाहर निकाला गया और उसे मेहकर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन अक्षय की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे तुरंत छत्रपति संभाजीनगर रेफर किया गया. परंतु रास्ते में ही अक्षय ने दम तोड दिया. इस पूरी घटना के दौरान अपनी अंतिम सांस तक अक्षय के मुंह से केवल इतना ही निकल रहा था कि ‘ओ दादा, ओ भाउ, मुझे बचा लो’. यानी अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों के प्रति संजीदा रहनेवाले अक्षय में जीने की अदम्य लालसा थी. लेकिन नियती के आगे किसी का कोई जोर नहीं चल सका और अक्षय को बचाया जा नहीं सका.

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