बुलढाणा/दि.29 – जिले में उल्कापात के कारण तैयार लोणार झील के आसपास प्लास्टिक के कचरे से झील के जीवाणु पर बुरा असर हो रहा है, यह बात एक अध्ययन में सिद्ध हुई है. लोणार परिसर में प्लास्टिक का संग्रह बढता गया तो, झील के सभी जीव कुछ ही वर्षो में नष्ट हो जाने का डर संशोधन मेें व्यक्त किया गया है.
सावित्रिबाई फुले विद्यापीठ पुणे के जीवशास्त्र के अध्ययनकर्ता डॉ. समाधान फुगे और प्रा. सचिन गोसावी ने लोणार झील में प्लास्टिक के कणों से हो रहे दुष्परिणाम पर संशोधन किया है. उनका शोध निबंध अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ‘एन्व्हॉयमेंटल सायंस एण्ड पोल्यूशन रिसर्च’ में प्रकाशित हुआ है.
ुफुगे और गोसावी के संशोधन के अनुसार लोणार झील को प्लास्टिक के सुक्ष्म कण ने अधिक दूषित किया है. उन्होंने झील के पानी और गाद के नमूने जमा कर उसका अध्ययन किया. इन नमूनों में 16 प्रकार के सूक्ष्म प्लास्टिक कण पाए गए. यह भी देखा गया कि पानी में इन सूक्ष्म कणों का प्रसार और आकार बदल रहा है. जबकि यह झील अत्यंत दुर्लभ और वैशिष्टपूर्ण जीव-जंतु और शैवाल का लाखों वर्षो से अस्तित्व टिकाए हुए हैं. शोध निबंध में स्पष्ट किया गया कि प्लास्टिक सूक्ष्म कणों से झील में प्रदूषण के कारण जीव-जंतु और जैव रासायनिक प्रक्रिया को खतरा पैदा हो गया है.
* समय पर उपाय जरुरी
लोणार झील परिसर की सीता न्हानी पवित्र कुंड में कथित पापक्षालन हेतु स्नान करनेवालो की भारी भीड होती है. झील परिसर में यह लोग बडी संख्या में और धडल्ले से प्लास्टिक का उपयोग करते हैं. उसका उचित निष्पादन नहीं हो रहा. कई बार यह प्लास्टिक पानी में बह रहा है, जिससे जीव-जंतुओं पर असर हो रहा है. दोनों संशोधक डॉ. फुगे तथा डॉ. प्रा. गोसावी ने समय पर उपाययोजना करने की अपेक्षा व्यक्त की है. उपायोजना के रुप में झील परिसर में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने और सीता न्हानी में स्नान करते समय साबुन या शैम्पू का भी इस्तेमाल रोकने के उपाय शामिल है.