* 4 गांव जाना चाहते थे एमपी में
* सुलझाएंगे जाति प्रमाणपत्र की भी समस्या
बुलढाणा/दि.16 – सतपुडा पर्वत श्रेणी के आदिवासी बहुल जलगांव जामोद तहसील अंतर्गत धिंगारा, चालीसटापरी और गोमाल एक तथा दो यह चार गांव मूलभूत नागरी सुविधाएं नहीं होने से मध्य प्रदेश शासन अंतर्गत जाने को उतावले थे. इस आशय का निवेदन इन गांव के लोगों ने जिलाधीश एच. पी. तुम्मोड को दिया. जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया है. जिलाधीश ने ग्रामीणों की समस्याओं का निपटारा करने का आश्वासन दिया. इस बीच गुरुवार को विधायक डॉ. संजय कुटे ने धिंगारा गांव में सडक निर्माणकार्य शुरु कर दिया है. अगले कुछ दिनों में सडक तैयार हो जाने का आश्वासन उन्होंने धिंगारावासियों को दिया है. सडक का भूमिपूजन स्वयं डॉ. कुटे ने किया. उधर ग्रामीणों का कहना है कि, सडक निर्माण तथा अन्य सुविधाओं के लिए वे जिला प्रशासन तथा राज्य सरकार को 26 जनवरी तक समय दे रहे हैं.
* स्कूल इमारत और जलापूर्ति
धिंगारा के सरदार आवसे ने कलेक्टर को निवेदन दिया था. अब उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, 2 माह का वक्त वे दे रहे है. गांव में सुविधाएं होनी चाहिए. जिसमें स्कूल इमारत तथा जलापूर्ति का काम शामिल है. उसी प्रकार वन विभाग के जमीन पर बने तीनों ग्रामों को राजस्व ग्राम में रुपांतरीत करने की भी मांग शामिल है. आवसे ने कहा कि, कबाड से बिजली बनाने का संयंत्र यहां धूल खा रहा है. उसे भी पूर्ववत शुरु करने की जरुरत है. यह मांगे पूर्ण न होने पर वे मध्यप्रदेश में शामिल होने की मांग करेंगे.
* देंगे जाति प्रमाणपत्र
विधायक संजय कुटे ने गांव के लोगों को जाति प्रमाणपत्र देने का आश्वासन दिया. जिससे यह आदिवासी सरकारी आरक्षण का लाभ ले सके. अधिकांश ग्रामीण भिलाला समुदाय के है. यह क्षेत्र मध्य प्रदेश से 10 से 15 किमी दूर ही है. मध्यप्रदेश में इस समुदाय के लोगों को आरक्षण और सुविधाएं प्राप्त है. महाराष्ट्र में जात प्रमाणपत्र न होने से दिक्कत हो रही है.
उल्लेखनीय है कि, नांदेड जिले और पश्चिम महाराष्ट्र में सोलापुर जिले के कुछ गांव क्रमश: तेलंगना तथा कर्नाटक में जाने का ऐलान कर चुके है. ग्रामीणों ने मूलभूत सुविधाएं मयस्सर नहीं होने का आरोप किया. ऐसे ही उनका यह भी आरोप है कि, प्रशासन को बार-बार निवेदन देने पर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही. सुविधाएं नहीं दी जा रही. यह भी गौरतलब है कि, पश्चिम विदर्भ अनेक मायनों में सुख-सुविधाओं में पीछे रह गया है. उसमें भी बुलढाणा जिला पिछडा कहलाता है. यहां उद्योग धंधों का अभाव है. खेती के लिए भी सिंचाई की सुविधा कम है. उधर महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद ज्वलंत विषय बना हुआ है. ऐसे में सीमा क्षेत्र के गांवों का मध्य प्रदेश में शामिल होने की चाहत चिंता का विषय मानी जा रही थी.