बुलढाणा/दि.28– राज्यभर में खरीफ मौसम की बुआई तेजी से की जा रही है. लेकिन कई किसान ट्रैक्टर से ही बुआई करने लगे है. ट्रैक्टर यंत्र द्वारा बुआई करते समय बीज अधिक गहराई में गिरते हैं. परिणामस्वरुप दोबारा बुआई का धोखा ज्यादा रहता है. बुआई करते समय बीज साडे तीन से पांच से.मी. गहराई पर ही गिरने चाहिए एवं रात से समय बुआई न करे, ऐसी सलाह कृषि तज्ञों ने दी है.
किसानों ने अब बैलजोड़ी की सहायता से तिफीनी द्वारा पारंपरिक पद्धति से बुआई करना बंद कर दिया है.कम समय में अधिक बुआई हो, इसके लिए 70 प्रतिशत किसान ट्रैक्टर द्वारा बुआई करते है. लेकिन ट्रैक्टर यंत्र द्वारा बुआई करते समय अनेक गलतियों के कारण किसानों को दोबारा बुआई करने की नौबत आती है.
सोयाबीन फसल की बुआई ट्रैक्टर द्वारा करते समय विशेष ध्यान देने आवश्यक है. इसमें प्रशिक्षित व अनुभवी ट्रैक्टर चालक द्वारा बुआई करवानी चाहिए. सोयाबीन फसल की बुआई करते समय बीज 3 से 5 से.मी. गहराई पर गिरेगा, ऐसी पद्धति से ट्रैक्टर के लिवर की सेटिंग करने पर उगवण क्षमता अच्छी रहती है. यंत्र का लिवर सेटिंग करते समय बुआई यंत्र समस्तर जोड़ा गया है या नहीं, इस ओर ध्यान देना आवश्यक है. बुआई करते समय ट्रैक्टर चालक प्रति बैग/एकड़ दर के अनुसार बुआई करते हैं. इसलिए बुआई की जल्दी होती है. इसके बजाय प्रति घंटा दर के हिसाब से बुआई करने पर उचित प्रकार की बुआई हो सकती है. बुआई यंत्र का पिछला पास भी बीजों को ढांकने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए उसे अधिक डीप न लगाये, ऐसी सलाह कृषि तज्ञों द्वारा दी गई.
ट्रैक्टर द्वारा बुआई करते समय ट्रैक्टर सेकन्ड लो गिअर में रखकर प्रति घंटा 5 किलोमीटर की गति से बुआई करनी चाहिए. साधारणतः 45 से 52 मिनट में एक एकड़ बुआई करनी चाहिए. रात के समय बुआई न करें.
– आर.टी. चव्हाण, विषय तज्ञ, कृषि अभियांत्रिकी, कृषि विज्ञान केंद्र बुलढाणा