स्टेशन हटाना बडा षडयंत्र, कांग्रेस करेगी पुरजोर विरोध

मामला मॉडल स्टेशन 550 मीटर सरकाने का

* बबलू शेखावत और मिलिंद चिमोटे ने किया अंतिम सांस तक लडने का ऐलान
* बिल्डर के बेटे को पालकमंत्री, सीएम, केन्द्रीय मंत्री की भेंट का इतना अर्जेंट अपायमेंट कैसे मिला ?
* उन्हीं की आसपास जगह तो नहीं
अमरावती/ दि. 2- अमरावती मॉडल रेलवे स्टेशन पर आनेवाली यात्री गाडियों को 550 मीटर राजापेठ की तरह अलग स्टॉपेज (स्टेशन) बनाकर वहां से गाडियों की आवाजाही करना और राजकमल रेलवे ब्रिज तोडकर समतल सडक बना देने का प्र्रस्ताव सरासर गलत है. बल्कि इसमें भूमाफिया की साजिश साफ लग रही है. इसका कांग्रेस पूरे दमखम से विरोध करेंगी. किसी भी सूरत में ऐसा नहीं होने दिया जायेगा. अंतिम सांस तक लडने का ऐलान कांग्रेस ने आज दोपहर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में किया. शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष बबलू शेखावत, भूतपूर्व महापौर मिलिंद चिमोटे ने मीडिया को संबोधित करते हुए मॉडल स्टेशन बनाने और वहां से अनेक रेलगाडियों को शुरू करने दो दशक पहले किए गये भगीरथ प्रयासों को भी स्मरण किया. उन्होंने जन आंदोलन खडा करने का ऐलान किया. इस समय महिला अध्यक्ष जयश्री मोरे, वैभव देशमुख, समीर जवंजाल, संकेत कुलट आदि भी मौजूद थे.
इससे हो रही साजिश की आशंका
अमरावती का राजकमल रेलवे ब्रिज निजी वास्तु विशारद से स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाने से लेकर पुल को गिराकर नया बनाने, तीन महीनों से बंद कर देने और अब मॉडल स्टेशन से आधा किलोमीटर दूर ले जाने की बातों को पूर्व महापौर मिलिंद चिमोटे ने भूमाफिया की सोची समझी साजिश निरूपित कर इसका प्रत्येक कदम पर कडा विरोध करने की बात कही. चिमोटे और शेखावत बडे आक्रमक नजर आए. उन्होंने सवाल उठाया कि जिस बिल्डर के बेटे ने राजापेठ थाने के पीछे नया स्टेशन बनाने का प्रस्ताव लाया है. उसकी आसपास जगह तो नहीं ? इसके पीछे उसकी मंशा को लेकर चिमोटे और शेखावत ने सवाल उठाए.
केन्द्रीय मंत्री से कैसे मिले, अप्रुवल कैसे
पूर्व महापौर मिलिंद चिमोटे ने मॉडल स्टेशन की बजाय 550 मीटर की दूरी पर नया स्टेशन बनाने का जुगाड लानेवाले बिल्डर के बेटे को मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्री, पालक मंत्री से आनन- फानन में भेंट करने और उन्हें अपना कथित प्रेजेंटेशन दिए जाने पर भी प्रश्न उपस्थित किए. चिमोटे ने सवाल उठाया कि सामान्य लोगों की बात दूर, बडे- बडे अधिकारियों तथा पदाधिकारियों को मंत्रियो की भेंट करने, बात करने का अवसर नहीं मिल पाता. ऐसे में उक्त बिल्डर पुत्र इतनी तेजी से केन्द्रीय मंत्री और मुख्य मंत्री से भेंट कर अपने प्रस्ताव का तत्वत: अप्रुवल भी कैसे प्राप्त कर लेेता है, यह विचारणीय है. चिमोटे ने आरोप लगाया कि शहर के विकास के बडे बिेंदू को हटाकर जमीन हडपने या अपनी जमीन को अपनी जमीन के रेट बढाने, मलाई खाने का तो यह विषय नहीं ? चिमोटे ने बीजेपी पदाधिकारियों के भी इस षडयंत्र मेें लिप्त होने का आरोप कर कहा कि महायुति के सत्ताधारी नेता भी मुंह में नमक के गरारे कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि यह लीडर्स खामोश रहकर शहर की कीमती भूमि भूमाफिया को देने का प्रयत्न कर रहे है. उन्होंने दावा किया कि इसके पीछे के लाभार्थी और उनके आर्थिक हित संबंध क्या व कैसे है, इसका भंडाफोड कांग्रेस करेगी. उन्होंने सभी शहरवासियों से मिलकर इस साजिश को विफल करने का आवाहन भी किया. उन्होंने कहा कि कांगे्रस किसी भी हाल में अमरावती रेलवे स्टेशन को हाथ लगाने नहीं देगी.
रेलवे ब्रिज की मरम्मत का क्या ?
मिलिंद चिमोटे ने इस बात को भी सुनियोजित षडयंत्र का हिस्सा बताया कि अगस्त माह में अचानक छोटे वाहनों के लिए भी रेलवे ब्रिज बंद कर देने और वहां दिवार खडी कर देने पश्चात अब तक मरम्मत को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गये हैं. उन्होंने प्रश्न के उत्तर में बताया कि सांसद बलवंत वानखडे ने इस विषय में रेल मंत्री और लोक निर्माण विभाग से पत्राचार किया. किंतु वे विपक्ष के सांसद होने से उनके पत्राचार का दोनों विभागों ने जवाब नहीं दिया.
लगे थे सभी के भागीरथ प्रयास
मिलिंद चिमोटे ने बताया कि अमरावती की रेल लाइन आज से 150 साल पहले 1871 में डाली गई थी. उसके बाद एकमात्र ट्रेन और कुछ मालगाडियां यहां से चलती. स्टेशन को बंद करने की कोशिश 20 बरस पहले भी हुई थी. ऐेसे में स्टेशन से अमरावती मुंबई, अमरावती- सूरत, अमरावती- तिरूपति ट्रेने शुरू करने की कोशिश बडे महत प्रयासों से हुई . तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभाताई पाटिल की बदौलत तब के रेलमंत्री लालू यादव से मिलने का अवसर मिला. उस समय के राज्यपाल दादासाहब गवई , विधायक बीटी देशमुख, डॉ. देवीसिंह शेखावत, पालकमंत्री सुनील देशमुख के साथ स्वयं चिमोटे ने भेंट की और रेल मंत्री यादव से अमरावती से ट्रेने शुरू करने का अनुरोध किया. इसके बाद भी लगातार फालोअप लेने एवं महत प्रयासों से अमरावती माँडल स्टेशन बन पाया और एक साथ अनेक प्रमुख शहरों के लिए रेल सेवा सीधे अमरावती से संभव हो सकी. आज स्टेशन हटाने की साजिश हो रही है. कुछ नया लाने की बजाय मौजूदा जनप्रतिनिधि और सरकार पुराना हटाने पर तुले होने का आरोप मिलिंद चिमोेटे ने किया.
1871 में बिछाई गई रेल लाइन
अमरावती के कॉटन बेल्ट और मार्केट का महत्व जानकर बडनेरा से अमरावती रेल लाइन 1871 में बिछाई गई थी. 150 से अधिक वर्ष हो चुके हैं. मिलिंद चिमोटे ने उक्त जानकारी देते हुए 1959 से लेकर 1962 दौरान अमरावती स्टेशन का फुटफॉल 6 लाख 18 हजार से लेकर 6 लाख 88 हजार तक होने का अधिकृत आंकडा रहने की जानकारी दी. उन्होंने स्टेशन की शतकोत्तर सुवर्ण जयंती मनाई जानी चाहिए थी. वह तो हो नहीं सका. स्टेशन ही बंद करने पर वर्तमान सत्ताधारी तुले हुए होने का खुला आरोप किया.
* दो माह में मरम्मत संभव
उन्होंने यह भी कहा कि राजकमल रेलवे ब्रिज की रेलवे और लोनिवि चाहे तो दो माह में मरम्मत हो सकती है. अमरावती के लाखों लोगों को राहत मिल सकती है. अमरावती के लोग भयंकर यातायात समस्या से जूझ रहे हैं.

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