5 लाख से कम नुकसान वाले आंदोलन के मुकदमे लिए जाएंगे पीछे
सरकारी निर्णय से मनपा व जिप चुनाव हेतु कार्यकर्ताओं को मिली राहत

* 31 मार्च 2025 तक चार्जशीट दाखिल करना बाकी रहनेवाले आंदोलकों को दिलासा
* मौजूदा व पूर्व सांसदों व विधायकों पर दर्ज मुकदमे पीछे लेने हेतु हाईकोर्ट की मंजूरी आवश्यक
मुंबई/दि.24 – राज्य सरकार ने 20 जून को राजनीतिक व सामाजिक आंदोलनों के चलते पुलिस में दर्ज मामलों को पीछे लेने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. यदि किसी आंदोलन में कोई जीवितहानी नहीं हुई है तथा निजी व सार्वजनिक संपत्ति का 5 लाख से अधिक नुकसान नहीं हुआ है, तो ऐसे मामलों को पीछे ले लिया जाएगा. खास बात यह भी है कि, जिन मामलों में मौजूदा व पूर्व सांसदों या विधायकों का समावेश है, ऐसे मामलों को हाईकोर्ट की सहमति के बिना पीछे नहीं लिया जा सकेगा. आगामी अक्तूबर-नवंबर माह में होनेवाले स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा राजनीतिक दलों व सामाजिक संगठनों द्वारा किए गए आंदोलनों को लेकर दर्ज मामलो को पीछे लिए जाने की जानकारी सामने आई है. जिसके चलते स्थानीय निकायों के चुनाव लडने के इच्छुक कार्यकर्ताओं को बडी राहत मिलती नजर आ रही है.
* भरपाई की रकम हेतु लगेगी लिखित सहमति
इसे लेकर जारी सरकारी निर्णय में कहा गया है कि, नुकसान भरपाई की रकम भरने के लिए आंदोलक की लिखित सहमति रहने पर उक्त मामले को पीछे लेने की सिफारिश समिति द्वारा की जानी चाहिए.
* समप्रमाण में वसूली
किसी मामले में एक से अधिक लोगों का सहभाग रहने पर सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रकम समप्रमाण में अथवा सर्वसम्मति से वसूल की जाएगी.
* मराठा-ओबीसी आंदोलकों को दिलासा
विगत 2-3 वर्ष के दौरान मराठा समाज व ओबीसी समाज से संबंधित मुद्दों को लेकर विविध आंदोलन हुए. जिसमें हिस्सा लेनेवाले आंदोलनकारियों पर मामले भी दर्ज हुए थे. ऐसे सभी लोगों को इस निर्णय के चलते बडी राहत मिलेगी.
* इससे पहले भी हो चुके इस तरह के निर्णय
राजनीतिक दलों व सामाजिक संगठनों द्वारा विभिन्न समस्याओं सहित सामाजिक हितों की ओर सरकार का ध्यान दिलाने के लिए आंदोलनों का मार्ग स्वीकारा जाता है. जिनके खिलाफ दर्ज अपराधिक मामलों को पीछे लेने का निर्णय इससे पहले भी कई सरकारों द्वारा लिया गया है. जिसे लेकर विधि क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा हमेशा ही आपत्ति दर्ज कराई जाती है कि, ऐसे निर्णय के दुरुपयोग का खतरा होता है और कई बार सार्वजनिक संपत्ति का 5 लाख रुपए से अधिक नुकसान होनेवाले मामलो में भी नामजद रहनेवाले आरोपियों के खिलाफ अपराधिक मामलों को पीछे ले लिया जाता है. ताकि राजनीतिक दलों द्वारा नेताओं व कार्यकर्ताओं को कानूनी कार्रवाई से बचाया जा सके.
* तीन सदस्यीय समिति को मुकदमे वापिस लेने का अधिकार
पदनाम पुलिस आयुक्तालय क्षेत्र (परिमंडलनिहाय) जिला स्तर
अध्यक्ष परिमंडलिय पुलिस उपायुक्त उपविभागीय राजस्व अधिकारी
सदस्य सहायक संचालनालय संचालक (अभियोग) सहायक संचालनालय संचालक (अभियोग)
सदस्य सचिव विभागीय सहायक पुलिस आयुक्त उपविभागीय पुलिस अधिकारी





