फर्जी जन्म प्रमाणपत्र मामले में अंतत: चार्जशीट दाखिल
गाडगे नगर थाने में 42 लोगों के खिलाफ दर्ज हुआ था मामला

* पुलिस ने 7 माह में जांच पूरी कर अदालत को सौंपा आरोपपत्र
* भाजपा नेता व पूर्व सांसद किरीट सोमैया लगातार उठा रहे थे मामला
अमरावती /दि.17- भाजपा नेता व पूर्व सांसद किरीट सोमैया द्वारा अमरावती तहसील कार्यालय से जारी हुए फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों को लेकर मामला उजागर किए जाने के बाद गाडगे नगर पुलिस ने विगत फरवरी माह के दौरान 42 लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया था. वहीं अब इस मामले की जांच पूरी कर गाडगे नगर पुलिस ने 7 माह बाद अदालत में अपनी चार्जशीट पेश कर दी है. जिसके चलते इस समय फर्जी जन्म प्रमाणपत्र वाले मामले को लेकर शहर में अच्छा-खासा हडकंप व्याप्त है.
बता दें कि, राज्य सरकार द्वारा विलंबित जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र प्रदान करने की प्रक्रिया में थोडा बदलाव करते हुए ऐसे प्रमाणपत्र जारी करने के अधिकार तहसीलदार व तहसील दंडाधिकारी स्तर के अधिकारियों को दिए गए थे. जिसके तहत संबंधितों को स्थानीय स्वायत्त निकायों में आवेदन पेश करने की बजाए तहसीलदार अथवा तहसील दंडाधिकारी के सामने तमाम आवश्यक दस्तावेजों व हलफनामे के साथ आवेदन करना होता था. लेकिन कुछ स्थानों पर तहसीलदारों ने खुद पर काम का बोझ कम करने हेतु इस काम का जिम्मा अपने अधिनस्थ रहनेवाले नायब तहसीलदारों को सौंप दिया था और नायब तहसीलदारों द्वारा ऐसे विलंबित जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए गए. जबकि नायब तहसीलदारों को ऐसे प्रमाणपत्र जारी करने का अधिकार ही नहीं था. जिसके चलते ऐसे प्रमाणपत्रों की वैधता पर सवाल उठाने के साथ ही भाजपा नेता व पूर्व सांसद किरीट सोमैया द्वारा यह आरोप भी लगाया गया कि, देश में अवैध रुप से आकर बसे बांग्लादेशियों व रोहिंग्याओं द्वारा तहसील कार्यालयों में सक्रिय रहनेवाले दलालों के जरिए अधिकारियों के साथ मिलिभगत कर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जन्म प्रमाणपत्र हासिल किए गए है, ताकि खुद को भारतीय नागरिक दिखाया जा सके. पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने अमरावती जिले में अमरावती तहसील सहित अंजनगांव एवं अचलपुर तहसील क्षेत्रों में इस तरह की गडबडी सबसे अधिक होने का आरोप लगाया था. साथ ही साथ भाजपा नेता किरीट सोमैया ने कई बार अमरावती शहर सहित जिले का दौरा करते हुए ऐसे फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों के खिलाफ पुलिस को कई तरह के सबूत देते हुए ऐसे प्रमाणपत्र हासिल करनेवाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग भी उठाई थी. जिसके बाद खुद राजस्व प्रशासन द्वारा तीनों तहसील कार्यालयों से जारी सभी प्रमाणपत्रों एवं आवेदकों द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों की जांच-पडताल की गई थी और जिन-जिन आवेदनों में किसी भी तरह की गडबडी पाई गई, ऐसे करीब 1800 प्रमाणपत्रों को रद्द करने के साथ ही जिन आवेदकों के दस्तावेजो में नाम के फर्क सहित दस्तावेजों कांटछाट पाई गई थी, ऐसे 42 लोगों के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई गई. जिसके आधार पर गाडगे नगर पुलिस ने 42 लोगों के खिलाफ बीएनएस की धारा 336 (3), 340 (2), 229 (1), 236 व 237 के तहत अपराधिक मामला दर्ज करते हुए जांच शुरु की थी. वहीं अब करीब 7 माह बाद गाडगे नगर पुलिस ने अपनी जांच को पूरा करते हुए इस मामले को लेकर स्थानीय अदालत के समक्ष चार्जशीट भी पेश कर दी है. जिसके चलते संबंधितों में अच्छा-खासा हडकंप भी व्याप्त है.
* भाजपा व सोमैया के दबाव में काम कर रही पुलिस
इस पूरे मामले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए शहर के वरिष्ठ विधिज्ञ एड. शोएब खान ने शहर पुलिस पर भाजपा व पूर्व सांसद किरीट सोमैया के दबाव में काम करने का आरोप लगाया. साथ ही कहा कि, जिन 42 लोगों के खिलाफ पुलिस द्वारा संगीन धाराओं के तहत अपराध दर्ज करने के साथ ही चार्जशीट पेश की गई है, वे कोई विदेशी नागरिक नहीं है, बल्कि कई पीढियों से अमरावती में ही रहनेवाले स्थानीय गरीब व सर्वसामान्य लोग है. इन 42 लोगों में कई ऐसी महिलाओं का भी समावेश है. जिनके नाम में विवाह से पहले उनके पिता का नाम जुडा हुआ था और विवाह के बाद उनके नाम के साथ उनके पति का नाम जुड गया. जिसके चलते विवाह से पहले और बाद वाले दस्तावेजों में नाम को लेकर फर्क दिखाई देना एक सामान्य बात है. इसके अलावा कई लोगों के नामों में केवल स्पेलिंग मिस्टेक रहने को नाम में फर्क रहना दर्शाया गया है. एड. शोएब खान ने यह भी कहा कि, विगत फरवरी माह के दौरान केवल 6 ऐसे मामले सामने आए थे, जिनमें प्रमाणपत्र हेतु आवेदन के साथ पेश किए गए दस्तावेजों में कांटछाट रहने की बात स्पष्ट हुई थी और उन 6 लोगों के खिलाफ तहसीलदार कार्यालय की ओर से पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी. परंतु शेष 36 लोगों के दस्तावेजों में कोई कांटछाट नहीं पाई गई और उनके खिलाफ तहसीलदार कार्यालय की ओर से कोई शिकायत भी दर्ज नहीं कराई गई. लेकिन इसके बावजूद केवल नाम में थोडाबहुत फर्क रहने के चलते किरीट सोमैया के दबाव में आकर पुलिस ने उन 36 लोगों को भी आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ चार्जशीट पेश की है, जो पूरी तरह से अन्यायकारक है. ऐसे में अब इस कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जाएगी. इसके अलावा एड. शोएब खान का यह भी कहना रहा कि, जन्म प्रमाणपत्र मामले को लेकर हाईकोर्ट में पहले ही एक रीट पीटीशन दायर है, जिस पर आगामी 23 सितंबर को सुनवाई होनी है. इस बात को ध्यान में रखते हुए अमरावती शहर पुलिस ने 23 सितंबर से पहले 15 सितंबर को ही आनन-फानन में स्थानीय अदालत के सामने अपनी चार्जशीट पेश की है.
* जांच में तथ्य मिलने पर ही तैयार हुई चार्जशीट
वहीं इस बारे में गाडगे नगर पुलिस सहीत शहर पुलिस आयुक्तालय के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना रहा कि, अमरावती के तहसील कार्यालय द्वारा जिन-जिन लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी, उसके आधार पर संबंधितों के खिलाफ अपराध दर्ज करते हुए तमाम आवश्यक जांच-पडताल शुरु की गई और यह जांच करीब 7 माह तक चली. इस दौरान तहसील कार्यालय की ओर से उपलब्ध कराए गए सैकडों दस्तावेजों को भी देखा गया और प्रत्येक मामले को लेकर हर एक दस्तावेज को खंगाला गया. जिसके बाद शिकायत एवं आरोपों में तथ्य पाए जाने पर आरोपपत्र यानि चार्जशीट तैयार कर अदालत के समक्ष पेश की गई. शहर पुलिस आयुक्तालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया कि, शहर पुलिस द्वारा भाजपा अथवा पूर्व सांसद किरीट सोमैया के दबाव में आकर किसी भी तरह का कोई काम किया जा रहा है, बल्कि शहर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कहा गया कि, पूरी कार्रवाई तहसील कार्यालय की ओर से मिली शिकायत के आधार पर की गई है. अत: इस मामले को लेकर पुलिस पर किसी भी तरह का आरोप लगाना पूरी तरह से गलत एवं समझ से परे है.





