बच्चों को होता है ‘सडन इन्फंट डेथ सिंड्रोम’ यानि ‘कॉट डेथ’ का खतरा

अमरावती/दि.19 – कई बार बच्चे को दूध पिलाने के बाद उसे पालने में सुला दिया जाता है. ऐसे समय बच्चे की श्वसन नलिका में दूध आकर फंस जाने की वजह से बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. जिससे बच्चे की मौत भी हो सकती है. इसे ‘सडन इन्फंट डेथ सिंड्रोम’ यानि ‘कॉट डेथ’ कहा जाता है. ऐसे समय यदि अभिभावकों द्वारा बच्चे की ओर पूरा ध्यान रखा जाए तो ऐसी घटनाओं को टाला जा सकता है. जिसके चलते शून्य से एक वर्ष की आयु वाले बच्चों की ओर विशेष ध्यान दिए जाने की सख्त जरुरत होती है.
* कॉट डेथ यानि क्या?
शून्य से एक वर्ष की आयु वाले स्वस्थ बच्चे की अचानक ही अस्पष्ट वजहों के चलते होनेवाली मौत को ‘सडन इन्फंट डेथ सिंड्रोम’ यानि ‘कॉट डेथ’ कहा जाता है.
क्या सतर्कता जरुरी?
– बच्चे को पीठ के बल सुलाएं
बच्चे को पेट के बल पर अथवा किसी एक करवट पर नहीं सुलाया जाना चाहिए. बल्कि बच्चे को पीठ के बल सुलाना चाहिए. ताकि वह अच्छी तरह से सांस ले सके.
– अपने कमरे में अलग पलंग पर सुलाएं
बच्चे को माता-पिता के ही कमरे में अलग पलंग पर सुलाना चाहिए. क्योंकि यदि बच्चे को माता-पिता के साथ एक ही पलंग पर सुलाया जाता है, तो नींद में रहते समय बच्चा किसी के नीचे दब जाने का खतरा भी रहता है.
– घर में धुआं न हो
यदि घर में अथवा घर के आसपास कोई भी व्यक्ति धुम्रपान करता है तो उससे निकलने वाले धुएं से बच्चे को दूर रखा जाना चाहिए. ताकि उसे सांस लेने में कोई तकलीफ न हो.
* यदि थोडीबहुत सावधानी व सतर्कता बरती जाती है तो बच्चा पूरी तरह से सुरक्षित रह सकता है. इसके लिए माता-पिता का जागरुक रहना आवश्यक है. बच्चे को दूध पिलाने के बाद उसे डकार आने का इंतजार भी करना चाहिए. साथ ही बच्चे को पेट के बल नहीं बल्कि पीठ के बल सुलाना चाहिए. ताकि उसे सांस लेने में आसानी हो.
– डॉ. सतीश तिवारी
बालरोग विशेषज्ञ.





