मोबाइल के लिए डांटने पर बच्चे छोड रहे घर
बच्चों को नहीं चाहिए अभिभावकों का दबाव

पलायन की घटनाओं से अभिभावक चिंता मेें
अमरावती/दि.2- अच्छी क्वॉलिटी के कैमरे वाला मोबाइल लेकर नहीं दिया, मोबाइल के अत्याधिक प्रयोग को लेकर डांटा तथा दोस्तों के साथ फिल्म देखने के लिए नहीं जाने दिया जैसी छोटी-मोटी वजहों के चलते गुस्सा होकर इन दिनों कई बच्चे अपना घर छोडकर भाग निकलते है. इसके अलावा स्कूल में मन नहीं लगता और पढाई के नाम पर ही बुखार आता है. इस वजह से भी कई बच्चे घर से भाग जाते है. जिले में विगत कुछ दिनों से अल्पवयीन बच्चों के पलायन कर जाने के मामलों में अच्छा खासा इजाफा हुआ है. हालांकि बाद में बाहर की दुनिया के झटके खाने के बाद कुछ बच्चे वापिस भी लौट आते है. वहीं कई बच्चों को पुलिस द्बारा तलाश करते हुए खोजा जाता है. परंतु कई बार ऐसा भी होता है कि, कुछ बच्चों का कभी कोई अता-पता नहीं चल पाता.
उल्लेखनीय है कि, मोबाइल तथा सोशल मीडिया के लगातार बढते प्रभाव को देखते हुए बच्चों में सोचने व समझ ने की शक्ति तेजी से कम हो रही है. जिसके चलते कभी-कभी ऐसे बच्चे किसी भी तरह के लालच अथवा प्रलोभन में भी फंस जाते है. परंतु इसकी वजह से अभिभावकों के लिए समस्या व सिरदर्द बढ जाते है. ज्ञात रहे कि, कोविड काल के बाद परिवार के सामने रहने वाले समस्याओं व चुनौतियों से पार पाने में पहले ही अभिभावकों को काफी खींचतान करनी पड रही है. ऐसे समय में बच्चों की जिद पूरी की जाए. या उन्हें डांट डपटकर समझाया जाए, ऐसी द्बिधामनस्थिति से अभिभावक गुजर रहे है.
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* 9 माह में घर से भागे 144 नाबालिग
यदि विगत 9 माह का विचार किया जाए, तो इस दौरान 144 नाबालिग लडके-लडकियां विभिन्न कारणों के चलते अपना घर छोडकर भाग गए. जिनमें 16 लडकों व 128 लडकियों का समावेश रहा. इसके अलावा कई मामले ऐसे भी हो सकते है, जिनकी जानकारी व शिकायत पुलिस तक नहीं पहुंची. बल्कि ऐसे बच्चों के अभिभावकों ने उन्हें खुद अपने स्तर पर खोजबीन करते हुए ढुंढ निकाला.
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* 100 लडकियां वापिस खोजी गई.
जिले में अपने घर से भाग जाने वाले 144 नाबालिगों ने सर्वाधिक 128 नाबालिग लडकियों का समावेश था. जिनमें से 100 नाबालिग लडकियों को खोज निकालने में पुलिस सफल रही. ऐसी लडकियों को खोजते हुए उन्हें उनके अभिभावकों के स्वाधीन किया गया. साथ ही वे दुबारा ऐसा कदम न उठाए. इस हेतु उनका समुपदेशन भी किया गया.
* घर छोडकर भागने के कारण
– मोबाइल नहीं दिलाने पर
जिले से नाबालिगों के पलायन के कुछ मामलों में पता चला कि, अभिभावकों ने मनपसंद मोबाइल नहीं दिलवाया, तो इस बात से नाराज होकर बेटा रेलगाडी में सवार होकर पलायन कर गया. हालांकि इस बच्चे को पुलिस ने सुरक्षित व सकुशल खोज निकाला.
– टीवी नहीं देखने देने पर
रात में काफी देर तक टीवी देखने से मना किए जाने के चलते नाराज होकर एक नाबालिग अपने घर से भाग निकला था और उसने अपने रिश्तेदार के घर जाकर रात बिताई थी. जिसे संबंधित रिश्तेदारों ने अगले दिन सुबह उसके परिजनों के हवाले किया.
– विवाह व प्रेम के झांसे में फंसकर
विवाह एवं प्रेम का झांसा देते हुए नाबालिग लडकियों को घर से भगा ले जाने के मामले इन दिनों लगातार बढ रहे है. ऐसी घटनाओं की वजह से अभिभावकों को काफी परेशानियों व दिक्कतों के साथ ही बदनामी का भी सामना करना पडता है.
* बच्चों के साथ रखें मैत्रीपूर्ण व्यवहार
बदलते दौर का असर बच्चों की मानसिकता और उनके बचपन पर भी पड रहा है. जिसके चलते पहले की तुलना में अब बच्चों का पालन-पोषण करना और उन्हें संस्कारक्षम बनाना काफी अधिक चुनौतिपूर्ण काम हो गया है. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, सभी अभिभावक अपने बच्चों के साथ मैत्रीपूर्ण व्यवहार रखे और उनके सतत संवाद स्थापित रखते हुए उनकी समस्याओं को प्रेमपूर्ण तरीके से समझ ने का प्रयास करें. कच्ची उम्र से किशोरावस्था की ओर बढने वाले बच्चों में शारीरिक व मानसिक स्तर पर काफी बदलाव होते है. ऐसे मेें उनकी ओर विशेष ध्यान दिए जाने की जरुरत होती है. क्योंकि उम्र का यहीं दौर ऐसा होता है, जब बच्चे का व्यक्तित्व विकसित होकर उसे आकार मिलता है. ऐसे में यदि बच्चा किसी भी तरह की समस्या से जुझ रहा है, या काफी अधिक जिद्दी व चिडचिडा हो रहा है, तो किसी मानसोपचार विशेषज्ञ अथवा मानस समुपदेशक से मिलकर सलाह लेनी चाहिए.
– अमिता दुबे,
मानसशास्त्रीय समुपदेशक,
‘अस्तित्व’ समुपदेशन केंद्र.





