चोपडा, शर्मा, कडेल, उपाध्याय, हेडा, दवे हैं संस्थापक

‘प्यारा सजा है, तेरा दरबार भवानी...’

* वीर प्रताप मंडल की स्थापना का इतिहास
* 1970 से अनवरत हैं दुर्गोत्सव
अमरावती /दि.24 – हमारे यहां संस्था, संगठन का गठन करना और उसके माध्यम से परंपराओं को चलाने का प्रचलन है. इसी कडी में गणेशोत्सव और दुर्गोत्सव के साथ अंबानगरी के कई उत्सवों का भी नाम गिना जाता है. दुर्गोत्सव की बात करें तो कुछ वर्ष पहले तक उंगलियों पर गिनने लायक संख्या मंडल अमरावती में रहे. कालांतर में मंडलों की संख्या और व्याप बढता गया. इसमें भी परकोटे के भीतर स्थापित वीर प्रताप मंडल की अपनी रोचक कथा है. मंडल में पौराणिक झांकियों के माध्यम से नई पीढी को अपनी परिपाटी व परंपराओं के विषय में सहजता से परिचित कराया है. आज 55 वर्ष के हो चले वीर प्रताप मंडल की स्थापना बर्तन व्यवसायी जवाहरलाल चोपडा, प्यारेलाल चोपडा, रणछोड महाराज शर्मा, हीरालाल कडेल, गोपाल उपाध्याय, भंवरीलाल खिंवसरा, माणकलाल हेडा, पंडित वसंत दवे और परिसर के लोगों ने मिलकर भक्तिभाव से की थी.
* कबाड में आई थी पीतल की मूर्ति
बर्तन व्यवसायियों का कबाड लेने का भी काम होता है. पुराने हो चुके बर्तनों और अन्य सामान को गृहणियां दुकानदार को लौटाकर बदले में नया सामान बर्तन आदि खरीदती है. इसी सिलसिले में चोपडा बंधुओं की दुकान पर एक महिला ने पीतल की देवी की मूर्ति को कबाड में दे दिया. किंतु आकर्षक स्वरुप देख चोपडा बंधुओं ने उसकी पूजा करने का निश्चिय किया. उपरांत अपने हम व्यवसायी हेडा, उपाध्याय, सराफा व्यवसायी रणछोड शर्मा से चर्चा कर वीर प्रताप मंडल की अश्विन मास में स्थापना कर दुर्गोत्सव प्रारंभ किया.
* झांकियों ने बनाई पहचान
वीर प्रताप मंडल की स्थापना देवी के प्रति श्रद्धा, आस्था के कारण की गई. इसलिए विधिविधान से पूजन को यहां बडा महत्व दिया जाता है. पूजन समिति में स्वयं पंडित वसंत दवे, प्रफुल दवे, मुरली डोबा आदि का समावेश है. जो मंत्रोच्चार के साथ शास्त्रोक्त पद्धति से घटस्थापना और उपरांत नित्य पूजन करवाते हैं. आज भी भाविकों में प्रताप चौक के मंडल की दुर्गा को बडी देवी के नाम से जाना जाता है. देवी का स्वरुप विशाल होने से यह पहचान मिली हो.
* युवाओं ने जोडे नए आयाम
उल्लेखनीय है कि, अपने घर के वरिष्ठ लोगों द्वारा स्थापित दुर्गादेवी की आराधना और निष्ठापूर्वक पूजन कर शारदीय नवरात्री मनाने की परिपाटी कालांतर में युवा पीढी ने विशेषत: के साथ संभाली, संजोई. आज उत्सव को बदलते दौर के अनुरुप नए आयाम दिए गए है. नाना प्रकार की सामाजिक गतिविधियों को जोडा गया है. सागर चांडक के रुप में युवा उद्यमी मंडल के इस वर्ष के अध्यक्ष मनोनीत है. देवी दुर्गा की ओजस्वी प्रतिमा का सुबह और शाम श्रद्धावनत होकर पूजन किया जा रहा है. हजारों श्रद्धालु दर्शन हेतु उमडते है. समस्त विदर्भ में वीर प्रताप मंडल का अपनी स्वचलित झांकियों के कारण नाम प्रसिद्ध है.

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