देश में कोरोना का ग्राफ एक बार फिर 40 हजार के ऊपर पहुंचा
फेस्टिव सीजन की वजह से तीसरी लहर का खतरा बढ़ा
नई दिल्ली/दि.१२-चीन के इस झूठ और फरेबी फितरत का नतीजा है कि आज दुनिया कोरोनावायरस की महामारी से जूझ रही है और हर गुजरते दिन के साथ वायरस का रूप और कहर बढ़ता जा रहा है और अब फिक्र बढ़ाने वाली एक और खबर सामने आई है. कोरोनावायरस को लेकर एक नई रिसर्च सामने आई है. साइंस एडवांसेज जर्नल में एक मॉडलिंग स्टडी में पता चला है कि इसका जोखिम बड़ों से बच्चों में शिफ्ट होने की आशंका है, क्योंकि SARS-CoV-2 आने वाले सालों में बाकी सामान्य जुकाम वाले कोरोनावायरस की तरह ही व्यवहार करने लगेगा, लेकिन वो छोटे बच्चे संक्रमित होने लगेंगे, जिन्हें अभी तक टीका नहीं लगाया गया है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि बच्चे संक्रमित होंगे और बड़ों के मुकाबले ज्यादा होंगे, लेकिन संक्रमण गंभीर नहीं होगा. कुल मिलाकर इस स्टडी के मुताबिक आने वाले सालों में धीरे-धीरे कोरोनावायरस की गंभीरता कम होती जाएगी, लेकिन ध्यान रखिए धीरे-धीरे और वो भी कुछ सालों में. मतलब ये कि अभी बेफिक्र होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि बेफिक्री और लापरवाही का नतीजा है कि कोरोना का ग्राफ एक बार फिर 40 हजार के ऊपर पहुंच गया है. तीसरी लहर का खतरा बढ़ गया है और इस खतरे का साया फेस्टिव सीजन की वजह से और भी गहरा गया है.
कश्मीर के शोपियां में क्रिकेट मैच को देखने के लिए उमड़ी हजारों की भीड़
हजारों की ये भीड़ कश्मीर के शोपियां में एक क्रिकेट मैच देखने के लिए उमड़ी थी, लेकिन जरा सोचिए, कैमरे पर बेतहाशा लोगों की जो भीड़ दिखाई दे रही है, उनमें से कोई एक भी कोरोना पॉजिटिव हुआ तो उससे कितने लोगों में वायरस फैलेगा. यकीन मानिए उस आंकड़े का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है. ये बेफिक्री और लापरवाही ही तीसरी लहर को आने का और दूसरी लहर से भी ज्यादा तांडव मचाने का मौका देगी, क्योंकि देश में कोरोना के डेली न्यू केस का जो आंकड़ा घटकर 40 हजार से नीचे पहुंच गया था वो 5 दिन बाद एक बार फिर 40 हजार के पार पहुंच गया है और इसकी वजह है भीड़. फिर चाहें वो भीड़ खेल के लिए जुटी हो या बाजार के लिए या फिर धार्मिक आयोजनों के लिए, वो कोरोना संक्रमण को खुला निमंत्रण है.
वृंदावन के बांके-बिहारी मंदिर में हरियाली तीज के मौके पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
वृंदावन के बांके-बिहारी मंदिर में हरियाली तीज के मौके पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा और अपने साथ कोरोना से बचाव के हर उपाय को बहा ले गया. ना किसी को मास्क की परवाह थी और ना दो गज की दूरी की. आस्था के नाम पर आफत को न्यौता देने वाली तस्वीरें तीन दिन पहले गुजरात से भी सामने आई थीं, जहां सावन के मौके पर सोमनाथ मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. कोरोना से बचाव के नियम-कायदों को रौंदते हुए धक्का-मुक्की करते हुए मंदिर पहुंचे. बहुत से लोगों ने मास्क नहीं लगा रखा था तो बहुत लोगों ने सिर्फ रस्मअदायगी के लिए गले पर टांग रखा था और सोशल डिस्टेंसिंग का तो सवाल ही नहीं.
हो सकता है कि आस्था और परंपरा के नाम पर लापरवाही की ऐसी तस्वीरें आने वाले दिनों में और भी दिखें, क्योंकि 20 अगस्त को मुहर्रम है. इसके बाद 22 अगस्त को रक्षाबंधन और 30 अगस्त को जन्माष्टमी. इसके बाद अगले महीने 10 सितंबर को गणेश चतुर्थी और 5 से 15 अक्टूबर के बीच दुर्गा पूजा. हम किसी भी धार्मिक आयोजन या फिर मान्यता को गलत नहीं ठहरा रहे हैं, लेकिन जब देश दूसरी और तीसरी लहर के बीच झूल रहा है. एक बार फिर अस्पतालों में मरीजों और श्मशान में चिताओं का अंबार लगने की आशंका हो. वैसे में कोरोना से बचाव के नियम-कायदों का पालन करके भी आस्थावान अपनी मान्यताओं को निभा सकते हैं और यकीन मानिए ये कोई मुश्किल काम नहीं है. बशर्ते आपको अपनी और अपने परिवार की फिक्र हो या देश की परवाह हो.