
मुुंबई/दि.१२ – कोविड संक्रमित मरीज के इलाज में कारगर मानी जानेवाली रेमडेसिविर दवाई की खरीदी कीमत कम रहने के बावजूद इंजेक्शन पर छपी कीमत के अनुसार मरीजों से पैसे लेकर अस्पतालों द्वारा बडे पैमाने पर नफाखोरी की जा रही है. ऐसे में इस नफाखोरी को नियंत्रित करने हेतु रेमडेसिविर इंजेक्शन पर कुल लागत की तुलना में अधिक से अधिक 30 प्रतिशत लाभ मिलाकर अधिकतक फूटकर मूल्य यानी एमआरपी तय करने का आदेश देने संदर्भ में एक प्रस्ताव राज्य सरकार के पास आया है. जिस पर दवा उत्पादकों द्वारा भी सकारात्मकता दर्शायी है. ऐसे में अब जल्द ही रेमडेसिविर इंजेक्शन की दरे कम होने की उम्मीद है.
उल्लेखनीय है कि, विगत सितंबर माह के दौरान कोरोना को लेकर हालात विस्फोटक हो जाने के बाद रेमडेसिविर इंजेक्शन की दरों में बेतहाशा वृध्दि हुई थी और इन इंजेक्शनों की जमकर कालाबाजारी होने की भी जानकारी सामने आयी थी. पश्चात कोविड संक्रमितों की संख्या घटने पर रेमडेसिविर इंजेक्शन की दरे भी घट गयी. किंतु विगत फरवरी माह में एक बार कोविड संक्रमितोें की संख्या बढनी शुरू हुई और इस बार सितंबर माह से भी अधिक कोविड संक्रमित पाये गये. ऐसे में रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग दुबारा बढनी शुरू हुई है. जिसके चलते इस बार रेमडेसिविर की कालाबाजारी न हो और इन इंजेक्शनों की किल्लत भी न हो, इस हेतु प्रशासन द्वारा आवश्यक प्रयास किये जा रहे है.
जानकारी के मुताबिक इस दवाई का उत्पादन 6 अलग-अलग कंपनियोें द्वारा किया जाता है. जिनके खुदरा मूल्य में काफी फर्क है और साधारणत: 100 मिली इंजेक्शन के लिए 4 हजार से साढे 5 हजार रूपये अदा करने पडते है. ऐसे में इस इंजेक्शन की किमत एक समान तय करने का प्रस्ताव प्रशासन द्वारा राष्ट्रीय औषध मूल्य नियंत्रण प्राधिकरण के पास बीते सप्ताह ही भेजा गया है.
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अस्पतालों में एमआरपी से अधिक मूल्य पर मिलता है इंजेक्शन
जानकारी के मुताबिक रेमडेसिविर इंजेक्शन की एमआरपी 4 से साढे 5 हजार के बीच होती है. किंतु अस्पतालों व थोक विक्रेताओं को यह इंजेक्शन 800 से 1300 रूपयों की दर पर उपलब्ध होता है. ऐसा प्रशासन द्वारा की गई जांच में पता चला है. वहीं यह भी पता चला है कि, कुछ अस्पतालों द्वारा तो खरीदी मूल्य पर 10 से 30 प्रतिशत लाभ लेकर एमआरपी से कम कीमत में मरीजों को इंजेक्शन उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन अधिकांश अस्पतालों द्वारा एमआरपीवाली कीमत ही वसूल करते हुए बडे पैमाने पर लाभ कमाया जा रहा है.
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… तो 1500 रूपये में ही मिल सकता है इंजेक्शन
यदि उत्पादकोें द्वारा अस्पतालों को 800 से 1300 रूपये में यह इंजेक्शन दिया जाता है, तो दवाई की एमआरपी पांच से छह गुना अधिक रखना पूरी तरह से अनुचित है. क्योंकि इससे मरीजों की आर्थिक लूट होती है. ऐसे में लागतमूल्य पर अधिकतम 30 प्रतिशत लाभ के साथ एमआरपी निश्चित करने हेतु निर्देश देने का प्रस्ताव राज्य सरकार के समक्ष प्रशासन द्वारा प्रस्तुत किया गया है. साथ ही इस विषय को लेकर दवा उत्पादकोें से भी चर्चा की गई है. जिन्होंने इस पर सकारात्मक विचार कर निर्णय लेने की बात कही है. यदि इस विषय में कोई ठोस निर्णय होता है, तो रेमडेसिविर इंजेक्शन की कीमत 5 हजार से घटकर सीधे 1500 रूपये हो जायेगी. ऐसी जानकारी अन्न व औषधी प्रशासन द्वारा दी गई है.