कोरोना

रेमडेसिविर मामले की व्यापक जांच हो

कोरोना महामारी के चलते पूरे विश्व में त्राही-त्राही मची हुई है. विशेषकर ऑक्सीजन गैस व रेमडेसिविर की उपलब्धता के अभाव मेें कई लोगों की जान जाने जैसी अंवाछनीय घटनाए भी हुई है. ऐसी हालत में हर कोई इस बीमारी के संक्रमण की चेन तोडऩे के लिए प्रयत्नशील है. अनेक कठिनाईयों को झेलते हुए लोग लॉकडाउन का पालन कर रहे है. हालाकि विगत अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह से जारी लॉकडाउन के कारण कई लोगों का रोजगार बंद है. जिससे उनकी आर्थिक और मानसिक स्थिति बिगड़ रही है. कई लोग आत्मघाती कदम भी उठा रहे है. ऐसी विपदा की घड़ी में कोई अपनी भ्रष्ट गतिविधियों को अंजाम दे रहे है. हाल ही में रेमडेसिविर की कालाबाजारी करने के मामले में पुलिस ने ६ लोगों को गिरफ्तार किया. निश्चित रूप से पुलिस द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाया गया. सभी आरोपियों को अदालत में पेश करने के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. जब कोरोना संक्रमण अपने चरम पर है, ऐसे में कोरोना मरीजों के लिए आवश्यक रूप से रेमडेसिविर की अत्यंत आवश्यकता रहती है. लेकिन कोविड सेंटर के कुछ लोगों द्वारा कथित रूप से रेमडेसिविर की कालाबाजारी किए जाने की घटनाएं भी हो रही थी. पुलिस को इस बात की जानकारी मिलने पर सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. इन आरोपियों को अदालत में पेश किया गया. जहा आरोपियों को न्यायिक हिरासत दी गई है.
बीते कुछ दिनों में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढऩे के साथ साथ उपकरण भी बढ़ायेे गये है. लेकिन अस्पताल के ही कुछ कर्मियों द्वारा इस मामले में भी भ्रष्टाचार किए जाने की बात सामने आयी है. इस दौरान अनेक रूग्णों की जान गई है. रोजाना मृत्यु का आंकड़ा २० से अधिक रहा है. इस हालात में कही मरीजों की मृत्यु के लिए कोविड सेंटर का भ्रष्टाचार के जिम्मेदार नहीं है. इसकी जांच अति आवश्यक है. क्योंकि सेंटर में भर्ती किए गये मरीज पर उपचार का कोई वीडियों या सीसीटीवी फुटेज की व्यवस्था नहीं है. ऐसी हालत में कुछ तत्व गलत लाभ भी उठा सकते है. इसलिए रेमडेसिविर मामले में जो आरोपी गिरफ्तार किए गये है. उन सबकी व्यापक जांच होना आवश्यक है. इससे अनेक बाते सामने आ सकती है. लोगों में इस बात के लिए आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है कि आरोपियों के लिए पुलिस ने पीसीआर नहीं मांगा. जिसके चलते रेमडेसिविर की कालाबाजारी से जुडे अन्य तत्वों का मनोबल बढ़ा है. लोगों को अपेक्षा थी कि पुलिस प्रशासन रेमडेसिविर मामले में गिरफ्तार आरोपियों से कडाई से पूछताछ कर इस बात का पता लगा सकती है कि इस कालाबाजारी में कौन लोग शामिल है. लेकिन इस बात को नजरदांज करते हुए पुलिस ने आरोपियों के लिए पीसीआर नहीं मांगा. यदि पुलिस पीसीआर मांगती तो अनेक मामले सामने आ सकते थे. आज जो देश में ऑक्सीजन सेंटरों में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन के सिलेेंडर नहीं मिल रहे है. आक्सीजन पाने के लिए मरीज के परिजन दर दर भटक रहे है. इस हालत में कालाबाजारियों पर रोक लगाना आवश्यक हो गया था. पुलिस प्रशासन ने जागरूकता का परिचय देते हुए इस मामले के आरोपियों को पकड़ा है. अब जरूरी है कि गिरफ्तार आरोपियों से व्यापक पूछताछ की जाए तथा रेमडेसिविर की कालाबाजारी में और कौन से तत्व शामिल है. इसका भी पता लगाया जा सकता है. इसलिए आरोपियों की व्यापक पूछताछ अति आवश्यक है.
कुल मिलाकर देश में कोरोना संक्रमण को लेकर भारी संकट मंडराया है. लोग अपने रोजगारों से भी वंचित हो रहे है. कई लोगों के यहां लॉकडाउन के कारण आर्थिक संकट इतना अधिक बढ़ गया है कि उन पर फाके की नौबत आ गई है. सत्ताधारी दल भले ही दावे कर रहा हो कि वह बीमारी वे प्रभावित परिवारों को सहायता के लिए प्रयत्नशील है. बावजूद इसके यह सच है कि अनेक स्थानों पर भ्रष्टाचार का सिलसिला भी जारी है. इस हालत मेें प्रशासन को चाहिए कि कोरोना संक्रमितों के उपचार मामले में पारदर्शिता लाए. जिससे लोगों को यर्थाथ का पता चल सके. विगत दिनों शहर के कुछ संगठनों ने जिला प्रशासन के अनुरोध किया था कि कोविड सेंटर में होनेवाले उपचार को पारदर्शक बनाने के लिए अस्पताल परिसर में सीसीटीवी कैमेरा लगाया जाए तथा उसकी जानकारी लोगों को मिले. इसलिए अस्पताल स्क्रीन भी लगाए. बहरहाल कोरोना सेंटर से जुड़े आरोपियों से व्यापक पूछताछ होना आवश्यक है. यदि इस मामले में कोताई बरती जाती है तो अनेक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ सकती है.

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