डॉक्टरों की पर्ची के बगैर मिलती है कफ सिरफ

हाल की घटना से भयभीत हुए नागरिक

अमरावती/ दि. 25 – मध्यप्रदेश में कफ सिरप के कारण कथित रूप से डायथिलिन ग्लायकॉल की दूषितता के कारण हुई 23 बच्चों की मृत्यु के बाद सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गनायजेशन ने उच्च जोखिम वाले फार्मास्युटिकल सॉल्वेंट्स की आपूर्ति संख्या और गुणवत्ता की जांच के लिए एक डिजिटल निगरानी प्रणाली शुरू की है.
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब विश्व स्वास्थ्य संगठन द्बारा हॉल के वर्षो में उत्पादों में गुणवत्ता उल्लंघनों की ओार इशारा किए जाने के बाद देश के औसद उत्पादन मानकों पर विश्वस्तर पर बढी जांच की पृष्ठभूमि पर यह कदम उठाया गया है. जिले में ढाई हजार से ज्यादा मेडिकल स्टोअर है और जांच के लिए उनसे कफ सिरफ के नमूने एकत्र करने का अभियान चल रहा है. औषधि प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि जिले में कोई औषधि निरीक्षक नहीं है. इसलिए मुद्दा यह है कि निरीक्षण कैसे होगा. राज्यों में बच्चों के लिए खांसी की दवा बिना डॉक्टर की पर्ची के नहीं दी जा सकती. सरकार ने उपलब्ध कराने के आदेश तो दे दिए है, लेकिन स्टॉक राज्य के बाहर की दवा कंपनियों से आ रहा है और स्टॉक को लेकर कुछ संदिग्ध बाते हैं. इसलिए निरीक्षण जरूर है. औषधि प्रशासन में कर्मचारियों की संख्या अपर्याप्त है औषध निरीक्षक के 88% पद रिक्त है. अमरावती जिले की 28 लाख आबादी के पीछे एक भी औषध निरीक्षक नहीं रहने से जांच कैसे होगी, यह मुद्दा है.

6 माह में 26 निरीक्षक
1 अप्रैल से अक्ूबर तक 26 मेडिकल स्टोअर की जांच हुई. इसमें से दो दुकानों को कारण बताओं नोटिस दिया गया है. मनुष्य बल के अभाव में जिले के मेडिकल का निरीक्षण नहीं हो पा रहा है.

2500 मेडिकल स्टोअर, औषधि निरीक्षक ही नहीं
अमरावती जिले में पंजीकृत करीबन 2500 मेडिकल स्टोअर है. इस जिले के लिए मंजूर 4 में से एक भी दवाई निरीक्षक फिलहाल कार्यरत नहीं है. इस कारण इन दवाई बिक्री दुकानों पर नियंत्रण, जांच, फर्जी दवाई बिक्री पर ध्यान किसका, यह बडा सवाल है. दुकानों से नागरिको तक पहुंचने वाली दवाई यह सुरक्षित गुणवत्तापूर्ण और वैद्यकीय दृष्टि से उचित रहने की जांच करना यह औषध निरीक्षक का प्राथमिक कर्तव्य रहता है. लेकिन निरीक्षक ही न रहने से जिले के मेडिकल दुकानों की जांच भी कागजों पर ही हैं.

बिना पर्ची के दवाई न देने की सूचना
जिले की मेडिकल दुकानों को डॉक्टर की पर्ची के बगैर कोई भी दवाई न देने की सूचना पहले ही दी गई है. जिले के लिए 4 औषधि निरीक्षक है. लेकिन यह सभी पद रिक्त है.
अनिल माणिकराव, सहायक आयुक्त औषध प्रशासन

 

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