नगर विकास पर अंकुश
सीएम को पूछ कर ही कार्य स्वीकृति

* फंड नहीं मिलने की शिकायतें
मुंबई/ दि. 23 – शीघ्र होनेवाले निकाय चुनाव को ध्यान में रखकर शहरी विकास मंत्रालय द्बारा धडाधड योजनाओं और कार्यो को स्वीकृति देने एवं घोषणाएं करने पर मुख्यमंत्री ने रोक लगा दी है. अब कोई भी कार्य योजना पहले स्वीकृति के लिए मुख्यमंत्री के पास भेजनी होगी. उसके बाद ही योजना अथवा कार्य स्वीकृत होगा तथा उसके लिए निधि जारी होगी. इस प्रकार का दावा खबर में किया गया है. उल्लेखनीय है कि शहरी विकास मंत्रालय प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे संभाल रहे हैं. शिंदे ने सीएम रहते भी अपनी पार्टी के नेताओं, विधायकों को शहरी विकास विभाग से बडी मात्रा में फंड और योजनाएं स्वीकृत की थी.
मंत्रालय सूत्रों के हवाले से खबर में कहा गया कि कई योजनाओं की स्वीकृति एवं फंड जारी करने के बावजूद वे क्रियान्वित नहीं हो पायी. फंड अन्यत्र उपयोग में लाए गये. मीरा भायंदर मनपा में ही कुछ दिनों पहले मूलभूत सुख- सुविधाओं के विकास हेतु दिए गये फंड का उपयोग कचरे के डब्बे खरीदने में किया गया. 19 करोड रूपए की कचरे की पेटियां वहां खरीदी की गई. पेटियों की कीमत भी अनाप-शनाप दिए जाने से खफा सरकार ने निविदा प्रक्रिया पर रोक लगा दी.
* फंड नहीं मिल रहा
चुनाव के मुहाने पर अन्य दलों से महायुति में आए नगरसेवकों ने भी शिकायती स्वर तेज कर दिया है कि उन्हें विकास कार्यो के लिए निधि नहीं दी जा रही है. जबकि विभाग के पास कार्य और योजनाओं के प्रस्ताव काफी पहले दिए जा चुके हैं. दोनों दल बीजेपी और राकांपा के विधायक भी मुख्यमंत्री से इस बारे में शिकायत करने का समाचार है.
* सचिवालय के आदेश
बीजेपी और राकांपा विधायकों की शिकायत को गंभीरता से लेकर मुख्यमंत्री ने शहरी विकास विभाग की योजनाओं के फंड वितरण पर नियंत्रण लाने का समाचार है. अब मुख्यमंत्री की मान्यता लेने अथवा मुख्यमंत्री कार्यालय को सूचित करने के निर्देश दिए जाने का दावा खबर में किया गया है.
* वितरण में समानता
पूर्व नगरसेवकों और विधायकों की शिकायत के बाद सीएमओ हरकत में आने का दावा कर बताया गया कि महापालिका अथवा पालिका को भरपूर फंड दिया जा रहा है. किंतु महायुति को तीनों घटक दलों बीजेपी, शिवसेना, राकांपा को सम प्रमाण में फंड दिया जायेगा.





