दादासाहेब का व्यक्तित्व ‘परिस्पर्श’ के समान : श्यामसुंदर महाराज सोन्नर
स्व. दादासाहेब कालमेघ की 28वीं पुण्यतिथि समारोह

अमरावती/दि.30 -स्व. दादासाहेब कालमेघ का व्यक्तित्व, जिन्होंने अपने कर्म से केवल दूसरों को गढ़ा और समाज को एक नया कर्मयोग सिखाया, वह वास्तव में सामान्य जनमानस के लिए ‘परिस्पर्श’ के समान है. कठिन परिस्थितियों पर विजय प्राप्त कर, दादासाहेब ने अपनी अदम्य इच्छाशक्ति के बल पर सामाजिक प्रतिबद्धता निभाते हुए दूसरों के उज्ज्वल भविष्य के लिए कार्य किया, इस आशय का कथन प्रसिद्ध कीर्तनकार, व्याख्याता एवं लेखक ह.भ.प. श्यामसुंदर महाराज सोन्नर ने किया.
वे स्व. दादासाहेब कालमेघ स्मृति प्रतिष्ठान की ओर से आयोजित 28वीं पुण्यतिथि समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. इस अवसर पर आगे बोलते हुए श्यामसुंदर महाराज ने कहा कि, विज्ञान और अध्यात्म से भरपूर अंतरात्मा से दादासाहेब समाज के उत्थान के लिए एक सच्चे ‘वासुदेव’ सिद्ध हुए. दादासाहेब की 28वीं पुण्यतिथि पर उपस्थित प्रत्येक मन में उनके प्रति आदर और ऋणानुबंध दिखाई देता है. यही सच्चे पुण्यात्मा का स्मरण है. जो कोई रंजित-पीड़ित है, उसे जो अपना कहे, वही सच्चा संत है, वहीं ईश्वर का वास है – संत तुकाराम की इस वाणी की पुष्टि स्व. दादासाहेब के व्यक्तित्व और कार्यों से होती है. यह समारोह केवल स्व. दादासाहेब को श्रद्धांजलि देने का नहीं, बल्कि उनके विचारों की विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का समारोह है, उक्ताशय के विचार ह.भ.प. श्यामसुंदर महाराज सोन्नर ने व्यक्त किए.
स्व. दादासाहेब काळमेघ स्मृति प्रतिष्ठान द्वारा मंगलवार, 29 जुलाई को शाम 5 बजे मातोश्री विमलाताई देशमुख सभागृह में अभिवादन समारोह का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री शिवाजी शिक्षण संस्था के अध्यक्ष हर्षवर्धन देशमुख ने की. मुख्य उपस्थित में राज्य के प्रसिद्ध आध्यात्मिक प्रवचनकार ह.भ.प. श्यामसुंदर महाराज सोन्नर, नागपुर विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग प्रमुख डॉ. रामदास माहोरे, श्री शिवाजी शिक्षण संस्था के कोषाध्यक्ष दिलीपबाबू इंगोले, उपाध्यक्ष एड. गजानन पुंडकर, भैयासाहेब पुसदकर, केशवराव मेतकर, कार्यकारिणी सदस्य प्राचार्य केशवराव गावंडे, सुरेशराव खोतरे, प्रा. सुभाषराव बनसोड, सचिव डॉ. विजय ठाकरे, स्वीकृत सदस्य प्राचार्य डॉ. अंबादास कुलट, नरेशचंद्र पाटील, प्राचार्य अमोल महल्ले, प्राचार्य पुरुषोत्तम वायाल, रामदास कालमेघ, अमरावती विद्यापीठ के प्रभारी कुलगुरु महेंद्र ढोरे तथा प्रतिष्ठान के सचिव व श्री शिवाजी शिक्षण संस्था की कार्यकारिणी के सदस्य हेमंत काळमेघ आदि मान्यवर उपस्थित थे. अभिवादन समारोह की शुरुआत मान्यवरों द्वारा स्व. दादासाहेब एवं स्व. प्रमिलाताई कालमेघ की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई. कार्यक्रम की प्रास्ताविक स्व. दादासाहेब कालमेघ स्मृति प्रतिष्ठान के सचिव व श्री शिवाजी शिक्षण संस्था की कार्यकारिणी के सदस्य हेमंत कालमेघ ने रखी. संचालन प्रा. डॉ. मंदा नांदुरकर ने किया और आभार प्रदर्शन डॉ. राजेंद्र तायडे ने किया. कार्यक्रम में श्री शिवाजी शिक्षण संस्था के आजीवन सदस्य, स्वीकृत सदस्य, सभी महाविद्यालयों के प्राचार्य, प्राध्यापक, शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी एवं समाज के विविध क्षेत्र के गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे.
दादासाहेब के विचार जीवन को देते है नई दिशा
कार्यक्रम अध्यक्ष हर्षवर्धन देशमुख ने कहा कि दादासाहेब कालमेघ का व्यक्तित्व प्रेरणादायक है और उनके विचार तथा कार्य की विरासत जीवन को नई दिशा देती है. श्री शिवाजी शिक्षण संस्था के अध्यक्ष के रूप में दस वर्षों के कार्यकाल में उन्होंने समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्कूल और शिक्षा पहुंचाई. इसके लिए उन्होंने लगातार स्कूल, विद्यालय, महाविद्यालय शुरू किए और समाज के हर वर्ग को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा. संस्था के अध्यक्ष के रूप में भी उनका कार्य और सोच प्रेरक रही है. उन्होंने हर पदाधिकारी और सदस्य को एक छत्र के नीचे लाकर संस्था और शिक्षा के विकास को सामूहिक शक्ति प्रदान की. दादासाहेब ने प्रत्येक व्यक्ति को अपनाकर उनके व्यक्तित्व को नई ऊंचाई दी. उनके कार्य और विचारों की विरासत ऐसे ही आगे बढ़ाई जाएगी, ऐसा मत हर्षवर्धन देशमुख ने व्यक्त किया.
दादासाहेब का व्यक्तित्व ‘परिस’ के समान
इस अवसर पर कोषाध्यक्ष दिलीपभाऊ इंगोले, पूर्व प्राचार्य केशवराव गावंडे ने भी दादासाहेब कालमेघ के जीवनकार्य पर प्रकाश डाला. इसके पश्चात मंच पर उपस्थित सभी मान्यवरों ने स्व. दादासाहेब कालमेघ के व्यक्तित्व और उनके साथ जुड़े ऋणानुबंधों पर अपने विचार प्रस्तुत किए.स्व. दादासाहेब का व्यक्तित्व ‘परिस’ के समान था और वे एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे, जो सदैव प्रेरणास्तंभ बने रहेंगे – ऐसा सभी का एकमत था.





