झांकियों की सजावट के लिए कृत्रिम फूलों की मांग बढी
बाजारों में तरह- तरह की डिजाइनें

* लोग अपनी- अपनी पसंद की वस्तुएं खरीदने में दिखा रहे दिलचस्पी
अमरावती/ दि. 26 – महाराष्ट्र के सबसे बडे पर्व के रूप में मान्यता प्राप्त गणेशोत्सव की तैयारियां इन दिनों बडे जोर शोर चल रही है. भगवान गणेश के मंडप , झांकियों के साथ- साथ मूर्ति तथा मंडप की अतिरिक्त साज- सज्जा भी बहुत महत्वपूर्ण होती है. घरों तथा सार्वजनिक मंडपों में विराजित होनेवाले भगवान गणेश की पूजा आराधना का सिलसिला कल 27 अगस्त से शुरू होगा. शहर के मुख्य चौराहों राजकमल चौक, चित्रा चौक, श्याम चौक, बापट चौक समेत अन्य चौंकों में बाजार भगवान गणेश की पूजा आराधना तथा सजावट के लिए सज गये है. आधुनिक तकनीकी जमाने में अब कृत्रिम फूलों, पत्तियों, तोरण की मांग पहले की तुलना में बहुत ज्यादा बढ गई है. ताजे फूलों की कमी तथा ज्यादा कीमतें होने के करण लोग अब वास्तविक की जगह कृत्रिम फूल खरीदना ज्यादा पसंद कर रहे है. ताजे फूलों उपलब्धता कम होने के कारण ताजे फूल ज्यादा मात्रा में खरीदना सबके बस की बात नहीं है. इसलिए कृत्रिम फूलोूं की मांग भी लगातार बढ रही है. शहर के सभी प्रमुख चौराहों की दुकानों में कृत्रिम फूल सजे हुए दिखाई दे जाएंगे. कृत्रिम फूलों के खरीदार बढने की वजह से बेंचनेवालों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष बढी है.
* दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद से होती है आवक
किफायती तथा टिकाउ होने की वजह से कृत्रिम फूलों की मांग ज्यादा बढ रही है. कुछ दुकानदारों से चर्चा करने पर यह पता चला कि कृत्रिम फूलों की शहर में आवक अहमदाबाद, मुंबई तथा देश की राजधानी दिल्ली से होती है. मार्केट में कृत्रिम फूलों के साथ साथ कपडा, लाइट तथा मूर्ति की सजावटकी सामग्री उपलब्ध है. 4 से 6 फिट का पट्टा 20 रूपए से शुरू होकर ज्यादा कीमत वाला भी है. जबकि लडी न्यूनतम 100 से अधिकतम 700 रूपए तक बोली जा रही है. बातचीत के दौरान एक दुकानदार ने बताया कि लोग कृत्रिम फूल, तोरण इसलिए खरीदना ज्यादा पसंत करते है. क्योंकि इसे हर साल खरीदना नहीं पडता. कृत्रिम फूल प्राकृतिक फूल की तरह मुरझाते नहीं है. इसलिए तब तक काम में लाए जा सकते है, जब तक वे खराब नहीं हो जाते. कृत्रिम फूल स्थायी होते हैं. उन्हें कई वर्षो तक उपयोग में लाया जा सकता है.





