तीन साल के बावजूद प्रतीक्षा कायम, जिला परिषद चुनाव में उत्साह नहीं

चुनाव के लिए मिनी मंत्रालय के नेता लगे काम से, कार्यकर्ता खामोश

अमरावती/दि.19 – अमरावती जिला परिषद और पंचायत समिति का कार्यकाल समाप्त हुए लगभग तीन साल बीत चुके हैं. इन तीन वर्षों में नेता और कार्यकर्ता दोनों ही इस चुनाव का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. हालांकि, यह चुनाव बार-बार टलता जा रहा है. इसलिए कार्यकर्ताओं का उत्साह कम होता जा रहा है और वे कह रहे हैं कि अब और कितना इंतजार करना पड़ेगा. नेताओं के सामने इन निराश कार्यकर्ताओं का उत्साह बनाए रखने की बड़ी चुनौती है. इसलिए स्थिति यह है कि नेता तो ऊर्जावान हैं, लेकिन कार्यकर्ता चुनाव को लेकर उदासीन हैं.
जिला परिषद समूह के संभावित उम्मीदवार पिछले तीन वर्षों से इस चुनाव का सपना देख रहे हैं. इसके लिए कई लोगों ने तीन साल से ही तैयारी शुरू कर दी है. हालांकि, इन चुनावों के टलने के कारण नेताओं को भी कार्यकर्ताओं की देखभाल करने में परेशानी हो रही है. नतीजतन, नेताओं की उपेक्षा कार्यकर्ताओं पर भारी पड़ रही है और वे जानबूझकर नेताओं से दूर भागते नजर आ रहे हैं. ऐसे में, ऐसा लगता है कि संभावित उम्मीदवारों के सामने कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाए रखने की बड़ी चुनौती है. कई लोगों को उम्मीद थी कि ज़िला परिषद के चुनाव 3 दिसंबर के बाद घोषित किए जाएंगे. हालांकि, उन्हें निराशा हाथ लगी. अब नगरपालिका चुनाव घोषित हो चुके हैं. इसलिए, फिलहाल मिनी-मंत्रालय चुनाव को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है.

* तीन साल से प्रशासक राज
मार्च 2022 से जिला परिषद के चुनाव नहीं हुए हैं. परिणामस्वरूप, काम का पूरा भार प्रशासकों के कंधों पर है. इसी वजह से, जो नागरिक अक्सर पदाधिकारियों के अधीन काम करने आते हैं, वे तीन साल से प्रशासकों के शासन के आदी हो चुके हैं.

* नए नेताओं में उत्साह…
़जिला परिषद समूह से कई नए नेता चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं. ये नए संभावित उम्मीदवार पिछले तीन-चार महीनों से तैयारी कर रहे हैं और उनमें काफी उत्साह दिखाई दे रहा है. इसके अलावा, बड़ी संख्या में कार्यकर्ता भी उनके साथ खड़े नज़र आ रहे हैं. अनुमान है कि इससे उन पुराने संभावित उम्मीदवारों पर असर पड़ेगा जो पिछले तीन वर्षों से कार्यकर्ताओं का नेतृत्व करते-करते थक चुके हैं.

* दूरी के कारण संपर्क टूट गया…
पिछले जिला परिषद चुनाव को लगभग तीन साल बीत चुके हैं. इस वजह से, पिछले पांच साल के कार्यकाल में चुने गए कई जिला परिषद सदस्यों का इन तीन सालों में अपने कार्यकर्ताओं से अपेक्षित संपर्क नहीं हो पाया है. नतीजतन, चुनाव नजदीक आने के साथ ही इन अलग-थलग पड़े कार्यकर्ताओं के लिए दोबारा प्रचार करना एक कठिन चुनौती बन गया है. अब जब जनता भी प्रशासक से परिचित हो चुकी है, तो इस चुनाव को लेकर उनमें उत्साह की कमी है.

 

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