संत रामपाल महाराज के शिष्य सतलोक गमन

गुरू परंपरानुसार अंतिम संस्कार

नांदेड/ दि. 18 – संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेेनेवाली भगतमाई के सतलोग गमन की जानकारी मिली है. परिजनों और अनुयायियों ने बताया कि भगतमाई अनेक वर्षो से गुरूजी की शरण में रहते हुए शास्त्रानुसार भक्ति कर रही थी. उनके जीवन में भक्ति, सेवा और साधना को विशेष स्थान रहा.
भक्ति मार्ग का अनुसरण करनेवाली भगत माई का गुरू परंपरानुसार अंतिम संस्कार किया गया. इस समय कबीर रचित मंगला चरण गाए गये. अमृतवाली रही. संत रामपाल महाराज के शिष्य मृत्युपरांत कोई आडंबर अथवा कर्मकांड नहीं करते. अनुयायी का भी कहना रहा कि गुरूजी के मार्गदर्शन में स्पष्ट कहा गया है कि आत्मा अमर है. केवल शरीर नश्वर है. भगत माई के अंतिम संस्कार के समय सतलोग आश्रम से संबंधित अनेक श्रध्दालु उपस्थित थे. श्रध्दालुओं ने कहा कि संसार से मुक्त होने एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए महाराज जी की शरण आवश्यक है.

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