दूध उत्पादन से बनी दीवान खेड की पहचान
खेतों के लिए गोधन का खाद भी बेचते हैं ग्रामीण

* शहर से केवल 12 किमी दूर बसा गांव
अमरावती/ दि. 12- शहर से केवल 12 किमी दूर बसे मार्डी रोड के दीवानखेड ग्राम में अल्पावधि में दूध उत्पादन से पहचान बनाई है. गांव तक एसटी बस की सुविधा होने से वहां के युवा और बच्चे उच्च शिक्षा के लिए अमरावती शहर अपडाउन करने लगे हैं. गोधन और मवेशी पालन के कारण काफी मात्रा में प्राकृतिक खाद भी उपलब्ध हो रहा है. जिसे बेचकर ग्रामीण थोडा बहुत अतिरिक्त धनार्जन कर रहे हैं. चारे की व्यवस्था समय पर कर लेने के नियोजन के कारण दूध व्यवसाय अच्छी मात्रा में पनपने का चित्र दीवानखेड का है.
व्यवसाय विशेषज्ञ दीपक काले
खेती के साथ दूध का पूरक व्यवसाय गांव में लगभग सभी ने अपना लिया है. जिसके कारण गाय, भैंस की संख्या अच्छी खासी है. व्यवसाय का दीर्घ अनुभव रखनेवाले दीपक काले ने बताया कि दूध के पूरक व्यवसाय से किसानों को अच्छा आर्थिक आधार मिला है. यहां चारे की कमी नहीं है. गांव के आसपास पर्वत हराभरा परिसर होने से भी दूध उत्पादन की ओर से लोग आकर्षित हुए हैं.
अमरावती में लिए फ्लैट
केवल 900 की बस्ती दीवानखेड की है. ऐसे में गांव के युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए अमरावती जाना पडता है. इसलिए ग्रामीणों ने न केवल दीवानखेड में अपने घर बना लिए. बल्कि अमरावती में फ्लैट खरीदे हैं. कुछ ने अमरावती में घर बना लिए है. शहर के घर किराए से देकर ग्रामीण गांव में रहने और दूध का धंधा करने पर जोर दे रहे हैं. जिससे उनकी खेती बाडी पर भी निगरानी हो जाती है.
एसटी बसों की तीन फेरियां
दीवानखेड के लिए अमरावती शहर डेपो से एसटी बसों की अब तीन फेरियां, सुबह 7 बजे और 11 बजे तथा शाम 6 बजे रहती है. लडकियों का मासिक पास केवल 15 रूपए में बनता है. लडकों को 700 रूपए में एसटी का पास उपलब्ध हो रहा है. सभी के घरों में मवेशी होने से उनकी देखभाल पर गांव के लोगों को ध्यान देना होता है.
पशुपालन से समृध्दि
गांव की समृध्दि पशुपालन और दुग्ध व्यवसाय से होने की जानकारी ग्रामीण देते हैं. उन्होंने बताया कि गत तीन चार पीढी से गांव के लोग अमरावती शहर में दूध सप्लाई कर रहे हैं. साइकिल से घर- घर जाकर दूध पहुंचानेवाले यह पशुपालक- किसान अब मोटर साइकिलों से दूध सप्लाई कर रहे हैं. चारे की समस्या नहीं है. फिर भी ग्रीष्मकाल में नियोजन किया जाता है. कडबा, कुटार, ढेप, गेहूं का पोकर और सरकी आदि जमा कर रखे जाने की जानकारी दीपक काले ने दी और बताया कि गोबर का खाद खेती के लिए इस्तेमाल किया जाता है. उसी प्रकार 2500 रूपए प्रति ट्रॉली बेचकर भी किसान पैसा कमा रहे हैं.





