डॉ. काले की हडबडी से निर्दोष फंसे दिक्कत में
रिपोर्ट की पुष्टि किए बिना दर्ज कराई गई थी शिकायत
* जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र मामले की शिकायत ही संदेह के घेरे में
अमरावती /दि.5 – मनपा के चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विशाल काले की शिकायत के आधार पर कोतवाली पुलिस ने जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र हासिल करने हेतु फर्जी दस्तावेज देकर सरकार के साथ जालसाजी करने के मामले में कुल 504 लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज करते हुए जांच शुरु की है. वहीं अब यह बात सामने आ रही है कि, डॉ. काले द्वारा अपनी खुद की चमडी को बचाने हेतु हडबडी में दर्ज कराई गई इस शिकायत के चलते कई निर्दोष नागरिकों को बिना वजह पुलिस एवं अदालती कार्रवाई सहित दिक्कतों का सामना करना पड रहा है.
बता दें कि, नायब तहसीलदार स्तर के अधिकारी द्वारा जारी किए गए जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्रों को रद्द करने के बाद ऐसे प्रमाणपत्रों की जांच-पडताल करते समय 155 लोग उनके द्वारा दिए गए पतों पर नहीं पाए गए थे. साथ ही 349 लोगों द्वारा दिए गए पते ही नहीं मिले थे, ऐसी रिपोर्ट सामने आई थी. जिसके आधार पर डॉ. विशाल काले ने सीधे यह निष्कर्ष निकाल लिया कि, उन 504 लोगों ने जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र हासिल करने हेतु किए गए आवेदन के साथ झूठे व फर्जी दस्तावेज जोडे और उनके जरिए विलंबित जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र हासिल करते हुए राज्य सरकार के साथ धोखाधडी व जालसाजी की, परंतु डॉ. विशाल काले के इस अनुसंधानात्मक निष्कर्ष ने शहर के 504 लोगों को आरोपियों के कटघरे में खडा कर दिया है. सहायक क्षेत्र अधिकारियों के रिपोर्ट की दुबारा जांच न करते हुए खुद पर ही भारी पडनेवाले मामले से अपने-आप को बचाने के लिए डॉ. विशाल काले ने उपरोक्त निष्कर्ष निकालते हुए सीधे कोतवाली पुलिस थाने में संबंधित नागरिकों के खिलाफ सरकार के साथ धोखाधडी व जालसाजी करने की शिकायत दर्ज कराई. इसके चलते अब सिटी कोतवाली के जांच पथक द्वारा इस रिपोर्ट की पडताल की जा रही है. वहीं आरोपियों की सूची में शामिल कई लोगबाग अपने घर प्रमाणपत्र में दर्ज पते पर ही रहने और उनका उसी पते पर निवास रहने के सबूत लेकर पुलिस थाने के चक्कर काटने पर मजबूर हो गए है. ऐसे में अब यह सवाल पूछा जा रहा है कि, आखिर डॉ. विशाल काले ने कोई भी पुष्टि या पडताल किए बिना इतनी हडबडी में पुलिस थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज क्यों करवाई? साथ ही भाजपा नेता व पूर्व सांसद किरीट सोमैया के दौरे से महज एक दिन पहले आनन-फानन में एफआईआर दर्ज कराने की जरुरत और जल्दबाजी क्यों महसूस की गई.
* अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाडना चाह रहे डॉ. काले
मनपा के स्वास्थ्य व चिकित्सा अधिकारी डॉ. विशाल काले ही जन्म-मृत्यु विभाग के निबंधक भी है और उन पर ही इस पूरे मामले की जिम्मेदारी बनती है. परंतु उन्होंने अपने-आप को फंसता देख बडी चतुराई के साथ सिटी कोतवाली पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराते हुए खुद को शिकायतकर्ता यानि फिर्यादी दर्शा दिया. साथ ही अब इसे लेकर और भी दिक्कत पैदा हो जाने पर डॉ. विशाल काले ने अपनी जिम्मेदारी को स्वीकार करने की बजाए यह कहते हुए अपने-आप को बचाने का प्रयास करना शुरु किया है कि, पूरी पडताल जोन स्तर के सहायक क्षेत्रीय अधिकारियों व कर लिपिकों द्वारा की गई है और उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही उन्होंने संबंधितों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. जबकि हकीकत यह है कि, खुद डॉ. विशाल काले ने जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र धारकों की पडताल अपने स्तर पर करनी चाहिए थी. लेकिन उन्होंने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाडते हुए यह काम जोन स्तर के कर लिपिकों के जरिए करवाया और सीधे 504 सर्वसामान्य नागरिकों को आरोपियों के कटघरे में लाकर खडा कर दिया. खास बात यह भी रही कि, ऐसा करनेवाले डॉ. विशाल काले खुद ही यह स्वीकार भी कर रहे हैं कि, आरोपियों की सूची में शामिल 50 फीसद लोग निर्दोष भी हो सकते है. ऐसे में सवाल उठता है कि, यदि 50 फीसद लोगों के निर्दोष होने की संभावना पहले से पता है, तो फिर पुलिस में शिकायत दर्ज कराने से पहले ही इसे लेकर आवश्यक जांच-पडताल क्यों नहीं की गई और 504 लोगों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराने को लेकर इतनी जल्दबाजी क्यों की गई.
* जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र को लेकर दाखिल एफआईआर में यदि कुछ लोगों पर अन्याय हुआ है और कुछ लोगों के नाम एफआईआर में गलती से शामिल हुए है, तो ऐसे लोगों के नामों को एफआईआर से हटाने हेतु आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. साथ ही इस मामले में पूरी जांच-पडताल भी की जाएगी.
– सौम्या शर्मा चांडक
आयुक्त, अमरावती मनपा.





