कमाउ पत्नी को भी खावटी मिलने का अधिकार
हाईकोर्ट ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला

* पति की याचिका को किया खारिज
नागपुर /दि.22 – मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया कि, कमाउ पत्नी को भी निर्वाह भत्ते के तौर पर खावटी मिलने का पूरा अधिकार है. यह फैसला सुनाने के साथ हाईकोर्ट ने पति द्वारा खावटी संबंधी आदेश पर उठाए गए आक्षेप को खारिज कर दिया. यह महत्वपूर्ण फैसला न्या. उर्मिला जोशी फालके द्वारा सुनाया गया है.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक कनाडा में वैज्ञानिक के तौर पर काम करनेवाले पति एवं पेशे से फिजिओथेरपीस्ट रहनेवाली पत्नी का 6 जुलाई 2008 को विवाह हुआ था. जिसके बाद पत्नी अपने पति के साथ रहने के लिए कनाडा चली गई थी. जहां पर पति द्वारा उसे उसके माता-पिता सहित आसपडोस में रहनेवाले पडोसियों के सात बातचीत करने से मना किया जाता था. साथ ही उसे घर से बाहर जाने की भी अनुमति दी जाती थी. इसके अलावा पति द्वारा पत्नी के साथ हमेशा ही गालीगलौच की जाती थी. जिससे परेशान होकर पत्नी अपनी दोनों बच्चियों के साथ अपने मायके लौट आई थी और उसने तलाक हेतु आवेदन करने के साथ ही खुद को खावटी के तौर पर निर्वाह भत्ता मिलने हेतु आवेदन किया था. जिसे पारिवारिक अदालत व जिला अदालत द्वारा स्वीकार किया गया था. परंतु निचली अदालत के फैसले को पति ने यह कहते हुए उपरी अदालत में चुनौती दी थी कि, चूंकि उसकी पत्नी पेशे से फिजिओथेरपीस्ट है और अपने सहित अपनी दोनों बच्चियों के भरण-पोषण हेतु आवश्यक कमाई करती है. अत: उसे खावटी दिए जाने की कोई जरुरत नहीं है.
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि, पत्नी थोडीबहुत कमाई करती है, इस एकमात्र कारण के चलते उसे खावटी हेतु अपात्र घोषित नहीं किया जा सकता. पत्नी पर अपनी देखभाल सहित अपनी दोनों बच्चियों के पालनपोषण व पढाई-लिखाई के साथ ही उनकी दैनिक जरुरतों को पूरा करने की जवाबदारी है. इस समय जीवनावश्यक वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे है. वहीं उसका पति बेहद साधनसंपन्न है और उच्चस्तरिय जीवन जी रहा है. ऐसे में पत्नी को संघर्षवाली स्थिति में जीवन जीने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. अत: यद्यपि पत्नी कुछ प्रमाण में अर्थाजन कर रही है, लेकिन इसके बावजूद उसे खावटी मिलना बेहद आवश्यक है. इस मामले में पत्नी की ओर से एड. शिबा ठाकुर व एड. अमित ठाकुर ने सफल युक्तिवाद किया.





