संपादकीय

पर्यावरण के लिए पंछी जरुरी

राज्य सरकार द्वारा ५ से १२ नवंबर तक पक्षी सप्ताह घोषित किया गया है. इस दौरान अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा. सरकार की यह घोषणा प्रकृति प्रेमियों के लिए एक सुखद समाचार है. क्योकि बीते कुछ वर्षो में प्रकृति के संवर्धन के प्रति लोगों में उदासीनता का भाव दिखाई दे रहा था. जिसके कारण जहां पर्यावरण की भारी क्षति हो रही थी. वहीं पर पर्यावरण से जुड़े पशु -पक्षियों की संख्या में भी भारी गिरावट आने लगी थी. पक्षियों चहचहाट के बीच लोगों की सुबह आरंभ होती थी. पक्षियों का यह कलरव सुबह के वातावरण को मधुर बना देता था. लेकिन बीते कुछ वर्षो में पक्षियों की संख्या में निरंतर गिरावट आने लगी है. अनेक स्थानों पर पक्षियों की अनेक प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर पहुंच गई थी. ऐसे में यह अति आवश्यक हो गया था कि पक्षियों के संवर्धन के लिए कोई योग्य कदम उठाया जाए. प्रकृति प्रेमी संस्थाओं की ओर से समय-समय पर पक्षियों के संवर्धन से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता था. चर्चासत्र संगोष्टियों के माध्यम से पक्षियों की महत्ता, प्राकृतिक वातावरण को मधुरतम बनाने के लिए पक्षियों की आवश्यकता आदि विषयों पर चर्चा होती रही है. लेकिन यह चर्चाए केवल चर्चाओं तक सीमित रही. पक्षियों के जतन के लिए विशेष कार्य नहीं हो पाए. कुछ संस्थाओं ने ग्रीष्मकाल में पक्षियों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए घर की छतों पर योग्य व्यवस्था भी की. लेकिन पक्षियों के जतन के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है पर्यावरण का संवर्धन. इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया. पर्यावरण के बढ़ते प्रदूषण से सामान्य व्यक्ति का भी जीना दुभर हो गया है, ऐसे में पक्षियों का सुरक्षित रहना कठिन होना ही था. अपने स्वार्थ के लिए मनुष्य ने वनसंपदा को नष्ट करना आरंभ कर दिया है. जिससे पर्यावरण को भारी क्षति पहुंची है. पर्यावरण के अभाव में वन्यपशु तक को परेशानी का सामना करना पड़ता है. बीते कुछ वर्षो में अनेक स्थानों पर पाया गया है कि वन्यजीव आबादी वाले क्षेत्र में पहुंच गये है. क्योंकि इन वन्यजीवों को वनक्षेत्र में पेयजल के लिए भी परेशान होना पड़ रहा था. जिसके चलते पेयजल की तलाश में आबादी वाले क्षेत्र में भी पहुंच गये. परिणामस्वरूप पर्यावरण से लेकर पशु पक्षी सबका जीवन प्रभावित होने लगा. राज्य सरकार द्वारा इस मर्म को समझते हुए पक्षी सप्ताह का जो निर्णय लिया गया है वह सराहनीय है.
पशु पक्षी व पर्यावरण का कितना गहरा नाता है यह बात लोगों ने लॉकडाऊन के दौरान देखी. इस दौरान प्रदूषण का पूरी तरह अभाव था.जिसके कारण अनेक पशु पक्षी निर्भिक होकर सड़को पर घूमते हुए नजर आए. यहां तक की अनेक हिंसक पशुओं में भी नम्रता दिखाई दी. सड़को पर आम तौर पर वाहन जाता देख अनेक कुत्ते केवल भौंकना जानते थे वे भी उस दौरान वाहन देख पूछ हिलाते हुए उसके ईर्द-गिर्द खड़े हो जाते थे. क्योंकि इस दौरान अनेक संस्थाओं में मानवीयता दिखाते हुए मूक प्राणियों को बिस्कुट आदि का वितरण करते थे. जिससे पशुओं में व लोगों में आपसी स्नेह बढ़ गया था. निश्चित रूप से यह स्थिति फिर से निर्माण हो सकती है. इसलिए जरूरी है कि पर्यावरण का संवर्धन किया जाए. यदि पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तो पेड़ -पौधों पर पक्षी मंडरायेंगे. जिससे एक सहज प्राकृतिक वातावरण निर्माण होगा. आज भी जिन क्षेत्रों में पेड़ पौधों का जतन होता है.वहां पर बड़े पैमाने पर पक्षी दिखाई देते है. इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि पर्यावरण का जतन ही पक्षियों की सुरक्षा का मूलमंत्र है.
सरकार द्वारा पक्षी सप्ताह का निर्णय हर दृष्टि से उचित कहा जायेगा. क्योकि इसके माध्यम से सृष्टि में पक्षियों का जतन किया जा सकता है. पक्षियों के जतन के लिए और भी क्या मार्ग अपनाए जा सकते है. इस बारे में भी चर्चा होनी चाहिए. पक्षी सप्ताह के अंतर्गत पक्षियों के प्रति लोगों को जागृत करने का जो कार्य होगा वह केवल पक्षियों के हित में नहीं बल्कि समूची प्रकृति के हित में रहेगा. इसलिए जरूरी है कि इस सप्ताह को औपचारिक रूप न देते हुए इसे पक्षियों के प्रति लोगों मेंं जनजागृति के अभियान के रूप में अपनाया जाए. निश्चित रूप से सरकार का यह निर्णय अत्यंत महत्वपूूर्ण है. आनेवाले समय में इसके अनुकूल परिणाम भी देखे जा सकते है.बहरहाल ५ से १२ नवंबर तक माने जानेवाले पक्षी सप्ताह में केवल पक्षियों के संवर्धन से जुड़ी संस्थाए ही नहीं आम नागरिक को भी योगदान देना चाहिए ताकि प्रकृति का भी योग्य जतन किया जा सकेगा.
आज प्राकृतिक संसाधनों के प्रति हर कोई उदासीन है. अनेक स्थानों पर जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण सहित अन्य कारणों से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. जिसके चलते पक्षियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है. यदि प्राकृतिक संपदाओं का संतुलन बनाए रखना है तो इसके लिए पर्यावरण का संवर्धन किया जाए. इससे मानवीय सृष्टि की भी रक्षा हो सकती है. आज जिस तरह स्वास्थ्य से संबंधित प्रश्नों पर लोग जागृत होने लगे है. क्योंकि इस दिशा में अब तक उनके द्वारा बरती गई उदासीनता का अहसास उन्हें अब महसूस हुआ है. इस दृष्टि से पक्षी सप्ताह का महत्व बढ़ गया है. पक्षियों के जतन का कार्य तभी हो सकता है जब हर कोई इसमें योगदान दे.

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