संपादकीय

जानलेवा अंधश्रध्दा

मेलघाट में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर उच्च न्यायालय द्वारा सरकार को सख्त चेतावनी देने के बाद भी अनेक बालक आज भी अंधश्रध्दा की भेंट चढ रहे है. हाल ही में अंधश्रध्दा के चलते आदिवासी परिवार द्वारा 30 दिन की बालिका का भूमका द्वारा उपचार किया जा रहा था. जिसके चलते बालिका की मृत्यु हो गई. मेलघाट में स्वास्थ्य सेवा के लिए सरकार की ओर से करोड़ों रूपये खर्च किए जाते है. लेकिन लोगों में उपचार व्यवस्था के प्रति जो जनजागृति चाहिए वह नहीं होने के कारण अंधश्रध्दा जैसी स्थितियां आज भी कायम है. सरकार को चाहिए कि जिस तरह उपचार व्यवस्था के लिए करोडों रूपये खर्च किए जाते है. उसी तरह लोगों में अस्पताल में उपचार करवाने के लिए जनजागृति होना जरूरी है. सरकार को जनजागृति के लिए भी आर्थिक प्रावधान करना चाहिए व लोगों में उपचार व्यवस्था के प्रति विश्वास निर्माण करना जरूरी है तभी बालको को भूमका आदि के उपचार से बचाया जा सकेगा. इसके लिए कार्य योजना तय कर हर किसी को यह समझाना जरूरी है कि सरकार द्वारा उपचार के लिए क्या क्या व्यवस्था की गई है. यदि इस दिशा में कार्य नहीं होता है तो अंध श्रध्दा का यह सिलसिला कायम रहेगा.

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