संपादकीय

कुपोषण से मौत

राज्य के मेलघाट इलाके में अब भी अनेक बालक कुपोषण से प्रभावित है तथा कुपोषण के कारण उनकी मृत्यु भी हो रही है. जबकि मेलघाट में कुपोषण की समस्या वर्षो से जारी है. कुपोषण से बालको एवं माताओें को मुक्ति देने के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं तीन दशको से जारी है. बावजूद इसके कुपोषण की समस्या आज भी गंभीर बनी हुई है. इस बारे में मुंबई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दिपांकर गुप्ता तथा और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की खंडपीठ ने कुपोषण संबंधी मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि यदि राज्य के मेलघाट इलाके में अभी भी बालक कुपोषण से मर रहे है तो कल्याणकारी योजनाओं का क्या औचित्य है.
मेलघाट क्षेत्र में कुपोषण की यह पीड़ा तीन दशको से जारी है. जिसके कारण हर वर्ष मेलघाट में कुपोषण से प्रभावित होकर सैकड़ों बालको की मृत्यु हो जाती है. मेलघाट की समस्या को देखते हुए सरकार की ओर से मेलघाट में आर्थिक सहायता के अनेक विकल्प आरंभ किए गये है. अनेक स्थानों पर स्वास्थ्य सेवा की व्यवस्था की गई है. लेकिन सभी सेवाओं में कहीं न कहीं लापरवाही बरती जा रही है. यही कारण है कि आज भी मेलघाट में अशिक्षा व अंधविश्वास का प्रमाण इतना अधिक है कि गंभीर बीमारी होने के बाद अनेक माता-पिता अपने पालक को भूमका के पास ही ले जाना उचित समझते है. जबकि बीते दो माह में एक से अधिक बालक की भूमका के उपचार के कारण मृत्यु हो गई है. निश्चित रूप से लोगों में सरकार द्वारा जारी कल्याणकारी योजनाओं के विषय में जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है.
यदि मेलघाट में जारी सभी योजनाओं का समझकर उसका लाभ लिया जाता है तो निश्चित रूप से इन समस्याओं से निपटा जा सकता है. लेकिन पाया गया है कि कल्याणकारी योजनाओं के बारे में आदिवासियों को जानकारी नहीं है. इसके लिए जिन लोगों को जिम्मेदारी सौंपी गई है. उनकी ओर से कोई ठोस पहल नहीं की गई. अधिकांश कार्य केवल कागजों पर ही चल रहे है. यही कारण है ऊपरी तौर पर भले ही मेलघाट में सबकुछ सही नजर आता हो. लेकिन कुपोषण की समस्या इस बात को उजागर करती है कि जो सार्थक प्रयत्न होने चाहिए थे. वे नहीं हो पाए. हाईकोर्ट में जारी याचिका कर्ताओं ने अदालत को बताया था कि इस वर्ष अगस्त से सितंबर के बीच कुपोषण तथा व डॉक्टरो की लापरवाही के कारण 40 बालको की मृत्यु हो गई. जबकि 24 बच्चों का जन्म मृतावस्था में हुआ.
इस बारे में मुख्य न्यायाधीश दीपाशंकर दत्ता एवं जीएस कुलकर्णी ने राज्य सरकार को 3 सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा है. साथ ही इस बात की भी जानकारी मांगी है कि टीकाकरण के लिए पंजीकृत ऐसे लोगों और शहर में टीका ले चुके व्यक्तियों की संख्या कितनी है. निश्चित रूप से कहीं न कहीं सरकार की ओर से लापरवाही बरती जा रही है. जिसके परिणामस्वरूप अनेक योजनाएं कार्यान्वित रहने के बावजूद कुपोषण की समस्या कायम है. जबकि जितनी राशि मेलघाट में कुपोषण को भगाने के लिए खर्च की जा रही है. उतनी राशि का यदि सही सदुपयोग किया जाता तथा नियोजनबध्द तरीके से उपयोग में लाया जाता तो कुपोषण के कलंंक से मुक्ति मिल गई होती.
कुल मिलाकर कुपोषण की समस्या आज भी मेलघाट में कायम है. यही कारण है कि बालमृत्यु की घटनाए निरंतर हो रही है. विशेषकर योग्य पोषाहार न मिलने के कारण कई बालको को मौत का शिकार होना पड रहा है. गर्भवती महिलाओं को भी योग्य पोषाहार न मिलने के कारण मृत बालको का जन्म हो रहा है. इसके लिए सरकार को पूरी तरह ध्यान देना होगा. मेलघाट यह अमरावती जिले व राज्य का प्राकृतिक सौंदर्य से रचा बसा क्षेत्र है. यहां पर पर्यटन को व्यापक रूप से बढ़ावा दिया जा सकता है. ऐसे में अतिआवश्यक है कि मेलघाट की स्थितियों की समीक्षा की जाए व इस कुपोषण के कलंक को धोने का प्रयास किया जाए.

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