संपादकीय

बीमारी रोकने के लिए योग्य निर्णय जरूरी

कोरोना वायरस देश में एक बार फिर सिर उठाने लगा है. मरीजों की संख्या बीते सप्ताह से बढना आरंभ हो गई है. केरल तथा महाराष्ट्र में यह स्थिति और भी बिगडने लगी है. जिसके चलते केन्द्रीय गृह सचिव ने सलाह दी है कि जिन क्षेत्र में कोविड-19 के अधिक मामले सामने आ रहे है. वहां पर रात का कर्फ्यू लगाया जाए. वैसे भी रात का समय व्यवसाय आदि के लिए उपयोगी नहीं रहता है. क्योंकि दुकान बंद करने के बाद हर कोई अपने घर पहुंचकर समय पर घरगुती कार्य को निपटा सकता है. वर्तमान में सरकार ने निर्बध में शिथिलता देकर प्रतिष्ठानों को रात 10 बजे तक खुली रखने की अनुमति प्रदान की है. इससे प्रतिष्ठान बंद होने के बाद भी लोगों को घर तक पहुंचने में काफी समय लग जाता है. जैसा कि पहले मांग की जा रही थी. कि दुकानों को खोलने का समय सुबह 7 से रात 8 तक रखा जाए. इससे व्यापार को भी पर्याप्त अवसर मिल जायेगा तथा 8 बजे के बाद प्रतिष्ठानों के कर्मचारी भी समय तक रूककर अपने परिवार के साथ हॅस खेल सकते है. ऐसे में रात 8 बजे तक प्रतिष्ठान खुले रखने की अनुमति दी जाती है तो इससे अनेक लोग लाभान्वित हो जाते है.
स्वास्थ्य संगठन की ओर से रात के समय कर्फ्यू लगाए रखने की सिफरिश की गई है. इसके चलते प्रशासन की ओर से रात का कर्फ्यू लगाया जा सकता है. ऐसा होना भी चाहिए. कुछ व्यवसाय ऐसे होते है. जिनका कार्य शाम तक पूर्ण हो जाता है. इसलिए होटल व्यवसाय आदि का समय भले ही रात 10 तक का रखा जाए. लेकिन सभी व्यापारियों को मिलनेवाला समय योग्य रूप से उपयुक्त साबित नहीं होगा. इससे राहत मिलेगी. इस हालत में भले ही रात का कर्फ्यू लगाया जा सकता है. दिन में व्यवसाय के लिए पूर्ण समय दिया जाए तथा रात 8 बजे के बाद भी प्रतिष्ठान बंद कराए जा सकते है. इससे व्यवसाय की भी गति कायम रहेगी व संक्रमण रोकने के लिए लंबा समय भी मिल जायेगा.
रात का कर्फ्यू लगाने का दिया गया मशविरा समय की द़ृष्टि से उपयुक्त है. क्योंकि वर्तमान स्थिति में एक बार फिर लॉकडाउन लोगों के लिए घातक साबित होगा. क्योंकि बीते एक वर्ष से अधिक समय से जारी लॉकडाउन के कारण सारा व्यापार क्षेत्र प्रभावित हुआ है. इसी तरह अर्थचक्र भी प्रभावित हो रहा है. परिणामस्वरूप व्यवसाय को पूरी तरह बंद रखने का निर्र्देश देना लोगों के लिए जटिलता भरा कार्य रहेगा. वैसे देखा जाए तो कोरोना के कारण अत्याधिक प्रभावित राजधानी दिल्ली व उसके आसपास के परिसरों में अब शालाएं आरंभ करने की प्रक्रिया जारी है. हॉटस्पॉट बना दिल्ली जैसा प्रांत अपनी शालाएं आरंभ करने की स्थिति में पहुंच गया है. जाहीर है उन्होंने अपने प्रांत से कोरोना को हटाने के लिए नियमित प्रयास जारी रखे. परिणामस्वरूप आज वहां शालाएं भी आरंभ करने की तैयारी हो रही है. इसी तरह राज्य में भी क्यों नहीं बीमारी का समूल उच्चाटन हो पा रहा है? यदि प्रयास प्रभावी तरीके से किए जाते है तो बीमारी को भी भगाया जा सकता है. लेकिन पाया जा रहा है कि महाराष्ट्र व आसपास के क्षेत्रों में जैसे ही संक्रमण कम होता है अनलॉक प्रक्रिया को तेज कर दिया जाता है. लेकिन फिर एकाएक प्रमाण बढ जाता है. जिससे फिर से लोगों को लॉकडाउन की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. जरूरी है कि सरकार बीमारी के उच्चाटन के लिए सार्थक प्रयास करे. राज्य में पाया जा रहा है कि बीमारी का उपयोग केवल भय निर्माण करने के लए हो रहा है. जबकि अनेक स्थानों पर सभा सम्मेलन जारी है. आरोप प्रत्यारोप के दौर में अनेक जगह राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं का जमाव होना आदि कार्य जारी है.
कुल मिलाकर जरूरी हो गया है कि बीमारी से बचाव के लिए ठोस प्रयास किए जाए. यदि सड़को पर गर्दी बढती है तो पुलिस प्रशासन के सहयोग से एकतर्फा मार्ग आरंभ किया जाए. जिससे सडको की भीड कम हो जायेगी व संक्रमण का खतरा सीमित हो जायेगा.

Related Articles

Back to top button