संपादकीय

प्रशासन की असंवेदनशील भूमिका

विगत सोमवार से शहर में पी-1 पी-2 का बंधन समाप्त कर पूरे मार्केट को आरंभ कर दिया गया है. इसी तरह मॉल, जीम आदि भी आरंभ किये जा रहे है. विगत 4 माह से निरंतर लॉकडाउन से जूझ रही जनता को अब अनलॉक प्रक्रिया में कुछ राहत मिल रही है. लेकिन प्रशासन के समक्ष इस बात को लेकर कोई संवेदना नहीं है कि, विगत 4 माह से केवल सरकार के आग्रह पर लॉकडाउन जैसी प्रक्रिया में अपना योगदान देने वाले नागरिक क्या कुछ नहीं खो बैठे है. बावजूद इसके जनसामान्य ने कोई शिकायत नहीं की. शासन प्रशासन के निर्णयों का पालन करने को प्राथमिकता दी है और आज भी प्राथमिकता दे रहे है. लेकिन प्रशासन की भूमिका चार माह से संघर्ष करनेवाली जनता के प्रति संवेदनशील न होकर उनसे ऐन केन प्रकारेन जुर्माना वसूल करने की हैे.इन दिनों पार्किंग व्यवस्था के नाम पर सडक़ किनारे खड़े वाहनो को उठाकर ले जाया जा रहा है.यदि प्रशासन की ओर से सभी कुछ सामान्य रहता है तो नागरिको से भी नियमों के पालन की अपेक्षा की जा सकती है. यहां पर प्रशासन अनेक मामलों में कमजोर पड़ रहा है. पर कार्रवाई की भूमिका जस की तस है. शहर में अनेक स्थानों पर सडक़ों का काम जारी है. जिसके कारण दुकानों के सामने पार्किंग की जगह नहीं बच रही है. इसके चलते वाहन धारको को अपने वाहन सडक़ किनारे लगाने पड़ रहे है.

शहर कोतवाली के सामने एक तरफ रास्ते का काम जारी है. दूसरी तरफ के व्यापारिक संकुलों के आगे नालिया आदि बनाने का काम भी जारी है, ऐसे में सडक़ किनारे वाहन लगाना नागरिको की मजबूरी है. अनेक व्यापारी संकुलों के सामने लोकनिर्माण विभाग की ओर से काम किया जा रहा है. लेकिन संबंधित विभाग अपने काम को पूरा करने मेें जी भरकर कोताही बरत रहा है. सुंदरलाल चौक पर विगत तीन हफ्तों पूर्व पेविंग ब्लॉक के लिए गिट्टियां लायी गई थी. लेकिन उसका उपयोग अब तक नहीं हो पाया है. जाहीर है संबंधित विभाग एवं उससे जुड़े ठेकेदारों द्वारा जो काम किया जा रहा है. उसे यथाशीघ्र पूरा करने की मानसिकता नहीं है. काम अध्ूारा रहने के कारण पार्किंग की समस्या तो निर्माण हो रही है.लेकिन यातायात भी प्रभावित हो रहा है.

इस हालत में प्रशासन का क्या यह दायित्व नहीं है कि वह सडक़ों का निर्माण पूरा करे. साथ ही पार्किंग व्यवस्था भी योग्य बनाए. जब पार्किंग के लिए झोन घोषित नहीं वहां पर वाहनों की पार्किंग के लिए प्रबंध किया जाए. सबसे मुख्य बात तो यह हैकि यदि कोई कार्य किसी ठेकेदार को सौंपा जाता है तो उसका विवरण व कार्य पूरा होने की तिथि आदि का विवरण लिया जाए. इससे यह स्पष्ट हो जायेगा कि काम कब तक पूरा होगा. लेकिन पाया जाता है कि अधिकारियों की ठेकेदारों से सांठगांठ के चलते वे किसी एक काम को पूरा नहीं किया जाता है. काम को आधा छोडक़र दूसरा काम आरंभ कर दिया जाता है.परिणामस्वरूप नागरिको को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. प्रशासन को चाहिए कि सबसे पहले लंबित कार्यो की सूची जारी कर उन कार्यो को पूरा करने का प्रयास किया जाए. स्पष्ट है कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण खामियाजा आम नागरिको को भुगतना पड़ रहा है.

सोशल डिस्टेसिंग जैसी प्रक्रिया कोरोना से बचाव के लिए अति आवश्यक है. लेकिन यहां पर बाजार खोलने के दिन से ही लोगों द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है. हर व्यापारी संकुलों के सामने बाल भिखारियों की संख्या बढ़ गई है. कोरोना संक्रमण के कारण सामान्य व्यक्ति को अनेक नियम से गुजरना पड़ रहा है. लेकिन जो लोग सडक़ के किनारे आसरा लेकर बैठे है वहां पर बाल भिखारियों द्वारा सोशल डिस्टेसिंग के नियमों का पालन नहीं हो पाता. किसी भी दुकान में जानेवाले और आनेवाले ग्राहको से पैसे मांगने के लिए अनेक बाल भिखारियों की भीड़ दिखाई देती है. लोगों से पैसे लेने के लिए वे जबर्दस्ती लोगों के कपड़े पकडक़र याचना करते है. इससे नियमों की धज्जियां उड़ती है. शहर में अनेक स्थानों पर ऑटो रिक्षा चालको द्वारा बीच में ही वाहन खड़ा कर दिया जाता है. लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होती. यही वजह है कि नो पार्किंग के नाम पर लोगों के वाहन उठाने का सिलसिला जारी है. मार्केट पूरी तरह खुले मंगलवार को दूसरे दिन से वाहन उठाने का काम आरंभ हो गया है. इसमें जिन लोगों के वाहन ले जाए गये है.उनसे जुर्माना वसूलने का सिलसिला आरंभ हो जाता है.

जाहीर है प्रशासन भी इस बात का ख्याल रखे. यदि सोशल डिस्टेसिंग का पालन करवाना है तो सभी व्यापारी संकुलों के सामने घूमंतु व उनके बालक नियमों की अवहेलना कर भींक मांगते हुए दिखाई देेते है. इन पर भी रोक लगाई जानी चाहिए. अभिप्राय यह शहर में बाजार आरंभ होने के बाद लोगों को राहत मिली है. लेकिन बाजार से जुड़े व्यापारियों के प्रतिष्ठान के सामने कहीं निर्माण कार्य जारी है तो कहीं सरकारी ठेकेदार द्वारा गिट्टी व अन्य चीजें जमीन पर रखी गई है. अनेक स्थानों पर कई हफ्तों से यह सामान पड़ा हुआ है. लेकिन उसे पूरा करने की संबंधित ठेकेदारों की मानसिकता नहीं दिखाई देती है. निश्चित रूप से यदि प्रशासन लोगों से हर क्षेत्र में सहयोग चाहता है पर खुद व्यवसाय व सामान्य नागरिक के लिए असंवेदनशील बनकर बैठा हुआ है. जाहीर है प्रशासन को यदि नियमावली लागू करनी है तो वह अपने आपको व्यवस्थित रखे. जितने भी कार्य लंबित पड़े हुए है उसे पूरा करने के लिए प्रशासन को आगे आना होगा. सडक़ पर अनावश्यक पार्किंग की भीड़ न बढ़े. इसके लिए प्रशासन को पार्किंग की व्यवस्था सुचारू करनी होगी. यह सब तभी संभव है जब पब्लिक और प्रशासन के बीच समन्वय हो. नियमों का पालन करना आम नागरिक की जिम्मेदारी हैे.

नियमों का पालन करते समय यदि कहीं कोई अव्यवस्था है तो उसे दूर करने की जिम्मेदारी प्रशासन की है. कुल मिलाकर इस बारे में प्रशासन को सहयोग की भूमिका अपनानी होगी. लोगों में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जो मापदंड आरंभ किए गये है. उनका पालन होना जरूरी है. यह स्पष्ट है कि ताली दोनों हाथों से बजती है. इसलिए प्रशासन को भी चाहिए कि लोगों के प्रति संवेदनशील बना रहे एवं उन्हें सहयोग की दृष्टि से मार्गदर्शन करे. लोगों ने प्रशासन को विपरित स्थितियों में सहयोग दिया है. इसके कारण उन्हें अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है. अत: प्रशासन को भी चाहिए कि जब तक पूरी तरह व्यापार आदि व्यवस्थित नहीं हो जाते अनावश्यक रूप से वाहन उठाना आदि कार्रवाई न की जाए. कुल मिलाकर जनसामान्य का यह समय कठिन परीक्षा का समय है. विगत चार माह से लोगों ने जो परेशानियां भुगती है तथा आज भी लॉकडाऊन के कारण भुगत रहे है. उन्हें राहत देने की दृष्टि से प्रशासन को नरम भूमिका अपनाना जरूरी है. जनता से सहयोग की अपेक्षा रखने के साथ प्रशासन के लिए स्वयं भी संवेदनशील बनना जरूरी है. इसलिए प्रशासन पहले शहर के सभी रास्तों को व्यवस्थित करें ताकि अनावश्यक स्थानों पर वाहन धारको को पार्किंग न करनी पड़े. इसी तरह पार्किंग के नियम सभी के लिए समान रखे जाए. शहर के अनेक मुख्य मार्ग पर मनमाने ढंग से ऑटोरिक्षा खड़ा कर यातायात प्रभावित करनेवालों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए. इससे परस्पर समन्वय बना रहेगा व लोगों को अनावश्यक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.

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