सुने मंदिर भरी मधुशाला
पुरानी फिल्म गोपी में कलियुग का बखान करते हुए गीत गाया गया था जिसमें कुछ पंक्तियों में यह कहा गया था कि ‘मंदिर सुने-सुने होंगे, भरी रहेगी मधुशाला’. गीत की रचना करते समय संभवत रचनाकार को इस बात का एहसास था कि भविष्य में यह चित्र सामने आयेगा. अॅनलॉक ५ की प्रक्रिया अंतर्गत राज्य में सभी बार रेस्टॉरेंट आरंभ कर दिए गये है. किंतु मंदिरों में अभी भी ताला लटका हुआ दिखाई दे रहा है. आश्चर्य की बात तो यह है कि जो स्थान लोगों के न केवल श्रध्दास्थल है बल्कि वहां जाने के बाद लोगों को मानसिक शांति के साथ-साथ एक आत्मबल भी मिलता है,ऐसे स्थानों को आज भी बंद रखा जाना आश्चर्यजनक है. जिस समय देश में कोरोना का कहर आरंभ हुआ था अधिकांश मंदिरों में सोशल डिस्टेसिंग की दृष्टि से भक्तों को दर्शन के लिए व्यवस्था की गई थी. किंतु बाद में संक्रमण पर रोक लगाने के लिए शाला महाविद्यालयों के अलावा मंदिरों को भी बंद रखने के निर्देश दिए गये.
जिसको सभी मंदिर प्रबंधन ने मान्य किया. अमरावती यह पौराणिक नगरी रहने के बावजूद यहां मार्च माह से लगातार सभी धार्मिक गतिविधियां थमी हुई है. यहां तक की जिस समय लॉकडाऊन घोषित किया गया था उस समय चैत्रीय नवरात्र की दृष्टि से अनेक मंदिर प्रबंधन ने कार्यक्रम भी तय कर रखे थे.किंतु देश में कोरोना संक्रमण की आयी आपदा को देखते हुए सभी ने मंदिर के पट बंद कर दिए. जो अब तक बंद ही पड़े है. बेशक मंदिर की विधियां पूर्ण करने के लिए मंदिर के पुजारी व प्रबंध से जुड़े भक्तों को मंदिर में भीतर जाने की अनुमति है. किंतु भक्तों के लिए मंदिर के द्वार अभी भी बंद है. राज्य में जब सभी क्षेत्रों में बंद का प्रभाव था. कोरोना संक्रमण रोकने के लिए राज्य के सभी प्रतिष्ठान, हाथ ठेल व अन्य उपक्रम बंद रखे गये थे.
यहां तक के अनेक लोग जिनका जीवन रोज कमाना रोज खाना के सिध्दांत पर चलता है. उनके सामने भूखमरी की नौबत आ गई. जून माह से अनलॉक प्रक्रिया आरंभ हुई जिसके कारण कुछ रोजगारों को आरंभ करने की अनुमति मिली. लेकिन इस बीच में जो लोग पूरी तरह बरबाद हो गये उन्हें संवरने के लिए भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.बहरहाल सरकार ने मिशन बिगिन अगेन अंतर्गत राज्य के ४ लाख रेस्टॉरेंट, होटल, बार को आरंभ करने की अनुमति दी है. इन सबके बीच मंदिरों को अब तक आरंभ न किए जाने से भक्तों मेें नाराजी देखी जा रही है. भाजपा का आध्यात्मिक सेल तथा विभिन्न देवस्थान ट्रस्ट के पुजारी साधु महंतों द्वारा यह प्रश्न पूछा जा रहा है कि जब राज्य में मधुशालाएं आरंभ हो सकती है तो मंदिर क्यों नहीं.
चैत्रीय नवरात्र से आरंभ हुआ लॉकडाऊन का सिलसिला अब शारदीय नवरात्रि तक जारी रहने की पूरी संभावना है. मंदिर केवल ईश्वर के दर्शन का स्थल ही नहीं बल्कि मंदिर के साथ अनेक रोजगार भी जुड़े हुए है. अनेक मंदिरों के कारण राज्य के पर्यटन राजस्व में भी बढ़ोतरी होती है. नवरात्र में अनेक ऐसे प्रसिध्द स्थल एवं देवी के शक्ति पीठ है जहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है. लेकिन इस वर्ष मंदिरों को आरंभ करने की अब तक अनुमति न मिलने से मंदिर से जुड़े व्यवसाय व फूल पत्र, पूजा सामग्री आदि की बिक्री भी थमी हुई है. इसके कारण इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. भक्तों की पीड़ा यह है कि बंद मंदिरों के कारण उन्हें अपने इष्ट का सानिध्य नहीं मिल पा रहा है. जिसके चलते मांग की जा रही हैकि राज्य के मंदिरों को आरंभ किया जाए. जिस तरह शालाओं में एक नियमावली के तहत विद्यार्थियों को बुलाने की व्यवस्था की गई है व सावधानी बरतने के निर्देश दिए गये है. उसी तरह मंदिरों में भी नियमावली लागू कर आरंभ किया जाना चाहिए. मंदिर से अनेक लोग मानसिक एवं भावना के साथ जुड़े हुए है.उनके लिए यह समय कठिनाई भरा महसूस हो रहा है. खासकर जब उन्हें इस बात का पता चलता है कि, राज्य में अनेक जगह छूट दी जा रही है. लेेकिन मंदिर के मामले में अभी भी सरकार की उदासीनता उन्हें दिखाई देती है तो जले पर नमक छिड़कने जैसी स्थिति का अहसास उन्हें होता है.
बिगिन अगेन की प्रक्रिया लागू करते समय मंदिरों का भी ध्यान रखा जाना आवश्यक है. सरकार को चाहिए कि वह मंदिरों को आरंभ करने की अनुमति दे ताकि मंदिर एवं मंदिर से जुड़े रोजगार को गति मिल सके. इसके लिए सरकार को तत्काल प्रयास आरंभ कर देने चाहिए.
कुल मिलाकर मंदिर को बंद रखने के प्रति लोगों में नाराजी है. उससे ज्यादा नाराजी भक्तों में भी है. इसलिए सरकार को चाहिए कि वह मंदिरों को यथाशीघ्र आरंभ करने की अनुमति दे. इससे भक्तों को राहत मिलेगी. साथ ही मंदिर से जुड़े उद्योगों को भी योग्य अवसर मिलेगा. यदि संक्रमण रोकने के लिए देश के हर वर्ग ने साथ दिया तो सरकार का दायित्व है कि वह लोगों की भावनाओं को समझे. अभिप्राय यह कि देश में लगभग सभी क्षेत्रों के प्रतिष्ठान आरंभ कर दिए है, ऐसे में मंदिर को भी आरंभ करने की अनुमति दी जाए. जैसा कि माना जाता है कि जहां दवा काम नहीं करती वहां दुआ काम करती है. इस दृष्टि से मंदिरों का आरंभ करना अनिवार्य है. आनेवाले दिनों में अनेक पर्व है. नवरात्र से लेकर दीपावली तक अनेक लोग एक दूसरे से जुड़ेगे. खासकर इन पर्व में मंदिरों का महत्व है. अत: सरकार को सभी धर्मो के भक्तों की भावना का आदर करते हुए मंदिर आरंभ करने की अनुमति दी जानी चाहिए.