मानव तस्करी रोकने की सार्थक पहल
दक्षिण पूर्व मध्य रेल्वे झोन में १९६ जवानों को मानव तस्करी रोकने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है. निश्चित रूप से रेल विभाग द्वारा यह जो कदम उठाया गया है जो अपने आप में काफी मायने रखता है. मानवी तस्करी का प्रमुख परिवहन केन्द्र रेलसेवा ही रहती है. एक प्रांत से दूसरे प्रांत बालक या युवतियों का अपहरण कर ले जाने के लिए रेल का इस्तेमाल किया जाता है. रेलवे पुलिस की ओर से यदि ऐसे घटनाक्रमों पर ध्यान रखा जाए तो अनेक मामले सामने आ सकते है तथा मानव तस्करी के रैकेट से अनेक बालक बालिकाएं बच सकते है. देश में मानव तस्करी का आकड़ा अपने आप में बहुत बड़ा है. हर वर्ष लाखों बच्चे युवतियां के गायब होने के मामले हर प्रांतों मेें दर्ज है. हाल ही में एक सर्वेक्षण में पाया गया था कि रोजाना करीब १०० से अधिक युवतियों का अपहरण हो जाता है या उन्हें बरगलाकर साथ ले जाया जाता है तथा उसके बाद उन्हें बेच दिया जाता है. आज हर शहरों के चौराहों पर बड़ी संख्या में नौनिहाल भीख मांगते दिखाई देते है. प्राथमिक दृष्टि में लगता है कि सभी नौनिहाल घुमंतू परिवारों के सदस्य है. किंतु अधिक ध्यान दिया जाय तो अनेक बाते सामने आती है. एक महिला के साथ लगभग एक ही उम्र के ३ से ४ बालक रहते है. कभी कभी भीख मांगनेवाली महिला की गोद में जो नवजात रहता है.वह बेहोशी की अवस्था में रहता है. तपती धूप हो या बरसात वह बालक न तो रोता हुआ दिखाई देता और न ही कोई हलचल करता हुआ दिखाई देता है. स्पष्ट है कि उक्त बालक को कोई नशीली चीज खिला दी जाती है. जिसके कारण वह सुन्न अवस्था में पड़ा रहता है. बीते कुछ वर्षो में सड़कों पर भीख मांगनेवाले नौनिहालों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है.बीते दिनों कुछ ऐसे मामले भी सामने आए है. जिसमें नौनिहालों का अपहरण कर उन्हें भीख मांगने के लिए मजबूर किया गया है. ऐसे मामले की जांच जरूरी है. क्योंकि जिस प्रमाण में बालको,युवतियों के लापता होने की बाते सामने आ रही है. उसे देखते हुए यह जरूरी हो जाता है कि मानवी तस्करी के केन्द्रों का पता लगाया जाए. रेल विभाग ने इस मर्म को समझा है. इससे पूर्व रेलवे कर्मियों द्वारा यात्रा के दौरान वाले खोनेवाले बच्चों को उनके परिजन तक पहुंचाने का कार्य बखूबी किया गया है. लेकिन अब रेल विभाग ने मानवी तस्करी को रोकने की दिशा में भी सार्थक पहल की है. इसमें दक्षिण पूर्व, मध्य रेल्वे झोन के १९६ जवानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसका निश्चित रूप से लाभ होगा. कैलाश सत्यार्थी फाऊंडेशन की ओर से प्रशिक्षित जवान रेल्वे प्लेटफार्म व रेलगाड़ी पर निगरानी रखेंगे. रेलगाड़ी में संयुक्त गश्ती पृथक भी गठित किया जा रहा है. रेलवे प्लैटफार्म पर कोई संदिग्ध दिखाई देते ही कारवाई की जायेगी. विगत ८ नवंबर को ०२२५१ वैनगंगा एक्सप्रेस में एक किन्नर ने एक वर्ष के बालक का अपहरण किया. अपहरण किए गये बालक को कोरबा ले जाने के प्रयास में हुआ था. ट्रेन में गश्त लगा रहे प्रधान आरक्षक संजीव राय तथा आरक्षक डीपी रत्ररायके नामक जवानों ने इस बात को भांप लिया तथा किन्नर पर कार्रवाई कर बालक को उनके चंगुल से मुक्त किया. स्पष्ट है यदि रेल विभाग में इस तरह चौकन्नी निगाह से सभी कर्मी कार्य करे तो मानवी तस्करी के अनेक मामले रोके जा सकते है.
मानवी तस्करी का यह क्रम केवल किसी क्षेत्र विशेष तक सीमित नहीं है. इसका विस्तार राष्ट्रीय यहां तक की अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक है. इसलिए ऐसे मामलों के प्रति सरकार और प्रशासन को कडाई से काम लेना होगा. क्योंकि मानवी तस्करी के शिकार लोगों का जीवन नर्क बन जाता है. अपहरण करनेवालों के पास कोई मानवी संवेदना नहीं रहती जिसके कारण वे नौनिहाल हो या युवतियां सभी पर भीषण अत्याचार करते है. अपना एक हित साध्य करने के लिएा वे उनका जीवन बुरी तरह नष्ट कर देते है.अनेक स्थानों पर बंधुआ मजदूरों के रूप में भी कई बालको का इस्तेमाल किया जाता है. इस कार्य के लिए अनेक एजेंट भी कार्यरत रहते है. जो विभिन्न प्रांतों के गरीब परिवारों के बालको को अच्छी नौकरी का झांसा देकर अपने साथ ले जाते है व बंधुआ मजदूर के रूप में उनका शोषण किया जाता है. इसलिए जरूरी है कि इस तरह की दुर्दशा रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए. यदि प्रशासन व संबंधित विभाग इस पर ध्यान दे तो काफी राहत मिल सकती है. मानवी तस्करी का यह सिलसिला अनेक वर्षो से जारी है. लेकिन अब तक उसे गंभीरता से नहीं लिया गया है. इसलिए जरूरी है कि रेल विभाग ही नहीं अन्य विभाग भी इस तरह की पहल करे. ताकि मानवी तस्करी का कुचक्र रोका जा सके. इस कार्य में नागरिको की अहम भूमिका हो सकती है. यदि नौनिहालों को भीख के रूप में पैसे नहीं दिए जाए बल्कि कुछ खाने के लिए दिया जाए तो इस तरह के जो कुचक्र चल रहे है उस पर रोक लग सकती है. सभी नागरिको को भावना से ऊपर उठकर भीख मांगते नौनिहालों को यदि हर कोई भींख देना बंद कर दे तो इस तरह के रैकेट अपने आप समाप्त हो सकते है.
कुल मिलाकर बालको के अपहरण उनके शोषण की घटना में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए अति आवश्यक हो गया है कि ऐसे मामले रोकने के लिए योग्य कदम उठाया जाए. खासकर बालको का अपहरण रोका जाए. यदि नागरिक, प्रशासन व सभी विभाग इस दिशा में ध्यान दे तो इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है. इसके लिए हर किसी को संयुक्त प्रयास करना जरूरी है. बहरहाल रेल विभाग द्वारा जो कार्य किया जा रहा है वह सराहनीय है. भविष्य में इसके अनुकूल परिणाम सामने आयेंगे .