संपादकीय

अंधकार में रोशनी की किरण

नेत्रहीन होना अपने आप में एक भीषण त्रासदी है. इसकी पीडा वही महसूस कर सकता है जिनकी आंखों में रोशनी न हो. देश में प्रतिवर्ष लाखों लोग नेत्रहीनता के शिकार हो जाते है. उनके पास आंखे तो होती है. पर उसमें केवल अंधेरा ही अंधेरा रहता है. हालाकि आंखें भले ही काम न करे पर शरीर की अन्य इंद्रिया सक्षम हो जाती है. जिसके चलते वे स्पर्श, वाणी, गंध के जरिए अपने नियमित व्यवहार तो जारी रखते है. हाथ में रखी सफेद लाठी से मार्ग में आनेवाली बाधा को पहचानकर वे अपने पैरों को गतिशील रखते है. वहीं पर किसी व्यक्ति से व्यवहार करते समय उसकी वाणी के माध्यम से उसे पहचानने की क्षमता भी रहती है. इसी तरह गंध के माध्यम से कौन सी जगह सही है और कौन सी जगह कदम गलत पड रहे है. इस बात का भी अहसास अवश्य रहता है. लेकिन आंखों में रोशनी न होने के कारण एक अंधकार की पीड़ा मन में कायम रहती है. यह बात नहीं कि आंखों में रोशनी न रहने के कारण नेत्रहीनों के मन में कोई हीन भावना प्रभावी रहती है. लेकिन आंखों से न दिखना यह अपने आप में एक दु:खद स्थिति है. इस बार विश्वनेत्रदान दिवस पर हर कोई कुछ क्षण के लिए अपनी आंखों को बंद रख इस पीडा को महसूस करेगा. नेत्रदान दिवस पर छेड़ा जानेवाला यह एक उचित उपक्रम माना जा रहा है.क्योंकि जब तक हमें दर्द की अनुभूति नहीं होती है तब तक हम उस दर्द के निवारण के लिए सार्थक कदम नहीं उठा पाते है. इस द़ृष्टि से नेत्रदान संस्था की ओर से एक उचित कदम उठाया जा रहा है.
नेत्रहीनों की पीडा को समाज ने पहले से ही गंभीरता से लिया है. यही कारण है कि देशभर में नेत्रदान अभियान जारी है. आरंभिक दौर में भले ही इसे योग्य प्रतिसाद न मिला हो. लेकिन अब हर कोई नेत्रदान के प्रति सजग है. कोरोना संक्रमण से पूर्व नेत्रदान संकल्प पत्र देने का कार्य चरम पर था. संक्रमण के कारण भले ही नेत्रदान की प्रक्रिया उतने प्रभावी रूप से कार्य नहीं कर पायी. पर बीते अनेक वर्षो से नेत्रदान समिति ने इस अभियान को गतिशील बनाने के लिए अनेक प्रयास किए. हर वर्ष 10 जून को विश्व नेत्रदान दिवस मनाया जाता है. इस बार भी उत्कृष्ट आयोजन किया जा रहा है. जिसके अंतर्गत हर कोई नेत्रहीनों की पीडा को महसूस करेगा. यह सच है कि नेत्रहीनों की पीडा को कुछ क्षण के लिए महसूस कर हम नेत्रहीनों की पीडा को समाप्त नहीं कर सकते. लेकिन यह अनुभूति भी हमें नेत्रहीनों की पीडा के समीप ले जा सकती है. इसलिए नेत्रदान के दिवस के अवसर पर इस अभियान में हर किसी को शामिल होना चाहिए.
नेत्रदान का उपक्रम यह निरंतर जारी रहना जरूरी है. इससे अनेक लोग जो अपनी आंखें गंवा चुके है या जन्मजात जिन्होंने रोशनी ही नहीं पायी हो. ऐसे लोगों के लिए नेत्रदान अभियान एक सुंदर विकल्प है. हमारी आंखें हम ओरों को दान करें. इससे जिन लोगों के जीवन में अंधेरा है उनका रोशनी से साक्षात्कार होगा. यह कार्य केवल दिन विशेष तक सीमित नहीं रहना चाहिए. इसे व्यापक रूप देना जरूरी है. यदि हर कोई मरणोपरांत नेत्रदान का संकल्प ले तो देश में जिन लोगों के पास आंखे नहीं है. उनका भी रोशनी से मिलन हो सकता है. कुल मिलाकर यहां की नेत्रदान समिति ने नेत्रहीनों के जीवन में उत्साह भरने की द़ृष्टि से जो उपक्रम अब तक किए वह आनेवाले दिनों में जो उपक्रम होने जा रहे है. वे सराहनीय है. नेत्रदान समिति ने कार्यो की निरंतरता के जरिए नेत्रहीनों के प्रति अपनत्व का भाव जगाया है. नेत्रदान संस्था यह नेत्रहीनों के अंधकार भरे जीवन में रोशनी की किरण साबित हुई है. यह क्रम भविष्य में भी जारी रहेगा. इस कार्य में जन सामान्य एवं प्रशासन को भी अपना योगदान देना चाहिए. तब हम नेत्रदान दिवस की सार्थकता को कायम रख सकेंगे. अत: नेत्रदान दिवस के अवसर पर हर किसी को न केवल नेत्रहीनों की पीडा महसूस करनी है बल्कि इस पीडा से नेत्रहीनों की किस तरह से मुक्ति हो सकती है. इस दिशा में भी कार्य करना है.

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