बेटियों का सम्मान
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में बेटियों के सम्मान में कहा कि हर माता-पिता बेटियों को आगे बढने का अवसर प्रदान करे. बेटियां होनहार है. यदि उन्हें पर्याप्त अवसर दिए जाते है तो निश्चित रूप से वे सफलता के नये मापदंड स्थापित कर सकती है. राष्ट्रपति का यह संबोधन 14 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर हुआ. उन्होंने देशवासियों को संबोंधित करते हुए कहा कि टोकियों आलंपिक में देश के खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन रहा. उन्होने देश का गौरव बढाया. इस समय उन्होंने बेटियों के सम्मान में कहा कि हर माता-पिता बेटियों को शिक्षा सहित सभी क्षेत्रों में योग्य अवसर प्रदान करे. जिसका लाभ न केवल उनके परिवार को होगा. बल्कि देश का गौरव भी सक्षम बेटियों के कारण बढेगा. हालाकि देश में वर्तमान में बेटियों ने अपनी कुशलता का सभी जगह परिचय दिया है. बीते कुछ वर्षो से शैक्षणिक परीक्षाफलों में लड़कियां लड़कों से आगे रही है. क्षेत्र चाहे जो भी हो कन्याओं ने अपनी कुशलता के बल पर सफलता हासिल की है. जो क्षेत्र महिलाओं के लिए जटिल माने जाते थे. वहां भी कन्याओं ने अपनी सफलता का परचम लहराया है. इस द़ृष्टि से महामहिम का बेटियों के लिए पालको से किया गया आग्रह अत्यंत मायने रखता है.
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने अनेक बातों पर भी राष्ट्रवासियों का ध्यान आकर्षित किया है. उन्होंने कोरोना वायरस महामारी के कारण लोगोें के स्वास्थ्य व अर्थव्यवस्था पर हुए विनाशकारी प्रभावों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि भले ही महामारी की तीव्रता में कमी आयी है. लेकिन अभी इसका प्रभाव कायम है. ऐसे में प्रोटोकाल के अनुरूप यथाशीघ्र वैक्सीन लेने का आवाहन भी लोगों को किया. आजादी की 75 वीं वर्षगाठ के अवसर पर यह बात स्पष्ट रूप से सामने आ रही है कि राष्ट्र ने नारी शिक्षा के द्वार आरंभ कर महिला सबलीकरण के कार्यो को गति प्रदान की है. महिलाओं के लिए अनेक महत्वपूर्ण योजनाओं के माध्यम से विकास के द्वार खोले गये है. भविष्य में भी यही सिलसिला जारी रखा जायेगा. जिससे निश्चित रूप से महिला सबलीकरण अभियान की सफलता के मार्ग खुलेंगे.
कुल मिलाकर महिलाओं के हित में सरकार की ओर से अनेक योजनाएं जारी की गई है. जिसके चलते विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं ने सफलता हासिल की है. जो क्षेत्र महिलाओं के लिए दुर्गम माने जाते थे. वहां भी महिलाओं ने अपनी सफलता का परिचय दिया है. यदि हर पालक घर में बेटो की तरह बेटियों को भी शिक्षा व अन्य क्षेत्रों में आने में योगदान दे. शहरी क्षेत्रों में इस दिशा में कार्य होने भी लगा है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र अभी इससे वंचित है. ग्रामीण परिसर में भी माता-पिता को अपनी पुत्रियो के लिए योग्य कदम उठाए. उन्हें शिक्षा सहित सभी क्षेत्रों में अपनी कुशलता दिखाने का अवसर प्रदान करे तो निश्चित रूप से कन्याएं सफलता के नये मापदंड स्थापित कर सकती है.
आज अनेक स्थानों पर महिलाओं के साथ अन्याय की घटनाएं होती है. महिला पर अत्याचार के खिलाफ सरकार की ओर से कडे कानून बनाये गये है. लेकिन उस पर योग्य अमल न होने के कारण अनेक होनहार प्रतिभाए अपने लक्ष्य को पाने से वंचित रह जाती है. इसके लिए समाज को भी इस बात के लिए मजबूत मानसिकता बनानी होगी. समाज व अय क्षेत्रों में जहां भी महिलाओं का उत्पीडन होता है. उसके विरोध में सभी को आगे आना होगा. इस कार्य में कन्याओं को भी ठोस भूमिका लेना जरूरी है. कई बार कन्याएं बदनामी के डर से अन्याय बर्दाश्त कर लेती है. यह उनके लिए घातक साबित होता है. अन्याय का समय पर यदि विरोध किया जाए तो अत्याचार करनेवालों के खिलाफ कडी कार्रवाई हो सकती है. इसलिए कन्याओं को भी अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना जरूरी है. बहरहाल इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता. देश में लड़कियों को शिक्षित करने का कार्य तेजी से जारी है. जिसके सार्थक परिणाम भी सामने आ रहे है.