संपादकीय

छोटा किंतु सार्थक प्रयास

महानगरपालिका की ओर से पर्यावरण संतुलन में योगदान देने के लिए बुधवार को साइकिल डे मनाया गया. सच तो यह है कि पर्यावरण यह समय की सबसे बड़ी मांग है. बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए पर्यावरण संवर्धन के प्रयास अति आवश्यक है. इस दृष्टि से बुधवार को साइकिल डे मनाकर महानगरपालिका ने पर्यावरण के प्रति जो अपनी समर्पकता दिखाई है वह सराहनीय है. बेशक यह एक छोटा प्रयास है. किंतु इसे सार्थक प्रयास के रूप में देखा जा सकता है. वैसे भी कोई भी प्रयास छोटा या बड़ा नहीं होता. इस बारे में एक छोटी सी कहानी बड़ा मायने रखती है. एक जगह लगी भीषण आग को बुझाने के लिए हर कोई अपने स्तर पर प्रयास कर रहा था. एक गौरया (चिडिय़ा) अपनी चोंच में पानी लाकर आग में डाल रही थी. किसी ने पूछा कि चिडिय़ा तुम्हारे इस चोच भर पानी से क्या यह आग शांत हो जायेगी. इस पर चिडिय़ा का महत्वपूर्ण जवाब था. ‘जब भी इस आग का इतिहास लिखा जायेगा तो मेरा नाम आग लगानेवालों में नहीं है, बुझानेवालों में लिखा जायेगा निश्चित रूप से यह छोटा प्रयास आनेवाले दिनों में जन आंदोलन बन जाए व पर्यावरण के प्रति हर कोई अपनी जिम्मेदारी समझने लगे.

आज लगातार वाहनों के इस्तेमाल से अनेक महानगरों में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है. राजधानी दिल्ली में तो कई इलाको में श्वास लेना भी कठिन हो गया है, ऐसे मेें यदि वाहनों का अनावश्यक उपयोग टाला जाए तो काफी हद तक प्रदूषण को रोका जा सकता है. बेशक गतिशील युग में वाहन के बिना कार्य की कल्पना नहीं की जा सकती. आवासीय क्षेत्र व कार्यक्षेत्र के बीच लंबी दूरी होने, कार्य का विस्तार होने एवं समय पर कार्य की पूर्तता के लिए वाहन की आवश्यकता रहती है. लेकिन कुछ लोग छोटे छोटे कार्य के लिए भी वाहनों का उपयोग करते है. उन्हें इससे बचना चाहिए. पर्यावरण के विषय में अब तक थ्योरोटिकल बाते होती रही हैे. लेकिन प्रॅक्टीकल का अभाव पाया गया है. आज पर्यावरण की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है. पर्यावरण पर अनेक ज्ञानपूर्ण चर्चाए होती है. किंतु पर्यावरण संवर्धन की दिशा में कार्य नहीं हो पाते. आनेवाले समय में यदि पर्यावरण का संतुलन बनाकर नहीं रखा गया तो मानवीय सृष्टि या जैविक सृष्टि को भारी खतरा निर्माण हो जायेगा. इसलिए पर्यावरण का संवर्धन होना अति आवश्यक है. पर्यावरण के संवर्धन के लिए जारी उपक्रमों को प्रोत्साहन देना चाहिए.

महानगरपालिका ने जिस तरह बुधवार को साइकिल डेे मनाया. उसी तरह हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल द्वारा हर माह की २५ तारीख को मंडल का प्रांगण प्रदूषण मुक्त रखने का कार्य किया जाता था. इसके अंतर्गत सारे वाहन हव्याप्र मंडल के बाहर खड़े किए जाते थे.वाहनों को उस दिन प्रवेश नहीं मिलता. इसी तरह नीलकंठ व्यायाम मंडल द्वारा हर वर्ष गणेशोत्सव के विभिन्न कार्यक्रम में साइकिल स्वास्थ्य रैली का भी आयोजन किया जाता था. दो वर्ष पूर्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर यहां के कान्यकुब्ज महिला मंडल की ओर से केवल साइकिल पर अपना कार्य करनेवाले गणमान्यों का सत्कार किया गया था. इसके पीछे मंडल का उद्देश्य यही था कि अधिकाधिक साइकल के इस्तेमाल को प्रोत्साहन दिया जाए.
महानगर पालिका की ओर से बुधवार को सभी कर्मचारियों को साइकिल से महानगरपालिका पहुंचने का निर्देश था. लेकिन जो लोग साइकिल चलाने में असमर्थ थे उन्हें इस निर्देश से छूट दी गई थी. लेकिन पर्यावरण संवर्धन की उनकी प्रबल इच्छा शक्ति के कारण वे भी साइकल पर ही मनपा कार्यालय पहुंचे. निश्चित रूप से हर किसी के मन में इस बात का अहसास है कि पर्यावरण का संतुलन कायम रहना चाहिए. इसके लिए हर कोई अपना सहयोग भी देना चाहता है. लेकिन इस अभियान को गतिशील करने के लिए सार्थक पहल की आवश्यकता है. निश्चित रूप से महानगरपालिका ने इस अभियान को आरंभ कर एक सार्थक प्रयास किया है. भविष्य में इसका निश्चित रूप से सबको लाभ पहुंचेगा. जरूरी है कि इस अभियान को अधिकाधिक गतिशील बनाया जाए. सरकारी कार्यालय से लेकर आम नागरिक तक पर्यावरण संवर्धन एवं प्रदूषण रोकने के लिए सार्थक कदम उठाए. वाहनों का उपयोग शहर के क्षेत्रफल को देखते हुए रोका तो नहीं जा सकता है. लेकिन अनावश्यक रूप से जो लोग छोटे-छोटे काम के लिए वाहनो को उपयोग करते है. वे जिम्मेदारी पूर्वक कार्य करें. जहां जरूरत न हो. वहा पर वाहनों का उपयोग टाला जाए.

यदि ऐसा किया जाता है तो आनवाले समय में लोगों में पर्यावरण संवर्धन एक जन आंदोलन बन सकता है. यहां इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि जब अधिकांश लोग पर्यावरण के संवर्धन के लिए कार्यरत है तो अनावश्यक रूप से आतिशबाजी आदि के जरिए प्रदूषण को बढऩे से रोकना भी हर किसी की जिम्मेदारी है. दीपावली का पर्व आरंभ हो गया है, ऐसे में हर नागरिक को चाहिए कि वह आतिशबाजी से बचे ताकि प्रदूषण न फैले. क्योंकि एक दिन का प्रदूषण कई लोगोंं के लिए कठिनाईयों का कारण भी बन सकता है. इसलिए नागरिको को चाहिए कि स्वयं स्फूर्त होकर वे आतिशबाजी से बचे. इससे प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सकता है. कुल मिलाकर प्रदूषण रोकने व पर्यावरण संवर्धन के लिए मनपा ने जो शुरूआत की है. वह सराहनीय है. यह अभियान निरंतर जारी रहना चाहिए.

Related Articles

Back to top button