संपादकीय

ऐसी भी दरिंदगी

एक ओर मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे का कहना है कि राज्य में महिलाओं संबंधी अपराधों पर नियंत्रण के लिए सरकार पूरी तरह सक्रिय है. बावजूद इसके राज्य में दुष्कर्म की अनेक घटनाएं सामने आ रही है. हाल ही में मुंबई में दरिंदगी की एक ऐसी ही हैरान करनेवाली घटना सामने आयी है. जिसमें एक 15 साल की किशोरी के साथ गैंगरेप किया गया. पुलिस ने इस मामले में 26 लोगों को गिरफ्तार किया जिसमें दो नाबालिग भी है. इस घटना के मामले में कुल 33 आरोपियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गये.
किशोरी के साथ अत्याचार की यह कहानी 29 जनवरी से 22 सितंबर के बीच की है. जनवरी माह में उक्त किशोरी के साथ उसके प्रेमी ने बलात्कार किया तथा इस घटना का वीडियों बना लिया. वीडियों के आधार पर किशोरी को ब्लैक मेलिंग करना आरंभ हुआ. जिसके बाद ठाणे जिले के डोंबीवली बदलापुर मुरबाड तथा रबाले सहित अनेक स्थानों पर सामूहिक दुराचार किया गया. पीडिता की शिकायत के आधार पर कल्याण के डोंबीवली में मनपाडा पुलिस ने 33 आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज किया. इसमें दुष्कर्म की विभिन्न धाराओं के साथ यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा के लिए बने अधिनियम (पाक्सो) के तहत मामले दर्ज किए गये.
स्पष्ट है कि इस तरह की दुष्कर्म की घटना से महाराष्ट्र शर्मसार हुआ है.विशेषकर इस घटना को 33 आरोपियों द्वारा अंजाम दिया गया है. हालाकि पुलिस विभाग ने तत्परता से कार्य करते हुए 26 लोगों को गिरफ्तार किया है. निश्चित रूप से दुष्कर्म की यह वारदात लोगों को विचलित कर देनेवाली है. इससे पूर्व साकी नाका परिसर में भी दुष्कर्म की घटना हुई जिसमें एक महिला के साथ न केवल अमानवीय ज्यादती की गई बल्कि उसे गंभीर जख्मी भी कर दिया गया. दुष्कर्म की वारदातों से पूरा राज्य चिंतित है. भले महराष्ट्र के अन्य प्रांतों में दुष्कर्म के मामले सामने आए है. नैशनल क्राईम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार 2020 में रोजाना औसत 77 दुष्कर्म की घटनाए हुई है. पूरे देश में 28046 दुष्कर्म की घटनाएं हुई. इससे पूर्व पुणे में भी एक नाबालिग के साथ गैंगरेप की घटना सामने आयी थी. जाहीर है इन दिनों अपराधियों में कानून व्यवस्था को लेकर कोई विशेष खौफ नहीं है. यही कारण है कि ऐसी वारदातों में निरंतर बढोतरी हो रही है.
जाहीर है दुष्कर्म जैसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए जो प्रयास किए जा रहे है वे पर्याप्त नहीं है. सबसे पहले तो यह जरूरी है कि दुष्कर्मियों को कडे से कडा दंड दिया जाए. लेकिन पाया जाता है कि इस तरह की घटनाओं में कई बार अपराधी बच जाते है. ऐसे मामलोें में अनेक दोषी प्रमाण के अभाव में बच जाते है. जिससे उनका मनोबल और बढ जाता है. इसी तरह दुष्कर्म के मामलों में अदालत से निर्णय भी योग्य समय पर होना चाहिए. इसके लिए जरूरी है कि सरकार मामले की गंभीरता को समझे. राज्य सरकार को राज्यपाल की ओर से बढ़ती दुष्कर्म की वारदातों को लेकर विशेष सत्र बुलाए जाने संबंधी पत्र दिया था. इस पर मुख्यमंत्री की ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया. बल्कि केन्द्र की ओर इशारा करते हुए केन्द्र की ओर हाथ दिखा दिया. मुख्यमंत्री के अनुसार देश में ऐसी अनेक घटनाए हो रही है. इस तरह की घटनाओं का होना अपने आप में दुर्भाग्य पूर्ण है. विशेष तौर पर यह पाया जाता है कि जब घटनाएं हो जाती है तब सरकार की ओर से कडे कदम उठाने की बात कही जाती है. इस तरह की भूमिका यदि सरकार पहले से ही अपना ले तो दूष्कर्मी तत्व पर अंकुश रखा जा सकता है. इस बारे में सरकार को गंभीरतापूर्वक चिंतन करना चाहिए.
कुल मिलाकर दुष्कर्म की वारदातों को रोकना अति आवश्यक है. दुष्कर्म की घटनाए राज्य के लिए चिंता का विषय है. इसके लिए सरकार कडे कानून बनाकर उस पर अमल करना चाहिए. वर्ष 2012 में जब राजधानी दिल्ली में निर्भया कांड हुआ था उस समय दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर अनेक नीतियां तय की गई थी. लेकिन उन नीतियोें का कोई विशेष असर नजर नहीं आ रहा है. जिस समय राजधानी दिल्ली में यह घटना हुई थी उस समय अनेक कानून बनाए गये. लेकिन उस पर प्रभावी अमल नहीं हो पा रहा है. जरूरी है कि दुष्कर्म की वारदातों पर नियंत्रण के लिए सरकार कडक कदम उठाए.
कुल मिलाकर वर्तमान में जिस तरह दुष्कर्म की घटनाओं मेें बढोतरी हो रही है तथा उसका जो अमानवीय स्वरूप चिंतनीय है. सरकार को इसे गंभीरता से लेना होगा. साथ ही दोषियों पर तत्काल कार्रवाई हो सके. इसलिए यह मामला फॉस्ट्र ट्रॅक कोर्ट में चलाया जाना चाहिए. ताकि दोषियों पर कडी कार्रवाई की जा सके. कानून में यदि कडे प्रावधान रखे जाते है तो असमाजिक तत्वों का हौसला ही नष्ट हो जाता है. जरूरी है कि सरकार इस दिशा में गंभीरतापूर्वक चिंतन कर जो भी कदम उठाए. तभी ऐसी वारदातों पर रोक लग सकती है.
नाबालिग के साथ गैंगरेप की घटना को राज्य सरकार गंभीरता से ले. जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. उनके खिलाफ प्रमाण एकत्रित कर पुलिस को चाहिए कि आरोपी कानून के शिंकजे से बच न पाए.

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