संपादकीय

आलोचना का विषय नहीं टीकाकरण अभियान

प्रधानमंत्री के जन्मदिवस पर 2.1 करोड कोरोना वैक्सीन नागरिको को दिए गये. अपने आप में यह टीकाकरण का उच्चांक हैे. इस पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि देश में आनेवाले दिनों में भी इसी तरह करोड़ों की संख्या में टीकाकरण होगा. निश्चित रूप से वर्तमान में टीकाकरण की अति आवश्यकता है. ऐसे में बड़े पैमाने पर टीकाकरण हो. यह हर देशवासी की चाह है. क्योंकि कोरोना संक्रमण रोकने के लिए टीकाकरण यह मुख्य आधार है. जिसको गति देना अति आवश्यक है. विशेष यह अब सभी कार्यक्षेत्र में जिन लोगों ने टीकाकरण के दोनों डोज नहीं लिए है. उन्हें प्रतिबंध लगा है. वे कार्यालय में प्रवेश नहीं कर पायेंगे. ऐसे में टीकाकरण तो अति आवश्यक हो गया है. इस द़ृष्टि से राहुल गांधी की ओर से दिया गया बयान गलत भी नहीं कहा जा सकता.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन पर जिस रफ्तार से टीकाकरण हुआ है. उससे यह बात स्पष्ट हुई है कि सारी व्यवस्था व साधन रहे तो किसी भी अभियान को गति दी जा सकती है. कुछ दिनों पूर्व तक अनेक केन्द्रों पर टीके उपलब्ध न होने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. अब टीकाकरण के लिए टीके उपलब्ध होने लगे है तथा वैक्सीन का कार्य जोर शोर से जारी है. यह क्रम नियमित रूप से चलता रहे तो कुछ ही दिनों में टीकाकरण का लक्ष्य पूरा हो सकता है. हालाकि प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि टीकाकरण की आकडेवारी देख कुछ राजनीतिक दलों को बुखार आ गया है. निश्चित रूप से टीकाकरण अभियान में आलोचना का कोई स्थान नहीं है.
गोवा में शत-प्रतिशत आबादी को कोविड-19 रोधी टीके की पहली खुराक दी जा चुकी है. इस बारे में प्रधानमंत्री की ओर से गोवा सरकार को बधाई दी है. निश्चित रूप से यह अभियान अपने आप में जरूरी है. इसमें टीका टिप्पणी की कोई गुंजाईश नहीं है. सरकार की ओर से टीके उपलब्ध कराए जा रहे है. सुविधा के अनुसार देश के हर नागरिकों को यह टीका उपलब्ध हो रहा है. ऐेसे में यह उम्मीद अवश्य की जा सकती है कि टीकाकरण अभियान को गति दी जानी चाहिए. लेकिन इस अभियान को लेकर आलोचना उचित नहीं है. प्रधानमंत्री के जन्मदिवस पर जिस तरह टीकाकरण हुआ है उससे निश्चित रूप से यह भी माना जा रहा है कि यदि टीकाकरण की रफ्तार बढाई गई तो कोरोना संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है. वैसे भी किसी भी क्षेत्र में जब कार्यगति पकड लेता है तो वह कार्य अभियान का रूप ले लेता है. इसलिए जरूरी है कि इस अभियान को और भी गतिशील किया जाए. जैसा कि माना जा रहा है कि टीकाकरण की पहली वैक्सीन लेने के बाद वह 96 प्रतिशत खतरा टल जाता है. ऐसे में यह वैक्सीन अति आवश्यक है. जितना अधिक टीकाकरण होगा. बीमारियां उतनी दूर भागेगी. निश्चित रूप से टीकाकरण अभियान को अब गति देने का समय आ गया है. राजनीतिक दल केवल आपसी चर्चाओं में उलझ गये है. लेकिन सभी दलों को चाहिए कि टीकाकरण के लिए सार्थक पहल करे. जिस तरह प्रधानमंत्री के जन्मदिवस पर दो करोड़ से अधिक लोगों ने टीकाकरण किया. वैसे ही सभी राजनीतिक दल अपनी पार्टी विशेष के नेता के जन्मदिवस व अन्य प्रसंगों पर टीकाकरण का अभियान छेड़े. आकडेवारी का भी रिकार्ड तोडने की कोशिश करे. इससे निश्चित रूप से लोगों को राहत मिलेगी. टीकाकरण का अभियान कामयाब होगा. अच्छे कार्य में यदि प्रतिस्पर्धा होती है तो माना जा सकता है ‘दाग अच्छे है’
कुल मिलाकर टीकाकरण अभियान यह समय की मांग है. इसे प्रभावी ढंग से अमल मेें लाना आवश्यक है. बिना किसी टिप्पणी के हर दल को इस कार्य में सहयोग देना जरूरी है. वे भी अपने स्तर पर टीकाकरण को प्रोत्साहन देने का प्रयास करे. यदि ऐसा किया जाता है तो यह कोरोना संकट का टालने का रामबाण उपाय रहेगा. यह मान लेना जरूरी हैकि जब तक कोरोना का संकट नहीं टलता तब तक विकास को गति नहीं मिल सकती है. उसे गति प्रदान करने के लिए हर किसी को प्रयास करना चाहिए. कई लोग आज भी टीकाकरण को लेकर स्पष्ट मन नहीं बना पाए है. उन्हें भी प्रोत्साहित कर टीकाकरण केन्द्र तक लाना जरूरी है. अभिप्राय यह कि टीकाकरण यह समय की मांग है. आलोचना, प्रति आलोचना की इसमें आवश्यकता नहीं. हर भारतवासी चाहता है कि देश को कोरोना से मुक्ति मिले. इस दिशा में सभी को प्रयास करने होंगे.
सभी जिले में टीकाकरण का कर्य जारी है. जिन लोगों ने टीके लिए है वे अपने आपको सुरक्षित महसूस कर रहे है. जिन लोगों ने अभी तक टीके की शुरूआत नहीं की है. उन्हें भी इस बारे मेें जागरूक होना जरूरी है. टीकाकरण यह कोरोना रोकने का महत्वपूर्ण पहलू है. यदि टीकाकरण के कारण कोरोना पर नियंत्रण हो जाता है तो यह बात देश के विकास में सहायक होगी.

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