शिक्षा वहीं जो सभी बंधोनों को मुक्त करती है
कुलगुरू डॉ. मिलींद बारहाते का प्रतिपादन

* विद्यापीठ में नव प्रवेशित विद्यार्थियों का दिक्षात कार्यक्रम उत्साह के साथ
अमरावती /दि.18 – सा विद्या या विमुक्तये; अर्थात, शिक्षा वह है जो सभी बंधनों से मुक्त करती है और भारतीय परंपरा में शिक्षा यही कहती है, कुलगुरू डॉ. मिलिंद बारहाते ने कहा. संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में नव प्रवेशित विद्यार्थियों के लिए केंद्रीय प्रवेश समिति द्वारा दिक्षांत कार्यक्रम आयोजित किया गया था, इस अवसर पर कुलगुरू विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए बोल रहे थे. इस अवसर पर प्र-कुलगुरू डॉ. महेंद्र ढोरे, कुलसचिव डॉ. अविनाश असनारे, वित्त और लेखा अधिकारी सीए पुष्कर देशपांडे, परीक्षा और मूल्यांकन मंडल के संचालक डॉ. नितिन कोली, नवाचार, अनुसंधान और सहयोग मंडल के संचालक डॉ. अजय लाड, ज्ञानस्त्रोत केंद्र की संचालक डॉ. वैशाली गुडधे, शारीरिक और खेल मंडल की संचालक डॉ. तनुजा राउत, छात्र विकास संचालक डॉ. राजीव बोरकर, केएएसयू के संचालक डॉ. नितिन फिरके, केंद्रीय प्रवेश समिति के अध्यक्ष डॉ. कपिल कांबले मंच पर उपस्थित थे.
कुलगुरू ने आगे कहा कि विश्वविद्यालय में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने के बाद से छात्रों का एक समूह पढ़ाई छोड़ चुका है. इसलिए, इस नई शिक्षा नीति का अच्छा प्रभाव पड़ा है, और विश्वविद्यालय के शैक्षणिक बोर्ड ने कौशल-आधारित शिक्षा, बहु-विषयक शिक्षा और सार्वभौमिक शिक्षा की नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार किए हैं. इतना ही नहीं, शैक्षणिक बोर्ड ने उस संबंध में छात्रों के लिए पाठ्यक्रम तैयार किए हैं, यह सोचकर कि छात्र उद्यमी कैसे बनेंगे. अब छात्रों को अपने भविष्य के बारे में अधिक गंभीर होना चाहिए और जैसे हम आज दुनिया की घटनाओं को एक मिनट में जानते हैं, छात्रों को खुद को बदलना चाहिए और अपना भविष्य बनाना चाहिए, कुलपति ने इस अवसर पर यह भी अपील की. विश्वविद्यालय में संविधान की एक प्रतिमा स्थापित की गई है, उस पर संविधान की प्रस्तावना को अवश्य पढ़ा जाना चाहिए, और संत गाडगे बाबा, जिनके नाम पर हमारे विश्वविद्यालय का नाम रखा गया है, के दस सिद्धांतों को पढ़ा और अभ्यास किया जाना चाहिए, और विश्वविद्यालय आज इन महापुरुषों के विचारों के साथ आगे बढ़ रहा है.
प्र- कुलगुरू डॉ. महेंद्र ढोरे ने अपने विद्यार्थी जीवन का स्मरण करते हुए कहा कि आज विद्यार्थियों के लिए बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिनका विद्यार्थियों को लाभ उठाना चाहिए. विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विद्यार्थियों को विभिन्न गतिविधियों में भाग लेना चाहिए. विश्वविद्यालय का नाम और उंचा करना चाहिए. उन्होंने विद्यार्थियों से इस अवसर का लाभ उठाकर अपने अभिभावकों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का आह्वान किया.कुलसचिव डॉ. अविनाश असनारे ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि वास्तव में स्नातकोत्तर शिक्षा जीवन बदलने वाली होती है. इसलिए अपने जीवन के निर्माता स्वयं बनें. राष्ट्रीय विकास की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लें. नए रास्ते खोजें, अपने विचारों को बगीचे की तरह खिलने दें. आपमें इतिहास रचने की शक्ति है, इसलिए अपना, अपने परिवार और विश्वविद्यालय का यश बढ़ाएं, उन्होंने इस अवसर पर विद्यार्थियों से अपील की.
इस एक दिवसीय दिक्षांत कार्यक्रम में सभी नवप्रवेशी विद्यार्थियों को विभिन्न विभागों के प्रमुखों डॉ. नितिन फिरके, डॉ. नितिन कोली, डॉ. स्मिता थोरात, डॉ. अजय लाड, डॉ. सुलभा पाटिल, डॉ. प्रशांत ठाकरे, डॉ. राजीव बोरकर, सी.ए. पुष्कर देशपांडे, डॉ. तनुजा राउत, डॉ. वैशाली गुडधे, डॉ. अशोक राठौड़, डॉ. जागृति बारब्दे ने अपने-अपने विभागों द्वारा क्रियान्वित की जा रही गतिविधियों, योजनाओं, शिक्षा प्रणाली, सुविधाओं आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी. कार्यक्रम का शुभारंभ संत गाडगे बाबा की प्रतिमा का पूजन, पुष्पांजलि और दीप प्रज्वलन के बाद विश्वविद्यालय गीत से हुआ. प्रस्तावना में केंद्रीय प्रवेश समिति के अध्यक्ष डॉ. कपिल कांबले ने दिक्षांत कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की. डॉ. आंबेडकर विचारधारा विभाग के समन्वयक डॉ. रत्नशील खोब्रागड़े ने कार्यक्रम का संचालन तथा वनस्पति विभाग के डॉ. के.सी. मोरे ने आभार प्रदर्शन किया. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, शैक्षणिक विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक, गैर-शिक्षण कर्मचारी, नव प्रवेशित छात्र एवं छात्राएं उपस्थित थे.





