एकादशी का व्रत सर्वोत्तम

श्याम महाराज का प्रतिपादन

* राधाकृष्ण मंदिर में रमा एकादशी का उत्सव
अमरावती/ दि.17 – एकादशी का नित्य व्रत करने मात्र से आपको मन चाहा मिल जाता है. एकादशी सर्वोत्तम व्रत व तप है. अत: नियमित न केवल एकादशी का व्रत करना चाहिए अपितु औरों को भी इसके लिए प्रेरित करने का प्रयत्न करने का आवाहन श्याम महाराज ने किया. वे रंगारी गली स्थित राधाकृष्ण मंदिर में रमा एकादशी उत्सव मेंं महात्म्य बखान कर रहे थे. सीधी सरल भाषा में रमा एकादशी की कथा का महाराज जी ने ऐसा वर्णन व विवेचन किया कि उपस्थित सैकडों भाविकों ने अनेक अवसरों पर जयकारे लगाए और करतल ध्वनि की. सटीक संबोधन में महाराज जी ने अनचाहे व्रत करनेवाले राजा मुचकुंद की पुत्री चंद्रभागा के यजमान की कथा विषद की.
श्याम महाराज ने बताया कि चंद्रभागा के यजमान ने बडी अनिच्छा से व्रत अनजाने कर लिया था. जिससे उन्हें न केवल यश और एश्वर्य प्राप्त हुआ. बल्कि मोक्ष भी पाया. महाराज जी ने बताया कि जो एकादशी का नियमपूर्वक व्रत, उपवास करता है. उसके लिए वैकुंंठ द्बार पर स्वयं विष्णु स्वागत के लिए खडे रहते हैं. उन्होंने व्रत शब्द का भी बडा सुंदर वर्णन और विवेचन किया. आपने कहा कि व्रत किसी भी चीज का करें. यह आपको अपने लक्ष्य में दृढ निश्चयी बनाता है. दृढ निश्चय सफलता दिलाता है. फिर वह कोई भी क्षेत्र हो.
आज की रमा एकादशी आरती के यजमान हरीश गोवर्धन राठी, शीा देवी, नरेश चांडक, राजेंद्र कुमार टवानी, विजयकुमार टवानी, नंदकिशोर राधाकिसन लोहिया, रमन कमलकिशोर झंवर, गायल माता परिवार, हेमवंती देवी चंपालाल हेडा, गोपालदास राठी परिवार सायत और ध्वजा के यजमान महेन्द्रकुमार मनोहरलाल भूतडा रहे. सैकडों श्रध्दालुओं ने बडे चाव और उत्साह से तुलसीदल भगवान कृष्ण को अर्पित किए. ओम जय जगदीश हरे और शांति पाठ के साथ आयोजन परिपूर्ण हुआ. मंदिर में पुरोहितों ने दिवाली लक्ष्मीपूजन मंगलवार 21 अक्तूबर को करने का अनुरोध जाहीर रूप से किया.

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