देश के लिए महत्वपूर्ण हैं अभिजात मराठी भाषा परिषद

*संगाबा विश्वविद्यालय में अभिजात भाषा परिषद प्रारंभ
अमरावती/दि.7 – प्रत्येक भाषा ने अपनी अलग पहचान बनाई है. इसलिए यदि इस पहचान को निरंतर आगे बढाना हेै तो देश के अभिजात भाषा के महत्व को उजागर करना होगा. इसलिए अमरावती में आयोजित पहली अभिजात भाषा परिषद देश के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी. ऐसा प्रतिपादन राज्य के मराठी भाषा मंत्री उदय सामत ने किया. वे संत गाडगेबाबा अमरावती विश्वविद्यालय में आयोजित अभिजात मराठी परिषद में बोल रहे थे.
इस अवसर पर मराठी भाषा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अविनाश आवलगांवकर, मराठी भाषा विभाग की सचिव किरण कुलकर्णी, मधुकर जोशी आदि उपस्थित थे. डॉ. सामत ने कहां की परिषद के लिए संपूर्ण देश से विद्बवान एकत्रित हुए है. उनका ज्ञान अभिजात (शास्त्रीय) भाषाओ को नई दिशा प्रदान करेगा. यहां पर 11 अभिजात भाषाए वास्तव में परस्पर संवाद कर रही है. एकीकृत भारत में विभिन्न बोलिया बोली जाती है. इसे एक बोली में रूपांतरीत किया गया हैं. कोंकणी भाषा के साथ भी यह हुआ है. हर भाषा का सम्मान होना चाहिए, मातृभाषा गौरव की बात है. उसे बोला जाना चाहिए. और भावनाओं को समझना चाहिए.
डॉ. सामंत ने कहां की विद्यार्थियोे के समक्ष अभिजात भाषा परिषद का आयोजन आवश्यक है. इससे उन्हें भाषा की शक्ति का एहसास होगा. अभिजात भाषा का दर्जा मिलने के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक अध्ययन केंद्र की स्थापना से मराठी अमर हो गई है. आने वाले समय में एक अनुवाद समिति की स्थापना की जाएगी ता कि अच्छे साहित्य का विभिन्न भाषाओं का अनुवाद किया जा सके.
उन्होेने आगे कहां की आज तंजावुर जैसे क्षेत्र में मराठी भाषा विद्दमान है. 400 वर्षो के बाद भी यह भाषा यहां जीवित है. इसलिए मराठी को प्राथमिकता दी जाती है. सरकार ने तंजावुर जैसी जगह पर मराठी भाषा भवन के निर्माण के लिए भूमि प्रदान की है. इस स्थान पर निर्माण के लिए सहयोग प्रदान किया जाएगा. हमे भी तंजावुर जैसी पहचान बनानी चाहिए. डॉ सामत ने इस अवसर पर अभिजात भाषाओ के कार्य को आगे बढाने के लिए अच्छी योजन बनाने का कर्तव्य निभाने की अपील की.

 

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